भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में एलएसी को लेकर तनाव के एक साल पूरे होने को हैं। दोनों देशों के बीच 11 राउंड की सैन्य कमांडरों की बैठक के बावजूद न गतिरोध कम हो सका न तनाव। हालांकि, फरवरी में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में बताया था कि भारत-चीन एलएसी से पीछे हटने को तैयार हो गए हैं। लेकिन तीन महीने के बाद भी कई इलाकों में चीन के सैनिक डटे हुए हैं। पिछले हफ्ते दोनों देशों के बीच 13 घंटे की सैन्य वार्ता भी बेनतीजा ही निकला। वार्ता विफल होने के बाद बताया गया कि इसे आगे जारी रखा जाएगा।
नई दिल्ली। भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में एलएसी को लेकर तनाव के एक साल पूरे होने को हैं। दोनों देशों के बीच 11 राउंड की सैन्य कमांडरों की बैठक के बावजूद न गतिरोध कम हो सका न तनाव। हालांकि, फरवरी में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में बताया था कि भारत-चीन एलएसी से पीछे हटने को तैयार हो गए हैं। लेकिन तीन महीने के बाद भी कई इलाकों में चीन के सैनिक डटे हुए हैं। पिछले हफ्ते दोनों देशों के बीच 13 घंटे की सैन्य वार्ता भी बेनतीजा ही निकला। वार्ता विफल होने के बाद बताया गया कि इसे आगे जारी रखा जाएगा। हालांकि, सूत्र यह कह रहे कि चीन ने भारत से यह कहा है कि भारत को जितना मिला है उसे स्वीकार करे और खुश रहे।
हालात जस का जस
हॉट स्प्रिंग और गोगरा पोस्ट के इलाकों में भारत और चीन के सैनिक अब भी आमने सामने हैं। मई 2020 के हिंसक झड़प के बाद से ही हालात जस के तस बने हुए हैं। हालांकि, पिछले साल जुलाई के पहले सप्ताह में चीनी सेना के गाड़ियों की वापसी गलवान, हॉट स्प्रिंग और गोगरा में देखी गई थी लेकिन फिर से इस पर ब्रेक लग गया।
इन पेट्रोलिंग प्वाइंट्स पर दोनों सेनाएं आमने-सामने
सूत्रों की मानें तो हॉट स्प्रिंग-गोगरा-कोंगका ला झील इलाके में पेट्रोलिंग प्वाइंट्स 15, 17 और 17 ए पर भी दोनों सेनाएं एक-दूसरे के सामने खड़ी हैं। भारत और चीन, दोनों के लिए ये क्षेत्र रणनीकि तौर पर बेहद महत्वपूर्ण है। चीन यहां तैनात अपने सैनिको के लिए काफी मात्रा में रसद पहुंचा रहा है।
पहले पीछे हटने को हुए राजी, फिर आमने-सामने डटे
पिछले साल हुई झड़प के बाद दोनों तरफ के सैन्य कमांडरों की 11 मीटिंग्स हो चुकी है। 10वें दौर की मीटिंग बीते 20 फरवरी को हुई थी। इस मीटिंग में दोनों देशों के सैन्य कमांडरों ने पैगोंग झील के उत्तरी व दक्षिणी किनारों से अपने अपने सैनिकों को हथियारों के साथ पीछे हटाने की सहमति जताई थी। लेकिन इसके फिर आमने-सामने डट गई।
पीपी 15 और पीपी 17ए पर चीन का प्लाटून तैनात
पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 और 17 ए पर चीनी सेना का प्लाटून तैनात है। पहले यहां एक कंपनी के बराबर सैन्य शक्ति तैनात थी। भारत में एक प्लाटून में 30-32 सैनिक होते हैं जबकि एक कंपनी में 100-120 सैनिक। यहां यह बता दें कि किसी प्रकार के मूवमेंट के लिए कोई पक्की सड़क नहीं है। कुछ टेपोरेरी रास्ते बनाए गए हैं लेकिन सूत्र यह बताते हैं कि चीन भारतीय क्षेत्र में अधिक घुसा हुआ है।
फिंगर प्वाइंट 4-8 तक नहीं कर रहा कोई पेट्रोलिंग
पैंगोंग त्सो के फिंगर प्वाइंट 4 से 8 तक दोनों तरफ से कोई पेट्रोलिंग नहीं हो रही है। इसी तरह देप्सांग सा क्षेत्र में भी भारतीय सेनाएं पूर्व की भांति जहां पेट्रोलिंग करती रहती थी, नहीं कर पा रही हैं। सूत्र बताते हैं कि डेप्सांग सा क्षेत्र में चीन ने भारत की पारंपरिक पेट्रोलिंग में अड़ंगा डाल दिया है। वह भारतीय पेट्रोलिंग क्षेत्रों में आकर रोक लगा दिए। सूत्रों की मानें तो 2013 के बाद से वह इन क्षेत्रों में बेहतर कनेक्टिविटी बना लिए है। सड़कों का निर्माण कर लिए है और भारतीय सेना के मूवमेंट को ब्लाॅक कर दिए हैं। हालांकि, यह भी है कि अप्रैल 2020 के बाद से इस क्षेत्र में कोई अन्य बदलाव नहीं हुए है। लेकिन 4 व पांचवे दौर की बातचीत में इस मुद्दे को भी जोड़ दिया गया क्योंकि सैन्य उच्चाधिकारी यह आंकलन कर रहे हैं कि यह भी अगला बड़ा मुद्दा बन सकता है।
पैगोंग सा को छोड़ चीन सतर्क नहीं था
सूत्र बताते हैं कि पिछले साल पैगोंग त्सो क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाओं के बीच भारी तनाव के बावजूद चीनी सेना पैगोंग त्सो को छोड़ किसी भी अन्य क्षेत्र में सतर्क नहीं थे। हालांकि, उत्तरी किनारे या कैलाश रेंज में कुछ सैनिकों की तैनाती तो थी, पर वह सिर्फ डराने के लिए।
भारत ने काफी बेहतरीन तैयारियां की थी लेकिन...
दरअसल, चीनी सेना का एलएसी क्षेत्र में अपनी सेना की तैनाती की एक वजह यह भी थी कि भारतीय सेना ने डर्बक श्योक दौलतबेग ओल्डी यानी डीएसडीबीओ सड़क पर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना शुरू कर दिया था। भारतीय सेना ने श्योक वैली क्षेत्र में सारे आवश्यक रसद सुरक्षित करने शुरू कर दिए थे। एक ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार किया जा रहा था कि अगर कहीं से फायरिंग प्रारंभ होती है तो सेना को मुकाबला करना आसान और दुश्मन की मुश्किलें खड़ी हो जाए। सूत्र बताते हैं कि भारत की इन तैयारियों को देखते हुए एक प्लानिंग के तहत यह गतिरोध उत्पन्न किया गया। वह कई ओर से आए थे।
इटेलीजेंस ने किया था आगाह
सूत्रों की मानें तो मार्च 2020 में मिलिट्री इंटेलीजेंस ने इनपुट दिया था कि हमको एलएसी पर विपरीत हालात के लिए तैयार रहना चाहिए। चीन की ओर से साजिश की जा सकती है। बताया जा रहा है कि अप्रैल 2020 में डीजी मिलिट्री इंटेलीजेंस और डीजी मिलिट्री आपरेशन्स ने एडवाइजरी जारी कर उत्तरी क्षेत्र के सभी कमांड्स को चेताया था।