इमरान खान ने किया चुनाव कराने का फैसला, 75 साल में पाकिस्तान का कोई PM पूरा नहीं कर पाया 5 साल का कार्यकाल
पाकिस्तान के 75 साल के इतिहास में कोई प्रधानमंत्री अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। किसी को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया तो किसी को सैन्य तख्तापलट कर हटा दिया गया। इमरान खान ने भी पांच साल पूरा होने से पहले ही असेंबली भंग करने और चुनाव कराने का फैसला किया है।
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने रविवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को नेशनल असेंबली भंग करने की सलाह दी है। उन्होंने पाकिस्तान में चुनाव कराने का फैसला किया है। राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री की सलाह पर नेशनल असेंबली भंग कर दी है। अब पाकिस्तान में केयर टेकर गवर्नमेंट चुनाव कराएगी। इसके साथ ही पाकिस्तान का 75 साल का वह इतिहास भी कायम रहा कि यहां किसी भी प्रधानमंत्री ने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और उनके कार्यकाल
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लियाकत अली खान पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री थे। वह 15 अगस्त 1947 को प्रधानमंत्री बने थे। रावलपिंडी में 16 अक्टूबर 1951 को उनकी हत्या हो गई थी। वह चार साल पीएम रहे।
ख्वाजा नजीमुद्दीन 17 अक्टूबर 1951 को प्रधानमंत्री बने थे। 17 अप्रैल 1953 को उन्हें पद से हटा दिया गया था।
मोहम्मद अली बोगरा ने 17 अप्रैल 1953 को पीएम की कुर्सी संभाली। दो साल बाद 12 अगस्त 1955 को उन्हें पद से हटा दिया गया।
चौधरी मोहम्मद अली 12 अगस्त 1955 को प्रधानमंत्री बने थे। 12 सितंबर 1956 को उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। वह मात्र एक साल पीएम रहे।
हुसैन शहीद सुहरावर्दी को 12 सितंबर 1956 को पीएम पद की जिम्मेदारी मिली थी। वह एक साल प्रधानमंत्री रह पाए। 17 अक्टूबर 1957 को उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
इब्राहिम इस्माइल चुंदरीगर मात्र दो महीने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने। उन्हें अक्टूबर 1957 में पद की जिम्मेदारी मिली और दिसंबर में अविश्वास प्रस्ताव की मदद से हटा दिया गया।
फिरोज खान नून को 17 दिसंबर 1957 को प्रधानमंत्री बनाया गया। 7 अक्टूबर 1958 को उन्हें बर्खास्त कर दिया गया और राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लागू कर दिया।
1958-1971: जनरल अयूब खान के नेतृत्व में पाकिस्तान में मार्शल लॉ लगाया गया। उन्होंने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के कार्यालयों को मिला दिया था।
नूरुल अमीन सिर्फ 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने। 20 दिसंबर 1971 को उन्हें पद से बर्खास्त कर दिया गया था।
1971-1973: जुल्फिकार अली भुट्टो ने 'नए संविधान' की घोषणा करते हुए राष्ट्रपति के रूप में काम किया था।
जुल्फिकार अली भुट्टो 14 अगस्त 1973 को पीएम बने थे। वह जनता के बीच लोकप्रीय थे। 1977 में वह फिर से चुनाव जीतकर सत्ता में आए थे, लेकिन सैन्य तानाशाह जनरल मुहम्मद जिया उल हल से उनके रिश्ते खराब हो गए थे। बात इतनी बिगड़ गई कि जिया उल हक ने भुट्टो को कैद कर लिया और 1979 में फांसी दे दी।
1977-1985 के दौरान जनरल जिया उल हक ने प्रधानमंत्री का पद समाप्त कर दिया था।
मोहम्मद खान जुनेजो ने 23 मार्च 1985 को पीएम पद संभाला था। 29 मई 1988 को उनकी सरकार को जनरल जिया उल हक द्वारा बर्खास्त कर दिया गया था।
बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री थी। वह 1988 में पीएम बनीं थी। 6 अगस्त 1990 को राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान ने उनसे इस्तीफा ले लिया था।
नवाज शरीफ 1990 में पीएम बने थे। 18 जुलाई 1993 को उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था।
बेनजीर भुट्टो ने 1993 से 1996 तक प्रधानमंत्री के रूप में काम किया। उन्हें राष्ट्रपति फारूक लेघारी द्वारा बर्खास्त कर दिया गया था।
1997 में नवाज शरीफ ने पीएम की कुर्सी संभाली थी, लेकिन 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ ने सैन्य तख्तापलट कर उन्हें हटा दिया था।
1999 से 2002 तक पाकिस्तान में कोई प्रधानमंत्री नहीं रहा। जनरल जिया उल हक के विपरीत, जनरल मुशर्रफ ने इस पद को समाप्त नहीं किया था।
जफरुल्लाह खान जमाली 19 महीने के लिए पाकिस्तान के पीएम बने थे। उन्हें 2002 को पीएम बनाया गया था। 2004 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
चौधरी शुजात हुसैन दो महीने के लिए प्रधानमंत्री बने। उन्होंने 30 जून 2004 को पद संभाला और दो महीने बाद इस्तीफा दे दिया।
शौकत अजीज 28 अगस्त 2004 को प्रधानमंत्री बने थे। 15 नवंबर 2007 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
यूसुफ रजा घिलानी ने 2008 में पीएम की कुर्सी संभाली थी। 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया था।
राजा परवेज अशरफ 2012 से 2013 तक प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने संसदीय चुनाव के समय पीएम कार्यालय छोड़ दिया था।
नवाज शरीफ 2013 से 2017 तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे। उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्य ठहराया था।
शाहिद खाकान अब्बासी ने 2017 से 2018 के बीच प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने संसदीय चुनाव के समय कार्यालय छोड़ दिया था।
इमरान खान को 2018 में पीएम की कुर्सी मिली थी। विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के बाद उन्होंने असेंबली भंग कर दिया और नए चुनाव कराने का फैसला किया है।