मलबों में दबी उम्मीदें...गाजा में थमा युद्ध, मगर शुरू हुई नई जंग, देखें फोटो

Published : Jan 21, 2025, 08:36 PM ISTUpdated : Jan 21, 2025, 11:26 PM IST
Gaza after Israel Hamas ceasefire

सार

गाजा में युद्धविराम के बाद ज़िंदगी की नई जद्दोजहद शुरू। मलबे में अपनों को ढूंढते लोग, बाजारों में रौनक पर चेहरों पर दर्द।

Gaza after Israel Hamas ceasefire: 15 महीने चले विनाशकारी युद्ध के बाद गाजा में रॉकेट्स से गिराए जाने वाले बमों और गोलियों की तड़तड़ाहट थम चुकी है। घर से बेघर हुए फिलिस्तीनी अपनी जमीन पर लौटने लगे हैं। लेकिन सीज़फायर के साथ ही उनकी नई जद्दोजहद भी शुरू हो गई है। एक उम्मीद मन में पाले फिलिस्तीनी गाजा के मलबों में अपने प्रियजन की तलाश में जुटे हुए हैं। हर ओर तबाही का मंजर है। तबाही की निशानियों के नीचे वह अपनी उम्मीद को ढूंढ़ने में जुटे हैं। इस युद्ध ने गाजा पट्टी को तहस-नहस कर दिया, हजारों जिंदगियां लील लीं और पूरे इलाके में गहरे जख्म छोड़ दिए हैं लेकिन दिल में एक उम्मीद बाकी है। रविवार से शुरू हुए सीज़फायर ने एक राहत की सांस तो दी है लेकिन इस राहत के बाद अब उनके सीने में दफन दर्द और दु:ख रात-दिन बेचैन करने लगे हैं।

गाजा के नागरिक इमरजेंसी सर्विस के प्रवक्ता महमूद बासल ने कहा: अभी भी 10,000 शहीदों के शव मलबे में दबे होने की आशंका हैं। 2,840 से अधिक शव तो इस तरह जल गए कि उनका कोई निशान भी नहीं बचा।

बस किसी तरह अपनों को ढूंढ़ लाऊं

गाजा के मोहम्मद जौमा ने अपने भाई और भतीजे को इस युद्ध में खो दिया। मलबे के बीच खड़े उनकी आंखों में आंसू थे और दर्द साफ झलक रहा था। उन्होंने कहा: ये एक बड़ा सदमा है। हममें से कई लोग अपने घर, अपने परिवार, सब कुछ खो चुके हैं। ये कोई भूकंप या बाढ़ नहीं थी, ये तो विनाश की जंग थी। एक अन्य विस्थापित महिला आया मोहम्मद-जकी ने कहा: हर कोई अपने खोए हुए परिवार के सदस्यों की तलाश कर रहा है। बाजारों में भीड़ है, पर हर चेहरे पर दर्द है। युद्ध खत्म हुआ लेकिन ज़ख्म अभी भी ताज़ा हैं।

मलबे में अपनों को खोजती आंखें

गाजा के घनी आबादी वाले इलाकों में मलबे के ढेर लगे हैं। राहतकर्मी और स्थानीय लोग साथ मिलकर अपने हाथों से पत्थर हटाते दिखे। हर ईंट हटाने पर लोगों की आंखों में उम्मीद की झलक दिखती लेकिन फिर टूटे दिलों के साथ वे आगे बढ़ते।

बाजारों में हलचल लेकिन दर्द के साए में

युद्धविराम के बाद गाजा के बाजारों में थोड़ी रौनक लौटी। विदेशी चॉकलेट और अन्य सामानों ने लोगों को राहत तो दी, लेकिन हर चेहरे पर गहरे घावों की झलक साफ नजर आती है। गाजा के लोग अब भी अपनों को तलाश रहे हैं और उनके चेहरों पर दर्द और उम्मीद की अजीबोगरीब जंग दिख रही है। यह संघर्ष केवल मलबे के नीचे दबे लोगों को खोजने का नहीं, बल्कि जिंदगी को दोबारा जीने लायक बनाने का भी है।

मां, तुम वापस आ गईं...

इस्राइल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक में रिहा हुई निडा ज़ग़ेबी अपने तीन बच्चों से 15 महीने बाद मिलीं। घर पहुंचते ही उनके बच्चों ने उन्हें गले लगा लिया और रोते हुए कहा: "मां, आप वापस आ गईं।" निडा ने कहा, "हर रात मैं उनके सपने देखती थी। मां का दर्द बाकी हर भावना पर भारी होता है।"

गाजा के पुनर्निर्माण की कठिन डगर

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, गाजा में युद्ध के बाद का मलबा साफ करने में 21 साल लग सकते हैं और 1.2 अरब डॉलर का खर्च आएगा। इस मलबे में एस्बेस्टस जैसे खतरनाक तत्व भी हैं जो आने वाले दशकों तक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के एक अधिकारी ने कहा कि इस युद्ध ने गाजा को 69 साल पीछे धकेल दिया है।

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