
Pakistan Water crisis: भारत द्वारा Pahalgam आतंकी हमले के बाद Indus Waters Treaty को सस्पेंड किए जाने से पाकिस्तान में सिंधु नदी सिस्टम से मिलने वाले पानी में 13.3% की कमी दर्ज की गई है। कृषि मंत्रालय के अधिकारियों और विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह कमी खरीफ फसलों की बुवाई को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है खासकर पंजाब प्रांत में जहां पहले से ही जल संकट गहराया हुआ है।
पाकिस्तान की Indus River System Authority (IRSA) की रिपोर्ट के अनुसार, 5 जून 2025 को केवल 1,24,500 क्यूसिक पानी Indus बेसिन से डैम्स में छोड़ा गया, जबकि पिछले वर्ष इसी तारीख को यह आंकड़ा 1,44,000 क्यूसिक था। यानि सालाना तुलना में लगभग 20,000 क्यूसिक पानी कम। यह गिरावट सीधे-सीधे भारत के फैसले से जुड़ी बताई जा रही है।
11 मई को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई, जिसमें घुसपैठियों को पाकिस्तान से मदद मिलने के स्पष्ट संकेत थे। इसके बाद भारत ने 1960 की Indus Waters Treaty को 'रिव्यू और सस्पेंड' कर दिया। यह वही संधि है जिसके तहत भारत, पाकिस्तान को झेलम, चेनाब और सिंधु नदियों से पानी की आपूर्ति करता रहा है।
भारत के पूर्व केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष एके बजाज ने बताया कि अब भारत को Indus सिस्टम की नदियों के जलस्तर की जानकारी साझा करने की जरूरत नहीं है। ऐसे में अगर मानसून में जलस्तर बढ़ता है, तो बिना चेतावनी के बाढ़ का खतरा पाकिस्तान में गहरा सकता है।
पाकिस्तान के पंजाब में खरीफ सीजन की बुआई शुरू हो चुकी है। लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, वहां मानसून जून के अंत या जुलाई की शुरुआत में पहुंचता है। तब तक अगर पानी की कमी रही, तो धान, कपास और गन्ने की फसल को भारी नुकसान हो सकता है।
पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव सैयद अली मुर्तजा ने भारत के जल शक्ति मंत्रालय को चार पत्र भेजे हैं, Treaty बहाल करने की गुहार लगाई है। लेकिन मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि: जब तक पाकिस्तान आतंक का समर्थन बंद नहीं करता, भारत Indus Waters Treaty पर पुनर्विचार नहीं करेगा।
भारत को सिंधु संधि के तहत पूर्वी नदियों (Sutlej, Beas, Ravi) पर पूरा अधिकार है और पश्चिमी नदियों (Indus, Chenab, Jhelum) से सीमित उपयोग की इजाजत है लेकिन अब वह इन पश्चिमी नदियों पर भी नियंत्रण बना रहा है क्योंकि Treaty अब स्थगित है।
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