
ईरान और इजरायल। ईरान और इजरायल के बीच तनाव जारी है। इसकी झलक बीते 13 अप्रैल को देखने को मिली, जब इस्लामिक देश ने इजरायल पर 300 मिसाइल समेत ड्रोन से हमला किया। हालांकि, ये हमला कारगर साबित नहीं हुआ और तेल अवीव के शानदार ड्रोन सिस्टम ने ईरान के लगभग 99 फीसदी अटैक को बेअसर कर दिया। इस हमले के वजह से मिडिल ईस्ट देशों में भी तनाव की स्थिति बनी हुई है। एक बात और गौर करने वाली है कि ईरान न सिर्फ सीधे तौर पर जंग छेड़ने की कोशिश कर रहा है, बल्कि उसके समर्थन से चलने वाले ऐसे कई आतंकी संगठन भी है, जो जंग को भड़काने के लिए घी का काम कर रहे हैं। ये सारे आतंकी संगठन लगातार पड़ोसी मुल्कों को परेशान करने की कोशिश कर रहे हैं।
ईरान के समर्थित समूह हमास, हिज्जबुल और हैथी ये तीन ऐसे समूह है, जो इजरायल को क्षेत्रीय युद्ध भड़काने के लिए उकसाने की कोशिश कर रहे हैं। इजरायल पहले ही हमास के खिलाफ जंग लड़ रहा है। वहीं लेबनान की तरफ से हिज्जबुल और रेड सी में यमन के हैथी। ये तीनों मिलकर मिडिल ईस्ट में जंग की आग भड़काने का काम कर रही है। इस पर अमेरिका की नजर बहुत पहले से थी। इसी चीज को ध्यान में रखते हुए यूएस ने साल 1984 में यानी आज से 40 साल पहले ईरान को स्टेट- स्पॉन्सर ऑफ टेररिज्म करार कर दिया था।
स्टेट- स्पॉन्सर ऑफ टेररिज्म का मतलब
अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट स्टेट- स्पॉन्सर ऑफ टेररिज्म की उपाधि ऐसे देशों को देता है, जिनसे अमेरिका के रिश्ते काफी तनावपूर्ण होते हैं। इस वजह से ये काफी विवादों भरा भी रहा है। कई देशों ने आरोप लगाया है कि जिस भी देश के संबंध अमेरिका के साथ खराब होते हैं, वो उनको स्टेट- स्पॉन्सर ऑफ टेररिज्म की लिस्ट में डाल देता है। उदाहरण के तौर पर क्यूबा और नॉर्थ कोरिया की सरकार, जो किसी भी आतंकी समूह का समर्थन नहीं करती है। इसके बावजूद अमेरिका ने उन्हें लिस्ट में जगह दे दी है।
स्टेट- स्पॉन्सर ऑफ टेररिज्म की लिस्ट के नुकसान
स्टेट- स्पॉन्सर ऑफ टेररिज्म की लिस्ट में आ जाने के बाद अमेरिका ऐसे देशों पर कई तरह के बैन लगा देता है। इसके अलावा विपक्षी देशों से जुड़े किसी भी बड़े बिजनेस मैन पर भी बैन लगा देता है।
ये भी पढ़ें: PM मोदी की गारंटी का दिखा कमाल, ईरानी कब्जे में कैद भारतीय चालक दल की महिला सदस्य सुरक्षित पहुंची इंडिया
अंतरराष्ट्रीय राजनीति, ग्लोबल इकोनॉमी, सुरक्षा मुद्दों, टेक प्रगति और विश्व घटनाओं की गहराई से कवरेज पढ़ें। वैश्विक संबंधों, अंतरराष्ट्रीय बाजार और बड़ी अंतरराष्ट्रीय बैठकों की ताज़ा रिपोर्ट्स के लिए World News in Hindi सेक्शन देखें — दुनिया की हर बड़ी खबर, सबसे पहले और सही तरीके से, सिर्फ Asianet News Hindi पर।