एलन मस्क के SpaceX ने एक साथ लॉन्च किए 20 स्टारलिंक सैटेलाइट, जानें क्या है JRTI

सार

एलन मस्क की SpaceX ने 20 स्टारलिंक सैटेलाइट्स को फाल्कन 9 रॉकेट से सफलतापूर्वक लॉन्च किया। रॉकेट का बूस्टर वापस पृथ्वी पर लौट आया, लागत कम करने में मददगार।

वर्ल्ड डेस्क। अमेरिका के अरबपति कारोबारी एलन मस्क (Elon Musk) की कंपनी SpaceX ने 20 स्टारलिंक सैटेलाइट एक साथ लॉन्च किया। इन सैटेलाइट को लेकर फाल्कन 9 रॉकेट शुक्रवार को अंतरिक्ष में गया। अंतरिक्ष में भेजे गए सैटेलाइट में 13 डायरेक्ट टू सेल क्षमता वाले हैं। रॉकेट को केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन के स्पेस लॉन्च कॉम्प्लेक्स 40 (एसएलसी-40) से शाम 7:31 बजे लॉन्च किया गया।

फाल्कन 9 के पहले चरण का बूस्टर लॉन्च होने के लगभग 8.5 मिनट बाद पहले से तय योजना के अनुसार सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लौट आया। यह अटलांटिक महासागर में स्पेसएक्स ड्रोन यान पर उतरा। रॉकेट का ऊपरी स्टेज अपना काम करता रहा। इसने उपग्रहों को धरती की निचली कक्षा में पहुंचाया। इस पूरी प्रक्रिया में 64 मिनट लगे।

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यह फाल्कन 9 रॉकेट के पहले चरण के बूस्टर का 17वां लॉन्च और लैंडिंग था। इन मिशनों में mPOWER-C, वनवेब 2, इंटेलसैट 40ई, डिजिटल ग्लोब 2, टर्कसैट-6ए, यूटेलसैट 36एक्स, ओवज़ोन-3, सीआरएस-26 और आठ अन्य स्टारलिंक मिशन शामिल हैं।

 

 

क्या है JRTI?

JRTI (जस्ट रीड द इंस्ट्रक्शंस) स्पेसएक्स का ऑटोनॉमस स्पेसपोर्ट ड्रोनशिप (एएसडीएस) है। यह फ्लोरिडा के पोर्ट कैनावेरल में तैनात है। JRTI मॉडिफाइड बार्ज मार्मैक 303 पर बनाया गया है। यह एक बड़ा लैंडिंग प्लेटफॉर्म है। इसमें ऐसे खास थ्रस्टर्स और विशेष उपकरण हैं जो फाल्कन बूस्टर्स को समुद्र में उतरने में मदद करता है। 

बता दें कि JRTI 2015 से 2019 तक कैलिफोर्निया में स्थित था। 2019 में केप कैनावेरल से लॉन्च की बढ़ती संख्या को देखते हुए इसे फ्लोरिडा में तैनात किया गया। यह दूसरा स्पेसएक्स ड्रोनशिप है। SpaceX का JRTI प्रोग्राम बेहद अहम है। किसी उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजने के लिए रॉकेट का इस्तेमाल होता है। आमतौर पर जिन रॉकेट को लॉन्च किया जाता है वे एक तरफा सफर करते हैं। उड़ान के दौरान रॉकेट के विभिन्न हिस्से अलग होकर धरती पर गिरते हैं। अगली बार लॉन्च करना हो तो रॉकेट को फिर से बनाना पड़ता है। SpaceX के रॉकेट का पहला स्टेज धरती पर सफलतापूर्वक वापस आता है। इसे अगली बार इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे रॉकेट लॉन्च करने की लागत कम होती है।

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