
Narendra Modi US visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन की यात्रा पर अमेरिका पहुंच गए हैं। आज वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीयों को वापस भेजने के तरीके को लेकर विपक्ष ने सरकार से सवाल पूछे हैं। भारतीयों को हाथ में हथकड़ी और पैर में जंजीर लगाकर सेना के विमान से भेजा गया था। आइए जानते हैं नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच होने वाली बातचीत भारत के लिए क्यों अहम है।
नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच अच्छे रिश्ते हैं। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के देशों की यात्राएं की हैं। दोनों ने चीन और कट्टरपंथी इस्लाम को अस्तित्व के लिए खतरा माना है। दोनों अपनी मजबूत नेतृत्व शैली और आर्थिक राष्ट्रवाद के लिए जाने जाते हैं। नरेंद्र मोदी ने सितंबर 2019 में ह्यूस्टन में हाउडी मोदी कार्यक्रम किया था। वहीं, ट्रम्प फरवरी 2020 में अहमदाबाद आए थे।
नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच बातचीत के दौरान अवैध अप्रवासियों को अमेरिका से निकाले जाने के दौरान उनके साथ होने वाले दुर्व्यवहार को लेकर चर्चा हो सकती है। अमेरिका ने 104 भारतीय अवैध अप्रवासियों के पहले बैच को वापस भेजा है। जल्द ही 800 अन्य लोगों को निर्वासित किया जाना है। भारत ने अपने नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार पर चिंता व्यक्त की है। इस समय अमेरिका में 7.25 लाख अप्रवासी हैं। इनमें से करीब 20,000 को निर्वासन के लिए पहचाना गया है। बैठक से इस मामले पर भी बात हो सकती है कि पढ़ाई, काम या पर्यटन के लिए भारतीयों के अमेरिका जाने के लिए कानूनी रास्ते स्पष्ट रहें।
राष्ट्रपति पद संभालने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा, मैक्सिको और चीन पर आयात शुल्क लगाया है। वह भारत को टैरिफ किंग और शुल्कों का "दुरुपयोग करने वाला" बताते रहे हैं। ट्रंप ने एल्यूमीनियम और स्टील के आयात पर 25% शुल्क लगाने की घोषणा की है। इसमें किसी भी देश को छूट नहीं है। नरेंद्र मोदी के साथ ट्रंप की बातचीत में भारत-अमेरिका व्यापार और शुल्क प्रमुख मुद्दा होगा। भारत ने मोदी की यात्रा से पहले ही हाई-एंड मोटरसाइकिलों और इलेक्ट्रिक बैटरियों पर शुल्क में कटौती की है।
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ट्रंप की कोशिश है कि भारत अधिक मात्रा में अमेरिकी हथियार खरीदे। दोनों नेताओं के बीच रक्षा उपकरणों पर खर्च बढ़ाने पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। इस संबंध में कुछ नए सौदों की घोषणा हो सकती है।
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ट्रंप और मोदी की बातचीत के एजेंडे में चीन के साथ संबंध भी शामिल होने की उम्मीद है। भारत चीन के रिश्ते तनाव पूर्ण रहे हैं। वहीं, अमेरिका चीन को अपने लिए बड़े खतरे की तरह देखता है। उसे रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी मानता है। ट्रंप की छवि चीन के प्रति अपने सख्त रुख रखने वाले नेता की है।
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