कभी बनाए जाते थे गुलाम, हमेशा सहने पड़े जुल्म, अमेरिका में घिनौना है अश्वेतों के खिलाफ हिंसा का इतिहास

अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के खिलाफ पूरे अमेरिका में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। अमेरिका में जो भी हो रहा है, वह पहली बार नहीं हो रहा है। अमेरिका में अश्वेतों के खिलाफ हमेशा से अत्याचार होता रहा है। 2009 में जब बराक ओबामा ने राष्ट्रपति पद संभाला था।

वॉशिंगटन. अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के खिलाफ पूरे अमेरिका में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। अमेरिका में जो भी हो रहा है, वह पहली बार नहीं हो रहा है। अमेरिका में अश्वेतों के खिलाफ हमेशा से अत्याचार होता रहा है। 2009 में जब बराक ओबामा ने राष्ट्रपति पद संभाला था। वे अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति थे, ऐसे में माना जा रहा था कि अब देश में अश्वेतों के खिलाफ अत्याचार खत्म हो जाएगा। वे 2017 तक राष्ट्रपति रहे। लेकिन इस तरह की घटनाएं ना पहले रुकीं ना अब। 

अमेरिका में अश्वेतों का इतिहास : अमेरिका में अश्वेतों का इतिहास काफी पुराना है। यहां 1619 से लेकर 1865 तक अमेरिका में जो अफ्रीकी बंदी रहे हैं उन्हीं के बच्चे अफ्रीकी अमेरिकी के तौर पर जाने जाते हैं। इनमें से ज्यादातर युद्धबंदी थे या गुलामों की तरह बेचे गए थे। अमेरिका के वर्जिनिया में पहला अफ्रीकी गुलाम लाया गया था। कुछ साल काम कराने के बाद उन्हें भगा दिया जाता था। इसके बाद उसे दूसरों के बीच लेने के लिए होड़ मच जाते थे। धीरे धीरे यह संख्या बढ़ती गई। 

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स्वतंत्रता के नाम पर मिला धोखा
 मैसाच्युसेट्स अमेरिका का पहला उपनिवेश था। यहां 1641 में गुलामी प्रथा को कानूनी जामा पहनाया गया था। लेकिन 1787 से वक्त बदलना शुरू हुआ। संयुक्त राज्य अमेरिका बन चुका था। यहां संवैधानिक परिवर्तन के जरिए यह संभव हुआ। अमेरिका में निज स्वतंत्रता जोर दिया जाना शुरू हुआ। लेकिन अश्वेतों को वोट देने का अधिकार नहीं मिला। ना ही उन्हें बच्चे स्कूल में पढ़ाने का अधिकार था।
 


1808 में गुलाम व्यापार प्रतिबंधित हुआ
अमेरिका में धीरे धीरे अश्वेतों को गुलामी से मुक्त कराने के आंदोलन शुरू होने लगे थे। 1709 में अमेरिका में ऐसे करीब 60 हजार अश्वेत थे, जो गुलाम नहीं थे। 25 सालों में अनेक गुलामों को मुक्त कराया गया। इतना ही नहीं यहां 1808 में अमेरिकी सांसद में अंतरराष्ट्रीय गुलाम व्यापार भी बैन कर दिया गया। 

फरवरी में मनाया जाता है ब्‍लैक हिस्‍ट्री मंथ
अमेरिका में पूर्व में बेचा और खरीदा भी जाता था। इन्हें मुख्यतौर पर 7 क्षेत्रों से खरीदा जाता था। इनके साथ अत्याचार भी होते थे। अमेरिका के इतिहास में ब्‍लैक हिस्‍ट्री मंथ इसी का हिस्सा है। उन अत्याचारों को याद करते हुए ही इसे हर साल फरवरी में मनाया जाता है। 



2014 में हुई थी हिंसा
ट्रम्प के शासन में अश्वेत की मौत के बाद इस तरह का यह पहला विरोध प्रदर्शन है। इससे पहले 2014 में बराक ओबामा के राष्ट्रपति रहते इतने बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। उस वक्त फर्गुशन में एक गोरे पुलिस अफसर ने 18 साल के माइकल ब्राउन को गोली मार दी थी। इसके बाद पूरे देश में बड़े स्तर पर प्रदर्शन हुए थे।

इस साल का पहला वाकया नहीं
- अमेरिका में अश्वेत पर हमले का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी इस तरह की घटनाएं होती रही हैं। लेकिन कुछ घटनाएं तूल पकड़ लेती हैं और कुछ दब जाती हैं। इससे पहले इसी साल 23 फरवरी को हथियारबंद गोरों ने 25 साल के अहमद आर्बेरी को गोली मार दी थी।
- इसके बाद 25 मार्च को ब्रेओना टेलर की उस वक्त हत्या कर दी गई, जब उनके घर पर एक गोरे पुलिस अधिकारी ने छापा मारा था।



चौंकाने वाले हैं आंकड़े
वॉशिंगटन पोस्ट ने जनवरी 2015 से पुलिस की ओर से फायरिंग में मारे जाने वाले लोगों का डेटाबेस बनाना शुरू किया था। इस डेटाबेस के मुताबिक, अब तक 4400 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। 

अमेरिका में काले लोगों की आबादी मात्र 13% है। फिर भी गोली से मरने वालों की संख्या देखी जाए तो कुल मौतों का एक चौथाई हिस्सा काले लोगों का है।

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