बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास के बाद एक और संत गिरफ्तार

Published : Nov 30, 2024, 05:36 PM ISTUpdated : Nov 30, 2024, 11:39 PM IST
Shyam Das Prabhu

सार

इस्कॉन पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद अब श्याम दास प्रभु को भी चटगांव में गिरफ्तार किया गया है। जेल में चिन्मय कृष्ण दास से मिलने पहुंचे थे श्याम दास प्रभु।

Bangladesh Priest arrest row: बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस्कॉन के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का मामला अभी थमा ही नहीं था कि एक और संत श्याम दास प्रभु को अरेस्ट कर लिया गया है। श्याम दास प्रभु, जेल में चिन्मय कृष्ण दास से मिलने पहुंचे थे तो उनको अरेस्ट किया गया। यह गिरफ्तारी चटगांव में हुई है। उधर, इस्कॉन कोलकाता के प्रवक्ता ने संत श्याम दास प्रभु के अलावा दो और साधुओं की गिरफ्तारी किए जाने की जानकारी पोस्ट की है। उन्होंने यह भी कहा कि चिन्मय कृष्ण दास का सेक्रेटरी भी लापता है।

देशद्रोह के एक मामले में गिरफ्तार

बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण चेतना सोसायटी (इस्कॉन) के पूर्व सदस्य हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को सोमवार को देशद्रोह के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। चिन्मय कृष्ण दास को अगले दिन मंगलवार को चटगांव की एक अदालत में पेश किया गया। कोर्ट ने जमानत याचिका को खारिज कर उनको जेल भेज दिया। महंत चिन्मय कृष्ण दास पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज वाले एक स्टैंड पर कथित तौर पर झंडा फहराने से जुड़े देशद्रोह के आरोप हैं।

इस्कॉन कोलकाता के प्रवक्ता ने दी दो और संन्यासियों की गिरफ्तारी जानकारी

इस्कॉन कोलकाता के प्रवक्ता राधारमण दास ने हिंदू संन्यासी की गिरफ्तारी पर एक्स पर पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा कि एक और ब्रह्मचारी श्याम दास प्रभु को शुक्रवार को चटगाँव पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद दो और संन्यासियों को अरेस्ट कर लिया गया है। ये लोग चिन्मय प्रभु से मिलने गए थे। जबकि चिन्मय प्रभु का सेक्रेटरी अभी भी लापता है।

भारत सरकार ने चिन्मय कृष्ण दास के अरेस्ट पर क्या कहा?

भारत के विदेश मंत्रालय ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर आपत्ति जताते हुए कहा कि हमने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और जमानत से इनकार किए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की है। यह घटना बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर कई हमलों के बाद हुई है। अल्पसंख्यकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आगजनी और लूटपाट की गई। देवताओं और मंदिरों को अपवित्र किया गया है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन घटनाओं के अपराधी अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं, जबकि शांतिपूर्ण सभाओं के माध्यम से वैध मांगें करने वाले धार्मिक नेता के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। हम बांग्लादेश के अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं। इसमें शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भी शामिल है। पढ़िए पूरी खबर…

 

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