Pakistan-China: 'दोस्ती में दरार डालने वालों को कर देंगे बर्बाद', जानिए चीन-पाक में क्या हुआ लेटेस्ट समझौता

पाकिस्तान (Pakistan) और चीन (China) की सेनाएं इस चुनौतीपूर्ण समय में रक्षा सहयोग और आतंकवाद (Terrorism) विरोधी सहयोग बढ़ाने के लिए सहमत हुई है।
 

Manoj Kumar | Published : Jun 13, 2022 7:10 AM IST / Updated: Jun 13 2022, 01:01 PM IST

इस्लामाबाद/बीजिंग. चीन और पाकिस्तान ने वर्तमान के चुनौतीपूर्ण समय में अपने रक्षा सहयोग को मजबूत करने पर सहमत हो गई हैं। रविवार को पूर्वी चीन के शानदोंग प्रांत की राजधानी किंगदाओ में वाइस चेयरमैन सेंट्रल मिलिट्री कमीशन जनरल झांग यूक्सिया के नेतृत्व में चीनी टीम के साथ पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने महत्पूर्ण बैठक की है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने चीनी सैन्य नेतृत्व के साथ व्यापक बातचीत की है ताकि आगे की कार्रवाई को आगे बढ़ाया जा सके। दोनों देश हर मौसम में रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर सहमत हुए हैं।

पाकिस्तानी सेना का बयान
पाकिस्तान सेना के एक बयान के अनुसार पाकिस्तान के त्रि-सेवा सैन्य प्रतिनिधिमंडल ने 9 से 12 जून तक चीन का दौरा किया। जहां उन्होंने चीनी सेना और अन्य सरकारी विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ व्यापक चर्चा की है। शीर्ष बैठक रविवार को हुई थी जिसमें पाकिस्तानी पक्ष का नेतृत्व जनरल बाजवा ने किया, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व जनरल झांग ने किया। बयान के अनुसार दोनों पक्षों ने अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति पर अपने दृष्टिकोण पर चर्चा की। साथ ही दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग पर संतोष व्यक्त किया।

आतंकवाद विरोधी शपथ 
बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान और चीन ने चुनौतीपूर्ण समय में अपनी रणनीतिक साझेदारी की पुष्टि की और आपसी हित के मुद्दों पर नियमित दृष्टिकोण के आदान-प्रदान को जारी रखने पर सहमत बनी। दोनों देशों ने त्रि-सेवा स्तर प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और आतंकवाद विरोधी सहयोग को बढ़ाने की भी शपथ ली है। जनरल झांग ने कहा कि चीन और पाकिस्तान हमेशा के लिए रणनीतिक सहयोगी साझेदार हैं। उन्होंने कहा कि वर्षों से दोनों पक्षों ने घनिष्ठ समन्वय बनाए रखा है और एक-दूसरे के मूल हितों से संबंधित मुद्दों पर एक-दूसरे का दृढ़ता से समर्थन किया है।

मीटिंग में आतंकवाद का मुद्दा
दोनों देशों के रक्षा प्रमुखों की बैठक में अप्रैल में पाकिस्तान के कराची विश्वविद्यालय में कन्फ्यूशियस संस्थान की शटल वैन पर आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की गई। साथ ही जोर देकर कहा गया कि चीन-पाकिस्तान दोस्ती को कमजोर करने का कोई भी प्रयास विफल किया जाएगा और ऐसे तत्वों को बर्बाद करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी। दरअसल, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) की ओर से एक बुर्का पहने महिला आत्मघाती हमलावर द्वारा 26 अप्रैल को कराची के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में कन्फ्यूशियस संस्थान की एक वैन में विस्फोट कर दिया गया था। जिसमें तीन चीनी शिक्षकों की मौत हो गई थी। तब बीएलए ने कहा था कि वह पाकिस्तान के संसाधन संपन्न बलूचिस्तान प्रांत में चीनी निवेश का विरोध करता है। बीएलए का कहना है कि इससे स्थानीय लोगों को कोई फायदा नहीं होता है। बीएलए ने कई मौकों पर चीनी नागरिकों को निशाना बनाया है, जैसा कि पाकिस्तानी तालिबान करता रहा है। 

चीन ने किया है भारी निवेश
चीन ने बलूचिस्तान प्रांत सहित पूरे पाकिस्तान में बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश किया है। मीटिंग के दौरान जनरल झांग ने कहा कि चीन संचार को मजबूत करने, सहयोग को मजबूत करने, पाकिस्तान के साथ व्यावहारिक आदान-प्रदान को गहरा करने और क्षेत्रीय स्थिति में जटिल मुद्दों को सुलझाने के लिए तैयार है। वहीं जनरल बाजवा ने कहा कि पाकिस्तान व चीन की दोस्ती मजबूत और अटूट है। अंतरराष्ट्रीय या क्षेत्रीय स्थिति में भले ही कोई बदलाव हो जाए लेकिन पाकिस्तान हमेशा चीन के साथ मजबूती से खड़ा रहेगा। बाजवा ने यह भी कहा कि दोनों देश मिलकर आतंकवादी ताकतों पर नकेल कसने का काम करेंगे। विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों से निबटने के लिए और एक-दूसरे के हितों की रक्षा के लिए दोनों के बीच परस्पर सहयोग जारी रहेगा। 

पीसीजेएमसीसी का हिस्सा
बयान के कहा गया कि यह यात्रा पाक-चीन संयुक्त सैन्य सहयोग समिति (पीसीजेएमसीसी) का हिस्सा थी। समिति की दो उप समितियां हैं जिनमें संयुक्त सहयोग सैन्य मामले (जेसीएमए) और संयुक्त सहयोग सैन्य उपकरण और प्रशिक्षण (जेसीएमईटी) शामिल हैं। इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर पश्चिम की चिंताओं के बावजूद दोनों देशों के बीच सभी क्षेत्रों में संबंध तेजी से बढ़े हैं। पाकिस्तान सैन्य उपकरणों के लिए चीन पर निर्भर है। हाल ही में बीजिंग ने फ्रांस से राफेल जेट खरीदने के बाद भारत को मिली रणनीतिक बढ़त को संतुलित करने के लिए पाकिस्तान को जे -10 लड़ाकू जेट प्रदान किए हैं। तेजी से बदलते अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम व क्षेत्रीय स्थितियों में बदलाव के बीच इस बैठक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 

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