भारत-चीन सीमा तनाव के बीच फिर होगी कॉर्प्स कमांडर स्तर पर बातचीन, अबतक 6 बार हो चुकी है इस स्तर पर चर्चा

भारत-चीन सीमा तनाव के बीच एक बार फिर दोनों देशों के बीच कॉर्प्स कमांडर लेवल की बातचीत जल्द होने वाली है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, दोनों देशों के शीर्ष सैन्य अधिकारी 12 अक्टूबर को पूर्वी लद्दाख के क्षेत्र में आयोजित छटे दौर की बैठक में भाग लेंगे। इस बैठक में भी दोनों देश अपने सैनिकों को जल्द सीमा से हटाने की दिशा में बातचीत करेंगे। 

लेह. भारत-चीन सीमा तनाव के बीच एक बार फिर दोनों देशों के बीच कॉर्प्स कमांडर लेवल की बातचीत जल्द होने वाली है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, दोनों देशों के शीर्ष सैन्य अधिकारी 12 अक्टूबर को पूर्वी लद्दाख के क्षेत्र में आयोजित छटे दौर की बैठक में भाग लेंगे। इस बैठक में भी दोनों देश अपने सैनिकों को जल्द सीमा से हटाने की दिशा में बातचीत करेंगे। बता दें कि अब तक दोनों देशों के बीच कुल 6 बार कॉर्प्स कमांडर की बैठक हो चुकी है। 

हाल ही में भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी थी कि दोनों देशों राजनायिक और सैन्य स्तर पर परामर्श और बातचीत में सहयोग जारी रखने के लिए सहमत हुए हैं। इसी को लेकर भारत और चीन के बीच एक वर्चुअल बैठक हुई थी। मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि दोनों देश इस बात पर सहमत हुए हैं कि कॉर्प्स कमांडर की बैठक का अगला (7 वां) दौर जल्द आयोजित किया जाएगा। 

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रक्षा और विदेश मंत्रियों की हो चुकी है बैठक

मालूम हो कि वर्चुअल बैठक में भारत और चीन दोनों ने 20 अगस्त को हुई WMCC की अंतिम  बैठक के बाद के घटनाक्रमों को लेकर भी चर्चा की थी। WMCC की बैठक में दोनों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर वर्तमान स्थिति की समीक्षा कर विस्तृत चर्चा की थी। बता दें कि दोनों पक्षों ने इस महीने की शुरूआत में अपने देशों के रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों के बीच बैठकों को लिए एक दूसरे को खासा महत्व दिया था।

मंगलवार को भारत ने चीनी दावे को किया ख़ारिज 

बीते मंगलवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा था कि हमनें भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा के बारे में चीन के एक प्रवक्ता के हवाले से आई रिपोर्ट देखी है। भारत ने कभी भी एक तरफ़ा कार्रवाई के तहत 1959 में बनाए गए एलएसी को स्वीकार नहीं किया है। हमारी यह स्थिति हमेशा से रही है, और चीन समेत सभी को इस बारे में पता भी है। भारत ने अपने बयान में आगे कहा, "2003 तक दोनों तरफ़ से एलएसी के निर्धारण की दिशा में कोशिश होती रही लेकिन इसके बाद चीन ने इसमें दिलचस्पी दिखानी बंद कर दी लिहाज़ा ये प्रक्रिया रुक गई। इसलिए अब चीन का इस बात पर ज़ोर देना कि केवल एक ही एलएसी है, यह उन्होंने ने जो वादे किए थे ये उसका उनका उल्लंघन है।
 

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