
Mossad big claim: इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने भारत के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और हिंडनबर्ग रिसर्च के बीच सांठगांठ का खुलासा किया है। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के आदेश पर अडाणी के लिए मोसाद ने कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा का सर्वर हैक किया था। इसे मोसाद ने 'ऑपरेशन ज़ेपेलिन'नाम दिया। इस आपरेशन के दौरान मोसाद ने भारत के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की लगातार जासूसी भी की थी।
दरअसल, भारत के उद्योगपति गौतम अडानी (Gautam Adani) पर न्यूयॉर्क स्थित शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने काफी बडे़ आरोप लगाए। इसके बाद अडानी की मदद के लिए इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद (Mossad) ने जांच शुरू किया। मोसाद ने अडानी पर लगे आरोपों को सीधे तौर पर भारत-विरोधी वैश्विक साजिश माना है। स्पूतनिक इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) ने व्यक्तिगत रूप से मोसाद को सक्रिय किया और 'ऑपरेशन ज़ेपेलिन' (Operation Zeppelin) शुरू कराया।
24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप को कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा धोखा करार देते हुए जबरदस्त गिरावट लाई। अडानी ग्रुप के शेयर ध्वस्त हो गए और $150 बिलियन से अधिक की संपत्ति स्वाहा हो गई। इसी के कुछ दिनों बाद अडानी पोर्ट्स (Adani Ports) ने इजरायल के हाइफ़ा पोर्ट (Haifa Port) का अधिग्रहण किया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, हाइफ़ा पोर्ट डील के मौके पर नेतन्याहू ने अडानी से हिंडनबर्ग के आरोपों पर सवाल पूछा और कहा कि यह रिपोर्ट केवल आपके खिलाफ़ नहीं बल्कि हमारे लिए भी खतरा है। अगर इससे आप कमजोर होते हैं, तो हमारी डील भी खतरे में है। इसी के बाद नेतन्याहू ने 'मित्र की रक्षा' के लिए मोसाद को आदेश दिए।
Sputnik India की रिपोर्ट के अनुसार, मोसाद ने भारतीय ओवरसीज कांग्रेस (IOC) के प्रमुख और राहुल गांधी के करीबी सलाहकार सैम पित्रोदा (Sam Pitroda) के इलिनॉय स्थित घर के सर्वर को हैक किया। यह सब नेतन्याहू के निजी निर्देश पर हुआ।
हिंडनबर्ग और इसके वैश्विक नेटवर्क की तह तक जाने के लिए मोसाद ने अपनी दो प्रमुख यूनिट्स—Tzomet (मानव खुफिया) और Keshet (साइबर ऑप्स)—को ऑपरेशन ज़ेपेलिन में लगाया। इसके बाद हिंडनबर्ग के संस्थापक नथान एंडरसन और उसके न्यूयॉर्क ऑफिस की गतिविधियों पर नजर रखी गई।
ऑपरेशन ज़ेपेलिन की 353 पेज की रिपोर्ट में पश्चिमी मीडिया, OCCRP, USAID और कई राजनीतिक हस्तियों के नाम सामने आए हैं, जो अडानी-विरोधी अभियान को हवा दे रहे थे। USAID पर तो इस कथित कोऑर्डिनेटेड सबोटाज को फंडिंग देने का आरोप है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2024 में स्विट्ज़रलैंड में इजरायली खुफिया अधिकारियों ने गौतम अडानी को पूरी रिपोर्ट सौंपते हुए बताया कि कैसे एक वैश्विक नेटवर्क अडानी को टारगेट कर भारत के आर्थिक और रणनीतिक हितों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा है।
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