
Protest in Nepal: नेपाल में सोशल मीडिया पर बैन के खिलाफ उग्र विरोध प्रदर्शन हुआ है। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई है। इसके चलते 16 लोगों की मौत हो गई और 100 घायल हुए। प्रदर्शनकारी संसद भवन में घुस गए। संसद भवन क्षेत्र और काठमांडू के अन्य इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है। उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए हैं। सेना को तैनात कर दिया गया है। गृह मंत्री रमेश लेखक ने इस्तीफा दे दिया है।
काठमांडू के साथ ही पोखरा, बुटवल, भैरहवा, भरतपुर, इटाहारी, दमक, विराटनगर, जनकपुर, हेटौडा और नेपालगंज में भी विरोध प्रदर्शन हुए हैं। यहां कर्फ्यू लगा दिया गया है। अस्पतालों में घायलों की भीड़ देखी गई है। पोखरा में मुख्यमंत्री कार्यालय में तोड़फोड़ की गई है। इसके चलते शहीद चौक और आसपास के इलाकों में दोपहर 2 बजे से कर्फ्यू लगा दिया गया। इटाहारी के अधिकारियों ने झड़पों के हिंसक हो जाने के बाद दोपहर 3:30 बजे से अनिश्चितकालीन कर्फ्यू की घोषणा की। बुटवल-भैरहवा में सोमवार शाम 4 बजे से रात 10 बजे तक प्रतिबंध लागू रहे।
नेपाल में केपी शर्मा ओली की सरकार ने 4 सितंबर को फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप और यूट्यूब सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को ब्लॉक कर दिया था। सरकार ने यह कदम सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा नेपाल के कम्युनिकेशन एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय के साथ रजिस्ट्रेशन नहीं कराने के चलते उठाया। इसके खिलाफ सोमवार को राजधानी काठमांडू की सड़कों पर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी जुटे। उन्होंने सरकार के खिलाफ उग्र विरोध प्रदर्शन किया। संसद भवन के पास प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई। प्रदर्शनकारियों ने पत्थर चलाए तो पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे।
विरोध प्रदर्शन में हजारों युवक शामिल हुए हैं। वे इसे 'जेन जेड क्रांति' (Gen Z Revolution) बता रहे हैं। कई प्रदर्शनकारियों ने प्रतिबंधित क्षेत्रों में घुसकर पुलिस बैरिकेड्स तोड़ दिए। जैसे-जैसे झड़पें बढ़ती गईं, पुलिस ने कई जगहों पर गोलीबारी की, जिसके बाद अधिकारियों को राजधानी में कर्फ्यू लगाना पड़ा। संसद क्षेत्र और काठमांडू के अन्य प्रमुख स्थानों पर कर्फ्यू लगा दिया गाय है।
सरकार ने कहा है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन उनके द्वारा रजिस्ट्रेशन नहीं कराने के चलते लगाया गया है। वहीं, प्रदर्शनकारी इसे आलोचनात्मक आवाजों और संगठित असहमति को दबाने के उद्देश्य से की गई सेंसरशिप मानते हैं।
सरकार के खिलाफ विरोध पहले ऑनलाइन शुरू हुआ था। सोमवार को लोग सड़क पर उतर आए। स्थिति काबू में रखने के लिए सरकार ने फोन और इंटरनेट ब्लैकआउट किया था। ऐसे में प्रदर्शनकारियों ने टिकटॉक और रेडिट जैसे वैकल्पिक प्लेटफॉर्म का सहारा लिया। विरोध प्रदर्शन मैतीघर मंडला से शुरू होकर संसद भवन की ओर बढ़ा।
प्रदर्शनकारी संसद के पास पहुंचे तो पुलिस ने बैरिकेड लगा दिए, लेकिन गुस्साई भीड़ ने बैरिकेड तोड़ दिए। इसके बाद अधिकारियों को आंसू गैस छोड़नी पड़ी और पानी की बौछारें करनी पड़ीं। इस अफरा-तफरी के बीच, कुछ प्रदर्शनकारी संसद परिसर में घुसने में कामयाब हो गए। इस घटना के कुछ वीडियो सामने आए हैं। इनमें आंसू गैस के गोले हवा में उड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। प्रदर्शनकारी पुलिस पर टहनियां और पानी की बोतलें फेंक रहे हैं।
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कई प्रदर्शनकारी स्कूल और कॉलेज की ड्रेस में मार्च में शामिल हुए। उनके हाथों में झंडे और तख्तियां थीं। इनपर "स्वतंत्र आवाज हमारा अधिकार है" और "करदाताओं का पैसा कहां गया?, जैसे नारे लिखे थे।"
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