खंडहरों के शहर में नई जिंदगी: युद्ध के घावों के बीच गूंजी डफ की थाप-गाजा में 54 जोड़ों ने रचाई शादी

Published : Dec 04, 2025, 07:41 AM IST
gaza 54 couples mass wedding amid war debris story

सार

Gaza Viral Story: गाजा के खान यूनिस में मलबे और खंडहरों के बीच 54 जोड़ोें ने सामूहिक शादी कर दुनिया को चौंकाया। 2 साल की तबाही, भूख और मौत के बाद यह जश्न कैसा संदेश देता है? UAE संस्था द्वारा आयोजित यह आयोजन उम्मीद और जीवन की वापसी का प्रतीक बन गया। 

Gaza 54 Couples Wedding: गाजा के खान यूनिस शहर में एक ऐसा नज़ारा देखने को मिला, जिसे देखकर किसी का भी दिल भर आए। चारों तरफ टूटी हुई इमारतें, मलबे के ढेर, और दो साल से चल रहे संघर्ष के निशान…लेकिन इसी खंडहर जैसी जगह पर एक ऐसा जश्न हुआ जिसने दुनिया का ध्यान खींच लिया। यहां 54 जोड़ों ने सामूहिक शादी की। यह सिर्फ एक शादी नहीं थी, बल्कि मलबे के बीच जिंदगी की गूंजती हुई जीत थी-एक बेबाक संदेश कि गाजा अब भी ज़िंदा है, अब भी मुस्कुरा सकता है। दूल्हे काले सूट में और दुल्हनें पारंपरिक कढ़ाई वाली सफेद-लाल फिलिस्तीनी ड्रेस में, हाथों में छोटे झंडे और ब्राइडल बुके…हर किसी की आंखों में उम्मीद की चमक साफ झलक रही थी। शादी का यह नज़ारा किसी फिल्म जैसा लग रहा था-बस फर्क इतना था कि फिल्म में तो सेट बनाया जाता है, यहां सेट असलियत में दर्द और बर्बादी से बना था।

क्या मलबे के बीच हुई यह शादी एक नया संदेश दे रही है?

शादी के दिन रेड कार्पेट बिछाया गया था, जो मलबे से भरी जमीन पर अलग ही चमक रहा था। दर्जनों जोड़े ढोल की थाप पर चलते हुए स्टेज पर पहुंचे। आसपास हजारों लोग जुटे, कुछ प्लाज़ा में खड़े, तो कुछ टूटी इमारतों के खतरनाक हिस्सों पर चढ़े हुए। सबकी आंखों में बस एक ही बात थी-क्या गाजा में अब उम्मीद लौट रही है? दूल्हों में से एक करम मुसाद ने कहा कि उन्हें ऐसे ही एक मौके की जरूरत थी। “हम इतने दुखों से गुजरे हैं कि दिल जैसे पत्थर बन गया था… लेकिन आज ऐसा लगा जैसे दिल फिर से धड़कना शुरू हुआ।”

 

दो साल की तबाही के बाद लोग फिर कैसे मुस्कुरा पाए?

गाजा पिछले दो साल से लगातार संघर्ष, भूख, विस्थापन और मौतों का सामना कर रहा है। हर दिन नई तबाही, हर घर में एक नई कमी। ऐसे माहौल में शादी का आयोजन किसी चमत्कार जैसा ही था। एक दूसरे दूल्हे, हिकमत उसामा ने कहा, “हमने इतना सब झेला है कि अब खुशी का मतलब ही भूल चुके थे। लेकिन आज लगा कि भगवान चाहे तो अच्छे दिन फिर लौट सकते हैं।”

अमीराती संस्था ने मलबे वाली जगह ही क्यों चुनी?

यह सामूहिक विवाह अल-फारिस अल-शाहीम फाउंडेशन ने आयोजित किया। संगठन के मीडिया ऑफिसर ने कहा कि उन्होंने जानबूझकर मलबे वाली जगह को चुना ताकि दुनिया को दिखाया जा सके कि गाजा की “खुशी का कपड़ा” फिर से उठेगा। उनका कहना था कि लोग बर्बादी से फिर से उठ खड़े होंगे और भविष्य को दोबारा बनाएंगे। यह सिर्फ एक समारोह नहीं, बल्कि गाजा की पुनरुत्थान की प्रतीकात्मक घोषणा थी।

क्या युद्धविराम के बाद गाजा में जीवन धीरे-धीरे पटरी पर आ रहा है?

10 अक्टूबर को हुए युद्धविराम के बाद लोग धीरे-धीरे अपनी जिंदगी जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि संघर्ष की घटनाएं अभी भी पूरी तरह बंद नहीं हुईं, लेकिन इतने वर्षों में पहली बार लोगों को एक साथ मुस्कुराने का मौका मिला।

 

PREV

अंतरराष्ट्रीय राजनीति, ग्लोबल इकोनॉमी, सुरक्षा मुद्दों, टेक प्रगति और विश्व घटनाओं की गहराई से कवरेज पढ़ें। वैश्विक संबंधों, अंतरराष्ट्रीय बाजार और बड़ी अंतरराष्ट्रीय बैठकों की ताज़ा रिपोर्ट्स के लिए World News in Hindi सेक्शन देखें — दुनिया की हर बड़ी खबर, सबसे पहले और सही तरीके से, सिर्फ Asianet News Hindi पर।

Read more Articles on

Recommended Stories

पुतिन का ‘फ्लाइंग क्रेमलिन’ भारत पहुंचते ही दुनिया की सबसे ट्रैक की जाने वाली फ्लाइट कैसे बन गया?
PM मोदी ने दिया पुतिन को खास तोहफ़ा: रशियन गीता के पीछे छिपा है क्या बड़ा संकेत?