'मेड इन चाइना' पैसेंजर जेट ने भरी उड़ान, क्या समय आ गया है कि भारत भी करे यात्री विमानों का निर्माण?

हाल ही में 'मेड इन चाइना' पैसेंजर जेट ने उड़ानें शुरू कर दी हैं। वर्तमान की स्थिति को देखते हुए विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि भारत को भी यात्री विमानों का निर्माण करना चाहिए।

 

Made in China Passenger Jet. चीन ने पैसेंजर जेट बनाने की बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। यदि भारत को भी चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करनी है और यात्री विमान बनाने हैं तो उद्योग विशेषज्ञों के साथ सरकार और प्राइवेट सेक्टर को एक साथ काम करना होगा। जानकारी दे रहे हैं एयरोस्पेस एंड डिफेंस एनालिस्ट गिरीश लिंगन्ना।

चीन ने तैयार कर लिया पैसेंजर जेट

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कुछ दिन पहले चीन के घरेलू स्तर पर यात्री विमान C919 का सफलतापूर्वक उद्घाटन किया। इस कमर्शियल उड़ान के साथ ही चीन नागरिक उड्डयन मार्केट में एंट्री कर चुका है। यह उपलब्धि बोइंग और एयरबस जैसे पश्चिमी समकक्षों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के चीन के प्रयास का हिस्सा है। C919 की पहली वाणिज्यिक उड़ान चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस द्वारा संचालित की जा रही है। यह शंघाई से बीजिंग तक चलाई जा रही है। इस यात्री विमान में 128 पैसेंजर बैठ सकते हैं। चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार यह फ्लाइट शंघाई से बीजिंग की दूरी को 2 घंटे 25 मिनट में पूरी कर रहा है। C919 विमानों के लिए लगभग 60 प्रतिशत पुर्जों की आपूर्ति अमेरिकी कंपनियों द्वारा की गई है। C919 का इंजन CFM इंटरनेशनल से लिया गया है। यह US के GE Aerospace और फ्रांस के Safran Aircraft Engines के बीच का संयुक्त उद्यम है। मिशेलिन, फ्रेंच टायर की दिग्गज कंपनी ने C919 के टायरों की आपूर्ति की है। जबकि टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम यूएस-मुख्यालय वाली कंपनी क्रेन एयरोस्पेस एंड इलेक्ट्रॉनिक्स द्वारा प्रदान की गई है।

यात्री विमान बनाने में भारत की क्षमता

यह अक्सर जिज्ञासा जगाता है कि भारतीय कॉकपिट में बैठना और इंजीनियरिंग के चमत्कारों को देखना कैसा होगा। कई लोग सोच सकते हैं कि क्या हमें कभी भारत में निर्मित विमान में उड़ान भरने का अवसर मिलेगा। जानकारी के अनुसार 2022 और 2040 के बीच भारतीय विमानन बाजार को लगभग 2200 नए विमानों की आवश्यकता होगी। यह देश के वर्तमान कमर्शियल बेड़े से तीन गुना ज्यादा होगा। हालांकि चीन को 2040 तक लगभग चार गुना नए विमानों की आवश्यकता होगी। बीजिंग में उत्पादित घरेलू नागरिक विमान उस विशेष बाजार में बोइंग और एयरबस जैसे स्थापित निर्माताओं के लिए संभावित चुनौती पेश कर सकते हैं।

मेक इन इंडिया जेट की प्रमुख चुनौतियां

भारत में डिजाइन और निर्मित यात्री विमान को विकसित करने में मुख्य चुनौती वित्तीय निवेश की है। एक दशक से अधिक के विकास के बाद, चीन का पहला घरेलू उत्पादित यात्री जेट, C919 राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बन चुका है। अमेरिकी थिंक-टैंक का अनुमान है कि C919 के विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए चीन के वाणिज्यिक विमान निगम को 2008 और 2020 के बीच $49 बिलियन से $72 बिलियन तक की वित्तीय सहायता की आश्चर्यजनक राशि प्राप्त हुई। इसके विपरीत भारत पांच साल की अवधि में महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के लिए उस सीमा तक करीब 29 बिलियन डॉलर आवंटित करने की योजना बना रहा है।

कैसे भारत कर सकता है पैसेंजर जेट का निर्माण

चीन से अलग रुख अपनाकर भारत अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकता है। यह देखते हुए कि हवाई यात्रा की दूरी के मामले में भारत भौगोलिक रूप से विस्तृत देश नहीं है। अधिकांश घरेलू उड़ानें दो घंटे से कम समय की होती हैं। लेकिन भारत की बड़ी आबादी को देखते हुए टर्बोप्रॉप विमानों में मांग हो सकती है। इस चुनौती का समाधान करने के लिए भारत के भीतर कम दूरी के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए बड़े टर्बोप्रॉप विमान को विकसित करने की क्षमता का पता लगाने के लिए क्रांतिकारी कदम उठाया जा सकता है। यदि भारत का उद्देश्य चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करना है यानि घरेलू यात्री विमान बनाने हैं तो कई कदम उठाने होंगे। रॉसेल इंडिया के निदेशक ऋषभ गुप्ता कहते हैं इसके लिए सरकारी इकाई और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग की मजबूत जरूरत होगी। इसके अलावा वैश्विक मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) के साथ साझेदारी आवश्यक होगी। उदाहरण के रूप में रॉसेल टेकसिस प्रतिष्ठित 'बोइंग सप्लायर ऑफ द ईयर' पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली भारतीय निर्माण कंपनी बन गई है। जिसने पिछले पांच वर्षों में दो बार यह गौरव हासिल किया है। यह उद्योग की संभावनाओं को दर्शाता है।

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