
Israel-Hamas Ban: मीडिल ईस्ट में तनाव के बीच इजराइल ने भारत से हमास (Hamas) को आतंकवादी संगठन घोषित करने की अपील की है। इजराइली अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और ईरान समर्थित नेटवर्क के साथ हमास के बढ़ते संबंध भारत और इजराइल दोनों के लिए गंभीर सुरक्षा खतरा पैदा कर रहे हैं। इजराइल के विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया से कहा, 'हम भारत से अनुरोध करते हैं कि वह हमास जैसे संगठनों को आतंकवादी घोषित करने के लिए ठोस कदम उठाए। जैसे इजराइल ने लश्कर-ए-तैयबा को पहले घोषित किया था, हमें भारत से भी ऐसा ही सहयोग चाहिए।"
इजराइली अधिकारियों का दावा है कि भारत को ईरान समर्थित समूहों और वैश्विक आतंक नेटवर्क के बढ़ते कनेक्शन की जानकारी है। उनका कहना है कि हमास को बैन करने से पड़ोसी देशों जैसे बांग्लादेश, मालदीव और नेपाल में आतंकवाद विरोधी नीतियों पर पॉजिटिव असर पड़़ेगा। IDF के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल नादाव शोशनी ने कहा, 'यह सिर्फ संपत्ति फ्रीज करने या आतंकियों पर प्रतिबंध लगाने की बात नहीं है। यह संदेश देता है कि कोई भी हमास का सक्रिय सदस्य भारतीय जमीन पर कदम नहीं रख सकता।'इजराइल का कहना है कि हमास और लश्कर-ए-तैयबा के बीच गहरे ऑपरेशनल तालमेल देखने को मिल रहा है और ईरान अंतरराष्ट्रीय अपराध नेटवर्क का उपयोग करके छिपे हुए हमले कर रहा है।
इजराइल ने भारत से अपील किया है कि वह UNRWA (फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी) को दिए जाने वाले वित्तीय मदद पर फिर से विचार करे। 2024-25 में भारत ने UNRWA को 5 मिलियन डॉलर का योगदान दिया था। इजराइल का आरोप है कि इस एजेंसी में हमास की पैठ है। हालांकि, भारत की लॉन्ग टर्म पॉलिसी पश्चिम एशिया में संतुलन बनाए रखने की रही है।
इजराइली अधिकारियों का कहना है कि जून में हुए वॉर और अमेरिका के ईरानी न्यूक्लियर साइट्स पर हमलों के बावजूद ईरान ने अपनी क्षेत्रीय रणनीति नहीं बदली। 'हमने सोचा था कि युद्ध के बाद ईरान की नीति बदलेगी, लेकिन वे हमास और हिजबुल्लाह जैसे प्रॉक्सी ग्रुपो को दोगुना कर रहे हैं।' अधिकारी ने कहा। उन्होंने अमेरिकी दबाव को भी अपर्याप्त बताया। उनका मानना है कि सिर्फ प्रतिबंध और संगठनात्मक घोषणाएं पर्याप्त नहीं हैं, सख्ती से लागू करने की जरूरत है।
इजराइल की सबसे बड़ी चिंता अफ्रीका में ईरान का बढ़ता प्रभाव है, खासकर हॉर्न ऑफ अफ्रीका में। सूडान को ईरान का संभावित 'एक्सिस ऑफ रेसिस्टेंस' केंद्र माना जा रहा है। इजराइली अधिकारियों के अनुसार, ईरान पहले से ही ड्रोन, हथियार और खुफिया जानकारी सूडानी सशस्त्र बलों को सप्लाई कर रहा है। सूडान की रणनीतिक स्थिति रेड सी के किनारे इसे ईरान के लिए महत्वपूर्ण आधार बनाती है।
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