गरीबी में आटा गीला: श्रीलंका जैसे संकट से बचने पाकिस्तान बंद कर सकता है सब्सिडी, जानिए क्या हो चुका है हाल

आर्थिक तौर पर पाकिस्तान भी श्रीलंका के रास्ते पर बढ़ता जा रहा है। मुफ्त की योजनाओं ने पाकिस्तान का बंटाढार कर दिया है। रही सही कसर राजनीतिक उठापटक और रूस-यूक्रेन के ने पूरी कर दी है। आशंका जताई जा रही है कि गेहूं का उत्पादन घटने और यूक्रेन से इम्पोर्ट न हो पाने से पाकिस्तानी रोटी-रोटी को मोहताज हो सकते हैं।
 

Amitabh Budholiya | Published : May 24, 2022 6:45 AM IST / Updated: May 24 2022, 12:54 PM IST

इस्लामाबाद. पाकिस्तान इस समय सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। इस्लामाबाद(राजधानी) पहले से ही अपने तेजी से बढ़ते चालू खाता घाटे के लिए वित्तपोषण की व्यवस्था( arrange financing for current account deficit) करने के लिए संघर्ष कर रहा है, उस पर एक नए संकट की घंटी बजने लगी है। आशंका है कि श्रीलंका जैसी स्थिति से बचने पाकस्तानियों को मिलने वाली ईंधन और बिजली सब्सिडी बंद की जा सकती है। इस सब्सिडी ने सरकारी खजाने पर अरबों का बोझ डाला है। दूसरा गेहूं की कीमतें भी बढ़ाई जा सकती हैं। इसके अलावा सरकार के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं बचा है।

खराब खाद से गेहूं की फसल बर्बाद
आर्थिक तौर पर पाकिस्तान भी श्रीलंका के रास्ते पर बढ़ता जा रहा है। मुफ्त की योजनाओं ने पाकिस्तान का बंटाढार कर दिया है। रही सही कसर राजनीतिक उठापटक और रूस-यूक्रेन के ने पूरी कर दी है। आशंका जताई जा रही है कि गेहूं का उत्पादन घटने और यूक्रेन से इम्पोर्ट न हो पाने से पाकिस्तानी रोटी-रोटी को मोहताज हो सकते हैं। पाकिस्तानी मीडिया dawn ने इस बारे में एक रिपोर्ट पब्लिश की है। इसमें लिखा गया कि इस महीने की शुरुआत में प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ़ (Shehbaz Sharif) को दी गई एक ब्रीफिंग के अनुसार, पाकिस्तान को इस सीजन में 28.9 मिलियन टन के लक्ष्य के मुकाबले केवल 26.9 मिलियन टन गेहूं उत्पादन की उम्मीद है। मार्च के मध्य में एक अप्रत्याशित शुरुआती गर्मी की लहर ने गेहूं की फसल पर असर डाला। वहीं, उर्वरक (डीएपी और यूरिया दोनों) का घटिया होना, पर्याप्त नहीं मिल पाना और पानी की गंभीर कमी से फसलें नष्ट हो गईं। नतीजतन गेहूं की फसल पिछले साल की तुलना में 2m टन कम होने की आशंका है, जबकि पिछली बार 28.7m टन गेहूं का उत्पादन हुआ था। हालांकि अभी आंकड़े और घट-बढ़ सकते हैं, क्योंकि देश के विभिन्न हिस्सों में अनाज खरीद अभियान अभी जारी है, जो कुछ हफ्ते और चलेगा। 

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यूक्रेन से गेहूं का आयात रुका
कहा जा रहा है कि यूक्रेन युद्ध के कारण गेहूं की आपूर्ति बाधित होने की भरपाई के लिए पाकिस्तान को 1.5 अरब डॉलर खर्च करने पड़ सकते हैं। अमेरिका स्थित डेटा एग्रीगेटर इंडेक्समुंडी( US-based data aggregator IndexMundi) के अनुसार, अप्रैल के महीने में अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी 'हार्ड रेड विंटर वेरायटी' गेहूं की कीमतें 495.28 डॉलर प्रति टन को छू रही थीं। इसने अक्टूबर 2021 की 354.67 डॉलर प्रति टन की दर से 39 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई। 

हालांकि पाकिस्तान यूक्रेन से अपने गेहूं का आयात करना पसंद करता है, जो 2021-22 में 19m टन निर्यात के साथ दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा गेहूं आपूर्तिकर्ता रहा है। इसकी मुख्य वजह यूक्रेन से माल ढुलाई शुल्क तुलनात्मक रूप से कम है। वहीं, यूक्रेनियन अनाज ग्लूटेन और प्रोटीन के स्तर के मामले में स्थानीय गेहूं की किस्मों के करीब है। यानी यह पाकिस्तानियों को पसंद है। हालांकि, इस समय रूस द्वारा काला सागर क्षेत्र को अवरुद्ध किए जाने के बाद से यूक्रेन से निर्यात बाधित हुआ है। इस समय यूक्रेन अपने रेलवे नेटवर्क को अनाज के निर्यात के लिए मुख्य मार्ग के रूप में उपयोग कर रहा है, लेकिन इससे निर्यात में काफी कमी आई है। दक्षिण एशिया के बाजार भी प्रभावित हुए हैं, क्योंकि सरकारों ने भीषण गर्मी के कारण गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इन देशों में भारत भी शामिल है, जो आठवां सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक है।

यानी रोटी पड़ेगी महंगी
अप्रैल 2022 की दरों पर भी पाकिस्तान को मांग और आपूर्ति के बीच की खाई को पाटने और स्थानीय बाजार को स्थिर करने के लिए 3 मिलियन टन अनाज आयात करने के लिए लगभग 1.5 बिलियन डॉलर खर्च करने पड़ेंगे। आयातित गेहूं की कीमत 99.1 रुपये प्रति किलोग्राम होगी और सरकार को इसकी कीमत को स्थानीय किस्म के साथ मिलाने के लिए सब्सिडी देने के लिए अतिरिक्त वित्तीय बोझ उठाना होगा, जो कि 68 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक है।

इस बीच निजी क्षेत्र (आटा मिलिंग उद्योग) ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह सरकार के आयात बोझ को साझा करने के लिए तैयार नहीं है। पाकिस्तान फ्लोर मिल्स एसोसिएशन के सदस्य खलीक अरशद ने सरकार से गेहूं की कीमतों में और वृद्धि से पहले आयात की व्यवस्था करने और मिलों को स्टॉक जल्द से जल्द जारी करने का आग्रह किया ताकि स्थानीय बाजार में आटा की कीमतें स्थिर रहें।

इतना महंगा है पाकिस्तान में आटा
पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो( Consumer Price Indices  के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के अनुसार, अप्रैल में शहरी उपभोक्ताओं के लिए गेहूं के आटे की कीमत पहले से ही सालाना आधार पर 18.34% और ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए 18.82% थीं। मार्च के मुकाबले अप्रैल में कीमतों में महीने-दर-महीने की वृद्धि उपभोक्ताओं की दो श्रेणियों के लिए क्रमशः 0.63% और 3.45% थी। एक 20 किलो आटे का बैग अप्रैल में 1,370 रुपये में बिक रहा था, जो 5 मई, 2022 को समाप्त सप्ताह में 1,112 रुपये और 13 मई, 2021 को 966 रुपये था। यानी पाकिस्तानियों के लिए रोटी महंगी होने वाली है।

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