भारत-चीन के बीच आज सीमा पर सातवें दौर की होगी बातचीत, विदेश मंत्रालय के अधिकारी भी होंगे शामिल

Published : Oct 12, 2020, 08:49 AM ISTUpdated : Oct 12, 2020, 08:55 AM IST
भारत-चीन के बीच आज सीमा पर सातवें दौर की होगी बातचीत, विदेश मंत्रालय के अधिकारी भी होंगे शामिल

सार

भारत-चीन सीमा विवाद के बीच सोमवार को दोनों देशों के शीर्ष सैन्य अधिकारी सातवें दौर की बातचीत करेंगे। दोपहर करीब 12 बजे के पूर्वी लद्दाख के चुशूल इलाके में दोनों सेनाओं के बीच ये बातचीत होगी जिसमें सैनिकों को पीछे हटाने पर चर्चा हो सकती है। 

लेह. भारत-चीन सीमा विवाद के बीच सोमवार को दोनों देशों के शीर्ष सैन्य अधिकारी सातवें दौर की बातचीत करेंगे। दोपहर करीब 12 बजे के पूर्वी लद्दाख के चुशूल इलाके में दोनों सेनाओं के बीच ये बातचीत होगी जिसमें सैनिकों को पीछे हटाने पर चर्चा हो सकती है। मालूम हो कि दोनों देशों की सेनाएं लंबे समय से बॉर्डर पर एक-दूसरे के सामने तैनात हैं। मई 2020 से शुरू हुए तनाव के बाद जून में भारत-चीन के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ था, इस बीच कई बार सैनिकों को पीछे हटाने पर मंथन हुआ लेकिन चीन हर बार अपनी बात से मुकरता रहा।

आखिरी चर्चा हो सकती है

भारत और चीन के बीच आज होने वाली बातचीत इसलिए भी खास है क्योंकि भारत की ओर से बात करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह की अगुवाई में ये आखिरी चर्चा होगी। शीर्ष सैन्य अधिकारियों की इस बैठक में विदेश मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी (ईस्ट एशिया) नवीन श्रीवास्तव भी शामिल होंगे। इसके साथ ही चीन की ओर से भी सैन्य अधिकारी के अलावा चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं।

भारत-चीन दोनों करेंगे सैनिकों को हटाने पर बात

इस बातचीत में भारत की ओर से मुद्दा रखा गया है कि पूरे पूर्वी लद्दाख के इलाके को लेकर बात होनी चाहिए। जहां चीन की सेना के जवान तैनात हैं और इन्हें पीछे हटाया जाना चाहिए। लेकिन चीन की ओर से सिर्फ पैंगोंग लेक को लेकर बात करने की बात कही जा रही है।

मई से पहले जैसी स्थिति बहाल होने पर होगा भारत का रूख

सूत्रों के मुताबिक, पूर्वी लद्दाख के क्षेत्र में दोनों देशों के करीब पचास हजार से अधिक सैनिक तैनात हैं। अप्रैल-मई के बाद से लगातार यहां सैनिकों की संख्या लगातार बढ़ी है। दोनों के बीच पहले भी छह बार सैनिक पीछे हटाने को लेकर कॉर्प्स कंमांडर स्तर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अबतक उसपर अमल नहीं हो सका है।

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