पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को चैलेंज करने वाले नेता ने पीएम मोदी से मांगी मदद, भारत में रहने की जताई इच्छा

पाकिस्तान की मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट के संस्थापक अल्ताफ हुसैन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भारत में रहने की अनुमति मांगी है। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 17, 2019 6:02 PM IST

नई दिल्ली. पाकिस्तान की मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट के संस्थापक अल्ताफ हुसैन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भारत में रहने की अनुमति मांगी है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को PoK के मुद्दे पर चैलेंज करके सुर्खियां बटोरने वाले इस नेता ने कहा है कि यदि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यदि इजाजत दें तो वे भारत की यात्रा करना चाहते हैं। उनके दादा-दादी और दोस्तों की कब्रें वहीं हैं और भारत जाकर अल्ताफ उनकी कब्रों को देखना चाहते हैं।

अल्ताफ हुसैन और उनके साथियों पर आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाया गया है, जिसके बाद से अल्ताफ हुसैन लंदन में रह रहे हैं। पाकिस्तानी मीडिया ने रविवार को जानकारी दी कि अल्ताफ ने भारत में शरण और आर्थिक मदद की गुहार लगाई है। 2016 में अल्ताफ हुसैन ने ब्रिटेन से ही अपने पाकिस्तानी समर्थकों को भड़काऊ भाषण दिया था। इस मामले पर इसी साल 10 अक्टूबर को ब्रिटेन की क्राउन प्रोसिक्यूशन सर्विस ने हुसैन पर आतंकवाद से जुड़ा मामला दर्ज किया था।

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आतंकवाद से जुड़ा मामला दर्ज होने के बाद जमानत शर्तों के तहत ब्रिटेन की पुलिस ने उनका पासपोर्ट जमा करा लिया है। अगले साल जून 2020 में अल्ताफ हुसैन के खिलाफ स्टैंड ट्रायल होना है। इस घटना के के बाद अल्ताफ हुसैन ने भारत आने की इच्छा जाहिर की है। 

इमरान को चैलेंज कर हुए थे फेमस
इसी साल सितंबर के महीने में अल्ताफ हुसैन ने  'सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा' गाना गा कर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को चैलेंज किया था कि हिम्मत है तो पाकिस्तान PoK को अपने देश में मिलाकर दिखाए। बंटवारे से पहले अल्ताफ हुसैन के पिता आगरा में रहते थे और भारतीय रेलवे में नौकरी करते थे। 1947 में विभाजन के बाद उनका परिवार पाकिस्‍तान के कराची में रहने लगा। 1984 में  अल्ताफ हुसैन ने मुहाजिरों का नेतृत्व और उनके अधिकार की लड़ाई के लिए पाकिस्तान मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट शुरू किया था। मुहाजिर वो रिफ्यूजी होते हैं, जो आजादी के बाद भारत से पाकिस्तान गए थे। 1988 से पूरे सिंध इलाके में अल्‍ताफ हुसैन का बोलबाला था। कुछ लोग उनको पीर का दर्जा भी देने लगे, पर कराची में राजनीतिक हिंसा शुरू होने के बाद वो ब्रिटेन चले गए।

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