London के आलीशान घर की लड़ाई हारे Vijay Mallya, अब UBS स्विस बैंक कभी भी कर सकेगा अपना कब्जा

यह मामला माल्या की कंपनियों में से एक, रोज कैपिटल वेंचर्स द्वारा लिए गए एक बंधक से संबंधित है। इस बंधक में किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व बॉस, उनकी मां ललिता और बेटे सिद्धार्थ माल्या को संपत्ति के कब्जे के अधिकार के साथ सह-प्रतिवादी के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।

लंदन। भारत के भगोड़े विजय माल्या (Fugitive Vijay Mallya) ब्रिटिश अदालत (British Court) में लंदन (London) के अपने आलीशान घर पर कब्जा को लेकर कानूनी लड़ाई हार गए हैं। माल्या के आलीशान घर पर अब स्विस बैंक यूबीएस (UBS) बिना देर किए कब्जा करने की कार्रवाई को आगे बढ़ा सकता है। 

दरअसल, एक ब्रिटिश अदालत में विजय माल्या के आलीशान घर, जोकि उन्होंने बैंक को बंधक रखा था, के लिए स्विस बैंक यूबीएस के साथ लंबे समय से विवाद चल रहा है। विजय माल्या ने इन संपत्तियों के एवज में काफी रकम लोन ले रखा है। नहीं चुकाने पर अब बैंक उस पर कब्जा करने की लड़ाई लड़ रहा। 

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लंदन में रीजेंट पार्क के सामने 18/19 कॉर्नवाल टेरेस लक्जरी अपार्टमेंट, जिसे अदालत में लाखों पाउंड की असाधारण मूल्यवान संपत्ति के रूप में वर्णित किया गया है, वर्तमान में माल्या की 95 वर्षीय मां ललिता के कब्जे में है।

हाईकोर्ट ने निकाला यह निष्कर्ष

उच्च न्यायालय के चांसरी डिवीजन डिप्टी मास्टर मैथ्यू मार्श ने निर्णय सुनाया कि माल्या परिवार को यूबीएस को 20.4 मिलियन पाउंड का ऋण चुकाने के लिए और समय देने के लिए उसके पास कोई आधार नहीं है क्योंकि माल्या की स्थिति में आगे भी कोई सुधार होने की संभावना नहीं है ना ही वह चुकाने की स्थिति में होते दिख रहे हैं। 

मार्श ने कहा कि मैं अपील करने की अनुमति से इनकार कर रहा साथ ही कोई स्टे भी नहीं दे रहा। इसके साथ ही न्यायाधीश ने अपने आदेश के खिलाफ अपील करने या प्रवर्तन पर अस्थायी रोक लगाने की अनुमति देने से भी इनकार कर दिया। अस्थायी रोक से इनकार करने के बाद अब यूबीएस अपने बकाया के लिए कब्जे की प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ सकता है।

हालांकि, माल्या के बैरिस्टर डैनियल मार्गोलिन क्यूसी ने संकेत दिया कि 65 वर्षीय व्यवसायी ने उच्च न्यायालय के चांसरी डिवीजन के न्यायाधीश के समक्ष अपील करने की योजना बनाई है। क्योंकि बैंक जिस घर पर कब्जा करना चाहता है वह उनकी 95 वर्षीय मां से जुड़ा हुआ है। वह वहां रह रही हैं। जबकि फेनर मोरेन क्यूसी ने स्पष्ट किया कि यूबीएस बिना किसी देरी के प्रवर्तन आदेश के साथ आगे बढ़ना चाहता है।

क्यों बैंक करना चाहता है कब्जा

यह मामला माल्या की कंपनियों में से एक, रोज कैपिटल वेंचर्स द्वारा लिए गए एक बंधक से संबंधित है। इस बंधक में किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व बॉस, उनकी मां ललिता और बेटे सिद्धार्थ माल्या को संपत्ति के कब्जे के अधिकार के साथ सह-प्रतिवादी के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।

मई 2019 में, न्यायाधीश साइमन बार्कर ने एक सहमति आदेश दिया था जिसमें परिवार को ऋण की अदायगी के लिए दी गई 30 अप्रैल, 2020 की अंतिम समय सीमा के साथ कब्जा बनाए रखने की अनुमति दी गई थी। तय सीमा में लोन नहीं चुकाया गया। इसके बाद COVID-19 महामारी की अवधि में विशेष नियमों के साथ की वजह से माल्या को राहत मिल गई। 

जब बैंक ने पिछले साल अक्टूबर में प्रवर्तन के लिए अदालत के आदेश की मांग की, तो माल्या ने इस आधार पर रोक का आवेदन दायर किया कि बैंक ने पारिवारिक ट्रस्ट फंड के माध्यम से रकम चुकाने के लिए उनके रास्ते में "अनुचित बाधाएं" रखी थीं। उनकी कानूनी टीम ने एक गैर-बाध्यकारी पत्र भी प्रस्तुत किया जिसमें दावा किया गया था कि एक कंपनी संपत्ति का अधिग्रहण करने को तैयार है, जो ऋण का भुगतान करने में मदद करेगी।

भारत में बांछित है विजय माल्या

माल्या भारत में वांछित है। माल्या पर अब बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए ऋण से संबंधित कथित 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप है। यूनाइटेड ब्रुअरीज के पूर्व प्रमुख ब्रिटेन में जमानत पर रह रहे हैं।

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