PM मोदी के बांग्लादेश दौरे के दौरान हुई हिंसा की पहली से रची गई थी साजिश, इस प्रतिबंधित संगठन का था हाथ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26-27 मार्च को बांग्लादेश दौरे पर थे। हालांकि, इस दौरे से पहले और बाद में हिंसा की कई घटनाएं सामने आईं। हिंसा के दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस में झड़प भी हुई। इसमें 12 लोग मारे गए। ऐसे में अब इस हिंसा को लेकर खुफिया एजेंसियों ने चौंकाने वाले दावे किए हैं। 
 

ढाका. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26-27 मार्च को बांग्लादेश दौरे पर थे। हालांकि, इस दौरे से पहले और बाद में हिंसा की कई घटनाएं सामने आईं। हिंसा के दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस में झड़प भी हुई। इसमें 12 लोग मारे गए। ऐसे में अब इस हिंसा को लेकर खुफिया एजेंसियों ने चौंकाने वाले दावे किए हैं। 

रिपोर्ट के मुताबिक, यह हिंसा सिर्फ विरोध के वजह से नहीं हुई, बल्कि प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी ने इसके लिए साजिश रची थी। इतना ही नहीं  पुलिस, मीडिया और सरकारी ऑफिसों पर बड़े पैमाने पर हमले की तैयारी थी। 

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जमात-ए-इस्लामी ने फंडिंग की
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस हिंसा के लिए जमात-ए-इस्लामी ने भारी मात्रा फंडिंग दी, ताकि मोदी की यात्रा के दौरान कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाकर शेख हसीना सरकार पर सवाल उठाए जा सकें।
  
रिपोर्ट में सरकार को सलाह दी गई है कि जमात-ए-इस्लामी और हिफाजत-ए-इस्लाम के नेताओं के होटलों पर छापेमारी की जाए। साथ ही इसके लिए जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार किया जाए। जमात-ए-इस्लामी की अचल संपत्तियों, अस्पतालों, बीमा, मदरसों, इमारतों में भी खोजबीन की जानी चाहिए। 

विरोध के लिए समर्थकों को बुलाया गया था ढाका 
रिपोर्ट के मुताबिक, जमात-ए-इस्लाम ने मोदी की यात्रा को देखते हुए अपने समर्थकों को ढाका आने के लिए कहा था। इसके बाद इस्लामी छात्र संगठन, महिला विंग और इस्लामिक शैडो संगठन के सदस्य ढाका आ गए। उन्हें 3 ग्रुप में बांटा गया। पहले ग्रुप को मोदी विरोधी कार्यक्रमों में शामिल होना था। जबकि दूसरा ग्रुप मोदी विरोधी रैली में शामिल होता। वहीं, तीसरा ग्रुप को इस्लामी राजनीतिक दलों के प्रदर्शन का हिस्सा बनना था।

सरकार गिराने के लिए रची गई साजिश
वहीं, एक और खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जमात, हिफाजत और विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिराने की साजिश रच रहे हैं।  सिविल-सोसायटी के सदस्यों ने कहा कि जिस तरह से ये संगठन विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं, उनके मकसद का साफ पता चलता है। वे देश में शांति और तरक्की में रुकावट डालना चाहते हैं।

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