
नई दिल्ली। भारत और रूस के बीच 23वें शिखर सम्मेलन में आज कई बड़े और दूरगामी फैसले हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दिल्ली के हैदराबाद हाउस में मुलाकात की और साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई अहम घोषणाएं कीं। इस मुलाकात में शिक्षा, खेल, व्यापार, ऊर्जा और लोगों के बीच संपर्क को बढ़ाने पर खास जोर दिया गया। सबसे ज्यादा चर्चा इसलिए हुई क्योंकि पहली बार भारत रूसी नागरिकों के लिए 30 दिन का मुफ्त ई-टूरिस्ट वीजा और 30 दिन का ग्रुप वीजा देने जा रहा है। यह फैसला दोनों देशों के बीच संबंधों को एक नई दिशा दे सकता है।
पीएम मोदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की कि भारत और रूस अब छात्रों, स्कॉलर्स और खिलाड़ियों के आदान-प्रदान को बढ़ाएंगे। इसका मतलब यह है कि भारतीय छात्र रूस में नई स्कॉलरशिप और रिसर्च प्रोग्राम में शामिल हो सकेंगे। रूसी छात्र भारत की यूनिवर्सिटीज में पढ़ाई के नए अवसर पाएंगे। दोनों देशों के एथलीट संयुक्त ट्रेनिंग और प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेंगे। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत-रूस पीपल-टू-पीपल डिप्लोमेसी (India-Russia People-to-People Diplomacy) को मजबूत करेगा।
रूस-भारत संबंधों को और मजबूत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि जल्द ही रूसी नागरिकों को भारत आने के लिए 30 दिन का नि:शुल्क ई-टूरिस्ट वीजा और ग्रुप टूरिस्ट वीजा उपलब्ध कराया जाएगा। हाल ही में रूस में दो नए भारतीय वाणिज्य दूतावास खुलने से दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क और सहज हो गया है। साथ ही, दोनों पक्ष स्किलिंग, वोकेशनल एजुकेशन और स्कॉलर्स-खिलाड़ियों के आदान-प्रदान को भी नई गति देंगे। पहली बार रूस भारतीयों के लिए फ्री वीजा स्कीम लागू कर रहा है। यह फैसला निश्चित तौर पर व्यावसायिक और सांस्कृतिक संपर्क बढ़ाएगा।
मोदी-पुतिन मीटिंग में सबसे बड़ी घोषणा थी- 2030 तक का India–Russia Economic Cooperation Roadmap। इस कार्यक्रम के तहत व्यापार संतुलित और टिकाऊ रूप से बढ़ाया जाएगा। निवेश, को-इनोवेशन और को-प्रोडक्शन को बढ़ावा मिलेगा। ऊर्जा सुरक्षा पर नए प्रोजेक्ट शुरू होंगे। आवश्यक खनिजों, हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग और फर्टिलाइज़र सहयोग को नई दिशा मिलेगी। यह रोडमैप भारत-रूस व्यापार को कई गुना बढ़ा सकता है।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत-रूस की दोस्ती ध्रुव तारे की तरह स्थिर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि रूस ने हमेशा हर परिस्थिति में भारत का साथ दिया। दोनों देश वैश्विक तनावों में भी एक-दूसरे के विश्वसनीय साझेदार रहे। सहयोग केवल सैन्य या ऊर्जा तक सीमित नहीं है, बल्कि लोगों के बीच गहरा विश्वास भी शामिल है। यह राजनीतिक संकेत आने वाले समय में और बड़े सहयोग की ओर इशारा करता है।
मोदी ने साफ कहा कि भारत हमेशा शांति का पक्षधर रहा है। उन्होंने संकेत दिया कि भारत हर शांति प्रयास का समर्थन करेगा। संवाद ही समाधान है। स्थायी शांति ही वैश्विक स्थिरता का रास्ता है। यह बयान अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत की भूमिका को और प्रमुख बनाता है।
मुफ्त वीजा, छात्र-खिलाड़ी एक्सचेंज, ऊर्जा सहयोग और 2030 रोडमैप जैसे फैसले दिखाते हैं कि भारत और रूस आने वाले दशक में साझेदारी को बिल्कुल नए स्तर पर ले जाने जा रहे हैं। यह दौरा सिर्फ कूटनीति नहीं, बल्कि दोनों देशों की रणनीतिक दिशा को तय करने वाला बड़ा कदम माना जा रहा है।
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