पाकिस्तान की मौजूदा तहरीक-ए-इंसाफ-पार्टी की सरकार इस वक्त अपने कार्यकाल के सबसे मुश्किल दौर में है। इमरान खान की सरकार गरीबी, बेरोजगारी, डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये की लगातार खस्ता होती हालत और ध्वस्त अर्थव्यवस्था से परेशान हैं। इमरान खान की सरकार हटाने के लिए जमीयत-उलेमा-ए-इस्लाम पिछले पांच दिन से पाकिस्तान के अलग-अलग प्रांतों से आजादी मार्च को लेकर इस्लामाबाद पहुंच रहा है। 31 अक्टूबर को इस्लामाबाद में इमरान सरकार के खिलाफ सबसे बड़ा आंदोलन होना था लेकिन पाकिस्तान में ट्रेन हादसा होने के कारण इस प्रदर्शन को 1 दिन आगे बढ़ा कर शुक्रवार यानी 1 नवंबर कर दिया।
इस्लामाबाद. पाकिस्तान की मौजूदा तहरीक-ए-इंसाफ-पार्टी की सरकार इस वक्त अपने कार्यकाल के सबसे मुश्किल दौर में है। इमरान खान की सरकार गरीबी, बेरोजगारी, डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये की लगातार खस्ता होती हालत और ध्वस्त अर्थव्यवस्था से परेशान हैं। इमरान खान की सरकार हटाने के लिए जमीयत-उलेमा-ए-इस्लाम पिछले पांच दिन से पाकिस्तान के अलग-अलग प्रांतों से आजादी मार्च को लेकर इस्लामाबाद पहुंच रहा है। 31 अक्टूबर को इस्लामाबाद में इमरान सरकार के खिलाफ सबसे बड़ा आंदोलन होना था लेकिन पाकिस्तान में ट्रेन हादसा होने के कारण इस प्रदर्शन को 1 दिन आगे बढ़ा कर शुक्रवार यानी 1 नवंबर कर दिया।
इमरान सरकार पाकिस्तान में चीन की बढ़ती घुसपैठ, भारत में कश्मीर की हालिया कोशिशों का जवाब न दे पाने और तमाम अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर लगातार किरकिरी कराकर विपक्ष के निशाने पर हैं। अब कट्टरवादी ताकतों ने इमरान सरकार पर आखिरी शिकंजा कस दिया है। खासकर जमीयत-उलेमा-ए-इस्लाम चीफ फजलुर रहमान ने पिछले कुछ महीनों से पाकिस्तान की सियासत में तूफान मचा दिया है और एक हफ्ते से मौजूदा सरकार को हटाने के लिए आजादी मार्च कर रहा है।
कश्मीर के बहाने अपदस्थ करने की कोशिश
रहमान, कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से इमरान सरकार पर वहां के लोगों की मदद न कर पाने का आरोप लगा रहा है। उसका आरोप है कि चुनाव से पहले जिन वादों के आधार पर करीब 14 महीने पहले इमरान पाकिस्तान की सत्ता में काबिज हुए थे अब तक उन्हें पूरा करने में पूरी तरह से नाकाम हुए हैं। रहमान इस नाकामी पर इमरान सरकार से "आजादी" की मांग करते हुए मार्च निकाल रहा है।
जरदारी, शरीफ का भी मिला समर्थन
समूचे पाकिस्तान में 25 अक्टूबर को शुरू हुआ मार्च 1 नवंबर को इस्लामाबाद पहुंच रहा है जहां इमरान को घेरने की प्लानिंग है। दिलचस्प यह है कि रहमान के मार्च को पाकिस्तान में जबरदस्त समर्थन हासिल हो रहा है। मार्च को पाकिस्तानी आवाम का सपोर्ट तो मिल ही रहा है कट्टरपंथी मदरसे भी इसके समर्थन में हैं। नवाज शरीफ और जरदारी समेत अधिकांश विपक्ष ने भी मार्च को पूरा समर्थन दिया है।
आजादी मार्च को भारी सपोर्ट
पाकिस्तान के सभी प्रांतों से मिले भारी सपोर्ट की वजह से आजादी मार्च में इंसानी सैलाब देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि रहमान का आजादी मार्च इमरान के लिए सिरदर्द बन चुका है जिसका उनके पास कोई इलाज नहीं है। पिछले कुछ महीनों में इमरान जिस तरह से तमाम मामलों पर फेल साबित हुए हैं, सेना और आईएसआई का उनके ऊपर से भरोसा कम हो चुका है।
तालिबानी सोच का है फजलुर रहमान
भारत के खिलाफ जहर उगलने वाला 66 साल का फजलुर रहमान पाकिस्तान का कट्टरपंथी धार्मिक नेता है। वह जमीयत-उलेमा-ए-इस्लाम का चीफ है। उसकी सोच तालिबानी है। 2004 से 2007 के बीच वह विपक्ष का नेता भी रह चुका है। माना जा रहा है कि रहमान के पक्ष में बने माहौल को देखते हुए विपक्षी पार्टियों को लग रहा है कि वो इमरान की सत्ता को अपदस्थ कर देगा।
यही वजह है कि रहमान को सभी पार्टियों का सपोर्ट मिला हुआ है। आजादी मार्च 1 नवंबर को इस्लामाबाद में दाखिल हो रहा है। अब देखना है कि क्या इमरान अपने भस्मासुर तालिबानी नेता से बचने का रास्ता निकाल पाते हैं या उनकी सरकार "आजादी मार्च" का शिकार हो जाएगी।