
Israel Iran Conflict: इजरायल और ईरान के बीच हो रही हर गुजरते दिन के साथ तेज हो रही है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को बिना शर्त तत्काल आत्मसमर्पण करने के लिए कहा है। इसपर ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने साफ कहा है कि उनका देश सरेंडर नहीं करने वाला। इसके बाद ट्रंप ने एक सप्ताह से भी कम में ईरान पर अटैक करने की धमकी दी है। आइए जानते हैं अमेरिका इसके लिए किस तरह की तैयारी कर रहा है।
अमेरिका ने मध्य पूर्व में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाई है। इसका उद्देश्य इजरायल को ईरानी हमलों से बचाना और क्षेत्र में अमेरिकी सेना की रक्षा करना है। अमेरिकी सेना के मुख्यालय पेंटागन ने मध्य पूर्व में अतिरिक्त लड़ाकू विमान और हवा में ईंधन भरने वाले टैंकर भेजे हैं। समुद्र में रणनीतिक स्थानों पर युद्धपोतों को फिर से तैनात किया गया है।
अमेरिका ने मध्य पूर्व में अपने लड़ाकू विमानों और बॉम्बर विमानों की संख्या बढ़ाई है। एक दर्जन F-16 को सऊदी अरब में ट्रांसफर किया गया है। अमेरिकी लड़ाकू विमान अब पूरे क्षेत्र में आसमान में गश्त कर रहे हैं। डिएगो गार्सिया में B-52 बमवर्षक तैयार हैं। यहां अभी तक B-2 स्टील्थ बमवर्षक को तैनात नहीं किया गया है। ये विमान 30,000 पाउंड के "बंकर बस्टर" बम को ले जाने में सक्षम हैं। अमेरिकी वायु सेना ने इंग्लैंड, स्पेन, जर्मनी और ग्रीस सहित यूरोप भर में रणनीतिक स्थानों पर अतिरिक्त ईंधन भरने वाले विमान और लड़ाकू जेट तैनात किए हैं।
अमेरिकी युद्धपोत ईरानी मिसाइलों को रोक रहे हैं। यूएसएस द सुलिवन और यूएसएस आर्ले बर्क जैसे डिस्ट्रॉयर इजरायल को बचाने में जुटे हैं। अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस कार्ल विंसन और उसका स्ट्राइक ग्रुप अरब सागर में तैनात है। वहीं, यूएसएस निमित्ज भी इलाके में मौजूद है। यूएसएस गेराल्ड आर. फोर्ड अगले सप्ताह के भीतर यूरोपीय थिएटर ऑफ कमांड में तैनात होने वाला है।
अमेरिका मध्य पूर्व में सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा है। अमेरिकी नौसेना का तीसरा डिस्ट्रॉयर पूर्वी भूमध्य सागर में प्रवेश कर चुका है। एक अन्य विमान वाहक समूह अरब सागर की ओर बढ़ रहा है। मध्य पूर्व में अमेरिकी सैनिकों की संख्या सामान्य 30,000 से बढ़कर लगभग 40,000 हो गई है।
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