70 साल से तरस रहे थे हिंदू, अब वापस मिला 200 साल पुराना मंदिर, पाकिस्तान ने मांगी माफी

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के जिले सोब में 200 साल पुराने एक मंदिर को हिंदू समुदाय को सौंप दिया गया है। पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, 70 साल के बाद यह मंदिर हिंदू समुदाय को मिला है।

Asianet News Hindi | Published : Feb 9, 2020 11:39 AM IST

इस्लामाबाद. पाकिस्तान में हिंदुओं पर जारी अत्याचार और मंदिरों में तोड़फोड़ के बीच एक राहत भरी खबर सामने आई है। जिसमें पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के जिले सोब में 200 साल पुराने एक मंदिर को हिंदू समुदाय को सौंप दिया गया है। पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, 70 साल के बाद यह मंदिर हिंदू समुदाय को मिला है। बीते तीस साल से इसमें एक स्कूल चल रहा था जिसे अब यहां से स्थानांतरित कर दिया गया है।

सोब की केंद्रीय मस्जिद के इमाम एवं जमीयते उलेमाए इस्लाम के नेता मौलाना अल्लाह दाद काकर ने स्थानीय हिंदू पंचायत के अध्यक्ष सलीम जान को मंदिर की चाबी सौंपी। 

हिंदू समुदाय से मांगी माफी 

इस मौके पर इलाके के उपायुक्त ताहा सलीम ने कहा, “यह बलुचिस्तान, विशेषकर सोब के लिए एक खास और ऐतिहासिक दिन है। मौलाना काकर ने न केवल मंदिर को हिंदू समुदाय को वापस देने के सरकार के फैसले का समर्थन किया। उपायुक्त ने हिंदू समुदाय से इस बात के लिए माफी भी मांगी कि बीते 70 साल में उन्हें यह मंदिर नहीं सौंपा गया। उन्होंने कहा कि मंदिर को इसके वास्तविक रूप में बहाल किया जाएगा। मरम्मत और साज-सज्जा के बाद हिंदू मंदिर में पूजा अर्चना कर सकेंगे। 

200 साल पुराना है मंदिर 

स्थानीय हिंदू पंचायत अध्यक्ष सलीम जान ने कहा कि मंदिर 200 साल पुराना है। पाकिस्तान बनने के बाद अधिकांश हिंदू भारत चले गए, लेकिन अभी भी शहर में हिंदुओं की अच्छी आबादी है। उन्होंने कहा कि अभी इलाके के हिंदू एक मिट्टी के घर में पूजा अर्चना करते हैं जो किसी भी समय गिर सकता है।

गुरुद्वारे में भी चल रहे स्कूल 

उन्होंने कहा कि हाल में बलूचिस्तान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जमाल खान मंडोखेल सोब आए थे। तब हिंदू समुदाय ने उनसे इस मंदिर को वापस दिलाने की अपील की थी। न्यायाधीश ने उन्हें आश्वस्त किया था कि मंदिर समुदाय को वापस मिलेगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय सिख समुदाय भी लंबे समय से अपने गुरुद्वारे से वंचित है और उनके पास अपनी धार्मिक रस्मों को करने के लिए कोई जगह नहीं है। गुरुद्वारे में भी एक स्कूल चल रहा है।

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