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प्यार से झुकती है दुनिया, जब 1977 में नॉर्थ कोरिया द्वारा किडनैप मेगुमी की मां से मिलने घुटनों पर आए बाइडेन

टोक्यो. यह तस्वीर इतिहास के पन्नों में दर्ज की जाने लायक है। एक एक बुजुर्ग जापानी महिला के सामने जब दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन(US President Joe Biden) घुटनों के बल बैठकर भावुक हो उठे। यह मामला उत्तर कोरिया से 1970 और 1980 के दशक में जापानी नागरिकों की किडनैपिंग से जुड़ा है, जिनका अब तक कोई पता नहीं चला है। जापान सरकार के मुताबिक 1977 से 1983 तक, उत्तर कोरियाई एजेंटों ने कम से कम 17 जापानी नागरिकों को बंधक बनाया था। हालांकि कुछ विश्लेषकों यह संख्या 100 से ज़्यादा मानते हैं। इनमें से कइयों का अपहरण उत्तर कोरियाई जासूसी स्कूलों में जापानी भाषा और संस्कृति सिखाने के मकसद से किया गया था। इनमें सबसे छोटी मेगुमी योकोटा(Megumi Yokota) भी थी। तब उसकी उम्र महज 13 साल की थी। जो बिडेन मेगुमी की तस्वीर को देख रहे हैं। कुर्सी पर मेगुमी की मां साकी(Sakie) और भाई बैठे हुए हैं। बाइडेन ने व्यक्तिगत तौर पर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और उत्तर कोरिया से जापानियों के अपहरण की ऐतिहासिक गलती को ठीक करने का आग्रह किया। माना जा रहा है कि इनमें से ज्यादातर अभी जीवित हैं, लेकिन उन्हें छोड़ा नहीं गया है। बता दें कि जापान में 23-24 मई को QUAD मतलब क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग(quadrilateral security dialog-चतुर्भुज सुरक्षा संवाद)।  सम्मिट आयोजित की गई। इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के अलावा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,स्ट्रेलिया के PM एंथनी अल्बनीज  और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा शामिल हुए हैं। पढ़िए पूरी कहानी... 

2 Min read
Amitabh Budholiya
Published : May 24 2022, 11:11 AM IST| Updated : May 24 2022, 11:21 AM IST
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मेगुमी की 86 वर्षीय मां साकी योकोटा ने कहा कि बाइडेन उन्हें गले लगाने के लिए घुटने के बल बैठ गए। उन्होंने बाइडेन के हवाले से कहा कि वह अपहरणकर्ताओं के परिवारों की भावनाओं को अच्छी तरह समझते हैं। बाइडेन ने पीड़िता परिवारों से करीब 30 मिनट बात की। उहोंने प्रत्येक परिवार की कहानी सुनी। (यह मुलाकात सोमवार को हुई थी-Photo क्रेडिट: KYODO)

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योकोटा की बड़ी बहन मेगुमी का 1977 में 13 साल की उम्र में स्कूल से घर जाते समय अपहरण कर लिया गया था। शक की सुई उत्तर कोरियाई एजेंटों पर बनी रही। हालांकि उनका हमेशा यही तर्क रहा कि उनका इस किडनैपिंग से कोई लेनादेना नहीं है।

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किडनैप हुए ज्यादातर लोग 20 साल की उम्र के थे। सबसे छोटी, मेगुमी योकोटा तब 13 वर्ष की थी। ये सभी नवंबर 1977 में जापानी पश्चिमी तट शहर निगाटा से गायब हो गए थे।

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अंदेशा था कि 1870 में जापान एयरलाइंस के हाइजैक(hijack) के बाद योडो-गो आतंकवादी समूह से संबंधित उत्तर कोरिया स्थित जापानी आतंकवादियों के एक समूह ने इस घटना का अंजाम दिया था। (अपने पिता की गोद में मेगुमी)

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बता दें कि मेगुमी और बाकियों की तलाश के लिए जापान की पुलिस ने 3000 शिफ्टों में काम किया। एक अलग से किडनैपिंग यूनिट ने बनाई गई। इसका ठिकाना ही योकोता के घर पर बना लिया गया। समुद्र के अंदर पेट्रोलिंग करने वाली नावों के जरिए तलाशी कराई गई। लेकिन किसी का कुछ पता नहीं चला।

यह भी पढ़ें-QUAD सम्मेलन: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर अमेरिका ने चीन को चेताया, मोदी बोले-शांति प्राथमिकता
 

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QUAD सम्मेलन में पहुंचे जो बाइडेन ने पीड़ित जापानी परिवारों के साथ टोक्यो में एक बैठक की। बाइडेन ने अपनी संवेदना व्यक्त की और उत्तर कोरिया से इस ऐतिहासिक गलती को ठीक करने के साथ ही लापता 12 जापानी नागरिकों का पूरा लेखा-जोखा देने का आग्रह किया। व्हाइट हाउस ने कहा कि पीड़ितों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए और जापानी प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा के इस दर्दनाक मुद्दे को हल करने के प्रयासों को समर्थन देने के लिए बाइडेन ने परिवारों के साथ मुलाकात की। जापान आधिकारिक तौर पर 17 पीड़ितों की पुष्टि करता है, जिनमें से पांच को 2002 में स्वदेश भेज दिया गया था।

यह भी पढ़ें-Russia Ukraine War: तीसरे विश्व युद्ध के खतरे के बीच यूक्रेनी नागरिकों की इस खुशी का आखिर राज़ क्या है‌?

About the Author

AB
Amitabh Budholiya
बीएससी (बायोलॉजी), पोस्ट ग्रेजुएशन हिंदी साहित्य, बीजेएमसी (जर्नलिज्म)। करीब 25 साल का लेखन और पत्रकारिता में अनुभव। एशियानेट हिंदी में जून, 2019 से कार्यरत। दैनिक भास्कर और उसके पहले दैनिक जागरण और अन्य अखबारों में सेवाएं। 5 किताबें प्रकाशित की हैं
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