
India-US Relation. भारत और अमेरिका के बीच पीएम मोदी के दौरे पर कई ऐतिहासिक समझौते हुए हैं। डिफेंस डील को अगर एक तरफ रख दें तो भी कुछ डील ऐसी हुई हैं, जो चीन को परेशान करने वाली हैं। जी हां, टेलीकॉम सेक्टर में चीन चिप टेक्नोलॉजी का किंग है और यही टेक्नोलॉजी अब भारत-अमेरिका दोस्ती को आगे बढ़ाने वाली है। जाहिर सी बात है, इससे टेलीकॉम सेक्टर में बरसों से चली आ रही चाइनीज मोनोपॉली खत्म होगी। इस सेक्टर में चीन का दबदबा खत्म करने के साथ ही भारत आत्मनिर्भर भी बनेगा।
भारत-अमेरिका के बीच चिप टेक्नोलॉजी डील
भारत और अमेरिका के बीच डिफेंस डील के अलावा चिप टेक्नोलॉजी, सेमीकंडक्टर प्रोडक्शन को लेकर भी अहम समझौता है। यही वह डील है, जिसने चीन को परेशान कर दिया है। भारत और अमेरिका मिलकर ओपन रेडियो एक्सेस नेटवर्क डील की है। इसका सीधा उद्देश्य यह है कि मोबाइल नेटवर्क में यूज होने वाले सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर को इंटर ऑपरेट सुविधा से लैस करना है। रिपोर्ट्स की मानें तो दुनिया के कई देश इस तकनीक पर काम कर रहे हैं।
5जी और 6जी तकनीकी पर चीन का दबदबा
भारत-अमेरिका डील से भारत और अमेरिका दोनों देशों को मल्टी वेंडर नेक्स्ट जेनरेशन टेलीकॉम सॉल्यूशन डेवलप करने में आसानी होगी। इससे दोनों देशों की कंपनियों को फायदा होगा। इस वक्त 4जी, 5जी और 6जी तकनीक पर चीन सहित कुछ यूरोपिय देशों का वर्चस्व है। अब भारत भी इस होड़ में शामिल हो जाएगा और दुनिया के बाकी देशों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकेगा।
नेशनल सिक्योरिटी के लिए खतरा चाइनीज तकनीक
पहले भी यह बात कई बार सामने आ चुकी है कि चीन की टेलीकॉम कंपनिया भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं। यही वजह है कि भारत सरकार इससे निबटने की प्लानिंग काफी समय से बना रही थी। अब अमेरिका के साथ ओपन रेडियो एक्सेस मॉडल सॉल्यूशन डील हुई है और दोनों देशों के अधिकारियों की कई मीटिंग्स भी हो चुकी हैं। यह डील बेहतर परिणाम देती है तो भारत टेलीकॉम सेक्टर में चीन पर निर्भरता से मुक्त हो जाएगा।
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