इंग्लैड की राजधानी लंदन में कई स्थानों का रिश्ता महात्मा गांधी से है और भारतीय हाई कमीशन इन्हीं स्थानों का इस्तेमाल गांधी की 150 जयंती का उत्सव मनाने के लिए कर रही है।
लंदन (London). मोहनदास करमचंद गांधी अपने 19वें जन्मदिन से पहले कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड पहुंचे थे और ऐसा कहा जाता है कि वह जल्द ही लंदन की जिंदगी में पूरी तरह से ढल गए थे। इंग्लैड की राजधानी लंदन में कई स्थानों का रिश्ता महात्मा गांधी से है और भारतीय हाई कमीशन इन्हीं स्थानों का इस्तेमाल गांधी की 150 जयंती का उत्सव मनाने के लिए कर रही है।
पोरबंदर के सकुचाए से युवक से बने एक आत्मविश्वासी वकील
प्रमुख ब्रिटिश-भारतीय शिक्षाविद् लॉर्ड मेघनाद देसाई ने कहा, "गांधी को लंदन बहुत पसंद आया था। वह अपने 19वें जन्मदिन से ठीक पहले यहां पहुंचे थे। वे पोरबंदर से आए एक सकुचाए से युवक थे और लंदन की जीवनशैली को अपनाने के लिए बेकरार थे।" देसाई ब्रिटिश-भारतीय शिक्षक हैं और उन्होंने हाल ही में महात्मा गांधी के नाम से कई स्कॉलरशिपस् शुरू की हैं और वह गांधी स्टैच्यू मेमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा, "बाद में जब वह तीन साल बाद यहां से गए तब एक वकील के रूप में आत्मविश्वासी युवा व्यक्ति बन चुके थे।"
शहर से प्रभावित होकर लिखी थी 'गाइड टू लंदन'
पुराने रिकॉर्ड से पता चलता है कि भारत से आने वाले ज्यादातर छात्रों की अपेक्षा गांधी की निकटता यहां के स्थानीय लोगों से ज्यादा थी। गांधी इस शहर में शाकाहारी खाने की तलाश करते हुए कई तरह के विचारों के लोगों के नजदीक आ गए। इसमें अराजकतावादी, समाजवादी और ईसाई थे। शहर के कोने से कोने से परिचित होते हुए उन्होंने 'गाइड टू लंदन' का ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया। हालांकि यह प्रकाशित नहीं हुआ।
गांधी की पसंदीदा जगह लंदन में होंगे कई कार्यक्रम
ट्राफलगर स्क्वायर के निकट द विक्टोरिया नाम के प्रसिद्ध होटल में कुछ समय तक महात्मा गांधी रूके भी थे। इसे देखते हुए भारतीय हाई कमीशन ने यहां 'वैल्युज एंड टीचिंग्स ऑफ महात्मा' पर विशेष बातचीत का आयोजन किया है। आने वाले हफ्ते में ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयों में गांधी जयंती मनाई जाएगी लेकिन लंदन में सबसे ज्यादा कार्यक्रम होंगे क्योंकि यह ऐसा शहर है, जो गांधी को बहुत पसंद था।
[यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है]