
Iran Israel War: ईरान और इजरायल के बीच सैन्य टकराव एक बार फिर शुरू हो गया है। शुक्रवार सुबह इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों और सैन्य अधिकारियों को निशाना बनाकर हमला किया। जवाब में ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइल दागे। इस लड़ाई के बीच बहुत से लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि दोनों में कौन सा देश अधिक ताकतवर है। आइए जानते हैं।
Global Fire Power के अनुसार सैन्य शक्ति के मामले में ईरान और इजरायल के बीच बहुत अंतर नहीं हैं। इजरायल सैन्य ताकत के मामले में दुनिया में 15 वें स्थान पर है। वहीं, ईरान 16वें स्थान पर। इजरायल के पक्ष में एक बात जाती है वह है अमेरिका का साथ।
इजरायल के पास अत्याधुनिक हथियार हैं। इसकी एयरफोर्स दुनिया के सबसे ताकतवर वायु सेनाओं में गिनी जाती है। इसके पास दुनिया का सबसे बेहतर एयर डिफेंस सिस्टम है। दूसरी ओर ईरान के पास अत्याधुनिक लड़ाकू विमान और एयर डिफेंस सिस्टम नहीं हैं। ईरान ने मिसाइल और ड्रोन के मामले में बहुत काम किया है। उसके बाद कई तरह के ताकतवर बैलिस्टिक मिसाइल हैं, जिससे भारी नुकसान पहुंचाया जा सकता है।
सैनिकों की संख्या के मामले में इजरायल पर ईरान को भारी बढ़त है। इजरायल आकार में छोटा और कम जनसंख्या वाला देश है। दूसरी ओर ईरान आकार और आबादी दोनों में इजरायल से काफी बड़ा है। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (IISS) के अनुसार ईरान की नियमित सेना, इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) और अर्धसैनिक बल में कुल मिलाकर 6 लाख से अधिक सक्रिय सैनिक हैं। अतिरिक्त रिजर्व जवानों की संख्या 3 लाख है। इस तरह कुल सैनिकों की संख्या 9 लाख से अधिक है। IRGC अपनी खुद की जमीनी, नौसैनिक और एयरोस्पेस इकाइयां चलाता है। यह घरेलू और विदेशी दोनों तरह के रणनीतिक अभियानों में प्रमुख भूमिका निभाता है।
इजरायल की सेना IDF (Israel Defense Forces) में लगभग 170,000 सक्रिय सैनिक हैं। इसके पास करीब 460,000 रिजर्व जवान हैं। इजरायल के सैनिक संख्या में कम भले हों, लेकिन वे दुनिया के सबसे आधुनिक हथियारों से लैस हैं।
एयरफोर्स के मामले में ईरान इजरायल के पास कहीं नहीं टिकता। इजरायल के पास F-35I जैसा पांचवीं पीढ़ी का अत्याधुनिक लड़ाकू विमान है। इसके पास F-15 और F-16 जैसे ताकतवर फाइटर जेट्स हैं। यह हवा में विमान में इंधन भरने वाले टैंकर, AWACS निगरानी विमान और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्लेटफॉर्म से लैस है।
ईरान के लड़ाकू विमान पुराने हैं। इसके पास अमेरिकी F-4 और F-5, सोवियत युग के मिग-29 और कुछ स्वदेशी लड़ाकू विमान हैं। कहा जा रहा है कि इसने रूस से नए फाइटर जेट्स लिए हैं। ईरान अपने हवाई क्षेत्र की रक्षा के लिए सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (SAM) पर अधिक निर्भर है।
ईरान ने मिसाइल और ड्रोन के मामले में अच्छी प्रगति की है। अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भी इसने खुद से ताकतवर मिसाइल और ड्रोन विकसित किए हैं। यूक्रेन की लड़ाई में रूस ने ईरान से ड्रोन लेकर इस्तेमाल किया है।
ईरान के पास मध्य पूर्व में सबसे बड़ा बैलिस्टिक मिसाइल भंडार है। अमेरिकी और इजरायली खुफिया एजेंसियों के अनुसार ईरान के पास शहाब-3, फतेह-110, सेज्जिल और 300 से 2,000 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली नई ठोस ईंधन वाली मिसाइलें हैं। ईरान के पास निगरानी और कामिकेज दोनों भूमिकाओं के लिए शाहेद-136, मोहजर-6 और अबाबिल-3 जैसे ड्रोन हैं।
दूसरी ओर इजरायल के पास छोटी दूरी से लेकर लंबी दूरी तक मार करने वाले ताकतवर मिसाइल हैं। यह अपने जेरिको मिसाइल से परमाणु हमला भी कर सकता है। इजरायल ड्रोन तकनीक में भी दुनिया में आगे है।
इजरायल के पास दुनिया का सबसे आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम है। इसका आयरन डोम इतना ताकतवर है कि छोटे आकार के रॉकेट को भी रोक देता है। इसके पास मल्टीलेयर मिसाइल डिफेंस नेटवर्क है। आयरन डोम सिस्टम कम दूरी के रॉकेटों को रोकने के लिए है। डेविड्स स्लिंग और एरो-2/3 बैलिस्टिक मिसाइलों सहित मध्यम और लंबी दूरी के खतरों को हवा में खत्म करती है। इसने ईरान के जवाबी हमलों को रोकने में बड़ी भूमिका निभाई है।
ईरान ने अपने एयर डिफेंस सिस्टम नेटवर्क का आधुनिकीकरण किया है, लेकिन इसमें अभी भी कुछ कमियां हैं। ईरान के पास रूसी S-300 सिस्टम हैं। इसने बावर-373 और खोरदाद-15 जैसे स्वदेशी प्लेटफॉर्म विकसित किए हैं। हाल ही में इजरायली हमलों ने कथित तौर पर सीमित प्रतिरोध के साथ इन सुरक्षाओं को भेद दिया। इससे ईरान के एयर डिफेंस क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं।
ईरान के पास दो अलग-अलग नौसेना कमान हैं। एक नियमित ईरानी नौसेना (IRIN) और दूसरी IRGC नौसेना। इसके पास तेजी से हमला करने वाली नौकाएं और मिसाइल से लैस स्पीडबोट हैं। इससे वह होर्मुज जलडमरूमध्य में शिपिंग को बाधित कर सकता है। ईरान के पास कई डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां हैं। ये एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस हैं।
इजरायल की नौसेना आकार में छोटी, लेकिन तकनीकी रूप से अधिक एडवांस है। इसके पास डॉल्फिन-क्लास की सबमरीन हैं। ये परमाणु हमला करने वाली क्रूज मिसाइलों को लॉन्च कर सकती हैं। इसके पास Sa’ar-class के कोरवेट्स हैं।
माना जाता है कि इजरायल के पास 80 से 200 न्यूक्लियर वारहेड्स हैं। ये जेरिको III मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों को लॉन्च करने में सक्षम डॉल्फिन-क्लास पनडुब्बियों और परमाणु करने में सक्षम F-15I और F-16I विमानों के दागे जा सकते हैं। इजरायल "परमाणु अस्पष्टता" की नीति रखता है। इसका मतलब है कि यह ऐसे हथियारों के अस्तित्व की न तो पुष्टि करता है और न ही इनकार। दूसरी ओर ईरान भी परमाणु हथियार विकसित कर रहा है। जानकारों को शक है कि इसके पास बम बनाने लायक यूरेनियम है।
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