समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाला दक्षिण एशिया का पहला देश बना नेपाल, पहले जोड़े ने कराया रजिस्ट्रेशन

समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाला नेपाल पहला दक्षिण एशियाई देश बन गया है। माया गुरुंग और पुरुष सुरेंद्र पांडे ने अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन कराया है।

 

Vivek Kumar | Published : Nov 30, 2023 7:52 AM IST / Updated: Nov 30 2023, 01:25 PM IST

काठमांडू। नेपाल दक्षिण एशिया का पहला देश बन गया है जिसने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी है। नेपाल में पहले समलैंगिक जोड़े ने अपने विवाह का रजिस्ट्रेशन भी कराया है। नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में पहले फैसला सुनाया था।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा वैध ठहराए जाने के पांच महीने बाद 29 नवंबर को नेपाल ने आधिकारिक तौर पर पहले समलैंगिक विवाह को दर्ज किया। 35 साल की ट्रांस-महिला माया गुरुंग और 27 साल के समलैंगिक पुरुष सुरेंद्र पांडे ने पश्चिमी नेपाल के लामजंग जिले के डोरडी ग्रामीण नगर पालिका में कानूनी रूप से शादी कर ली। यह जानकारी ब्लू डायमंड सोसाइटी नेपाल के अध्यक्ष संजीब गुरुंग (पिंकी) ने दी।

2007 में नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को अनुमति दी थी। 2015 इसको लेकर नेपाल के संविधान में संसोधन किया गया। संविधान में सेक्स के आधार पर भेदभाव पर प्रतिबंधित लगाया गया है। 27 जून, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने नेपाल में समलैंगिक विवाह को आधिकारिक तौर पर वैध बनाने के लिए गुरुंग सहित व्यक्तियों के नेतृत्व में एक रिट याचिका के आधार पर एक अंतरिम आदेश जारी किया था। इस अभूतपूर्व निर्णय के बावजूद, काठमांडू जिला न्यायालय ने आवश्यक कानूनी ढांचे की अनुपस्थिति का हवाला देते हुए चार महीने पहले इस कदम को खारिज कर दिया था। उस समय सुरेंद्र पांडे और माया की शादी की अर्जी खारिज कर दी गई थी।

नेपाल के तीसरे लिंग समुदाय के लिए एक बड़ी उपलब्धि
पिंकी ने बताया कि समलैंगिक विवाह को मान्यता दिए जाने से उन्हें बहुत खुशी हुई है। उन्होंने कहा, "यह नेपाल के तीसरे लिंग समुदाय के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह न केवल नेपाल में बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में पहला मामला है। हम फैसले का स्वागत करते हैं।"

नवलपरासी जिले के रहने वाले सुरेंद्र और मूल रूप से लामजंग जिले की माया ने अपने परिवारों की सहमति से पारंपरिक विवाह किया। वे पिछले छह वर्षों से विवाहित जोड़े के रूप में रह रहे हैं। पिंकी ने कहा, “कई थर्ड जेंडर जोड़े अपनी पहचान और अधिकारों के बिना रह रहे हैं। कानूनी मान्यता दिए जाने से उन्हें बहुत मदद मिलेगी। अब इस समुदाय के अन्य लोगों के लिए अपनी शादी को वैध बनाने का दरवाजा खुल गया है।”

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