यमन के पीएम समेत कैबिनेट को लेकर सऊदी अरब से आए विमान के पास ब्लास्ट, 26 लोगों की मौत

यमन के अदन एयरपोर्ट पर बुधवार को बड़ा धमाका हुआ। इस ब्लास्ट से तुरंत पहले एयरपोर्ट पर देश की नई कैबिनेट के मंत्रियों को लेकर एक विमान लैंड हुआ था। विमान सऊदी अरब से आया था। विमान के उतरते ही उसके पास धमाका हुआ। इस हमले में 22 लोगों की मौत हुई है। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 30, 2020 4:36 PM IST

सना. यमन के अदन एयरपोर्ट पर बुधवार को बड़ा धमाका हुआ। इस ब्लास्ट से तुरंत पहले एयरपोर्ट पर देश की नई कैबिनेट के मंत्रियों को लेकर एक विमान लैंड हुआ था। विमान सऊदी अरब से आया था। विमान के उतरते ही उसके पास धमाका हुआ। इस हमले में 22 लोगों की मौत हुई है। 

हमले का शक हूथी विद्रोहियों पर है। खास बात ये है कि विमान में यमन के प्रधानमंत्री मीन अब्दुल मलिक सईद समेत उनकी कैबिनेट के सदस्य भी मौजूद थे। हालांकि, किसी मंत्री को कोई नुकसान नहीं हुआ। 

हर तरफ मची अफरा-तफरी
सऊदी मीडिया के मुताबिक, पीएम समेत सभी मंत्रियों को सुरक्षित प्रेसिडेंशियल पैलेस भेज दिया गया। हमले के बाद एयरपोर्ट पर हर तरफ शव बिखरे पड़े थे। इसके अलावा एयरपोर्ट के पास मलबा और टूटे कांच दिखाई दिए।
 


विद्रोहियों से समझौता कर यमन लौटे थे पीएम 
यमन में लंबे वक्त से गृह युद्ध चल रहा है। यहां ईरान समर्थित विद्रोहियों के साथ सरकार का युद्ध चल रहा है। प्रधानमंत्री मीन अब्दुल मलिक सईद की सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है। हालांकि, वे गृहयुद्ध के चलते वह ज्यादातर वक्त निर्वासित रहे। उनकी सरकार सऊदी अरब की राजधानी रियाद से काम कर रही थी। 

यहां समझौते के तहत प्रधानमंत्री सईद के साथ सरकार के कई मंत्री अदन लौटे थे। यह समझौता पिछले हफ्ते ही प्रतिद्वंद्वी गुट के अलगाववादियों के साथ किया गया था। यमन के राष्ट्रपति अबेद रब्बो मंसूर हादी ने इस महीने की शुरुआत में मंत्रिमंडल में फेरबदल का ऐलान किया था। इसे अलगाववादियों के साथ चल रही लड़ाई को खत्म करने की दिशा में बड़े कदम के तौर पर देखा गया था। 



2015 से चल रहा विद्रोह 
हूथी विद्रोहियों का उत्तरी यमन के साथ राजधानी सना पर भी कब्जा है। यहां 2015 से गृह युद्ध चल रहा है। हूथी विद्रोहियों को पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह का समर्थक माना जाता हैं। अल कायदा और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक भी यमन के इलाकों पर कब्जे के लिए हमला करते रहते हैं। यहां 2015 से जनवरी 2017 तक 10 हजार नागरिकों समेत कुल 16 हजार 200 लोग मारे जा चुके थे। 

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