कोरोना के कहर के बीच नेपाल की के पी शर्मा ओली की सरकार संकट में आ गई है। दरअसल, नेपाल में पुष्पकमल दहल प्रचंड की पार्टी सीपीएन (माओवादी सेंटर) ने समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद ओली सरकार अल्पमत में आ गई।
काठमांडू. कोरोना के कहर के बीच नेपाल की के पी शर्मा ओली की सरकार संकट में आ गई है। दरअसल, नेपाल में पुष्पकमल दहल प्रचंड की पार्टी सीपीएन (माओवादी सेंटर) ने समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद ओली सरकार अल्पमत में आ गई। सीपीएन ने बुधवार को आधिकारिक तौर पर समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सरकार ने प्रतिनिधि सभा में अपना बहुमत खो दिया।
सीपीएन नेता गणेश शाह ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि इस संबंध में पार्टी ने संसद सचिवालय को पत्र सौंपा है। सीपीएन की ओर से पत्र सौंपने के बाद बताया गया है कि पार्टी ने ओली सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया।
क्यों लिया समर्थन वापस?
मुख्य सचेतक देव गुरुंग ने कहा, सरकार ने संविधान का उल्लंघन किया। इतना ही नहीं सरकार की हालिया गतिविधियों से लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और राष्ट्रीय संप्रभुता को खतरा उत्पन्न हुआ। इसलिए पार्टी ने सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया है।
ओली सरकार ने खोया बहुमत
नेपाल में कुल 275 सदस्य हैं। सत्ताधारी सीपीएन-यूएमएल के पास कुल 121 सांसद हैं। वहीं, माओवादी सेंटर के निचले सदन में कुल 49 सांसद हैं। ऐसे में ओली को अपनी सरकार बचाने के लिए 15 सांसद कम हैं। ऐसे में माओवादी सेंटर के समर्थन वापस लेने के बाद ओली सरकार ने प्रतिनिधि सभा में अपना बहुमत खो दिया है। प्रचंड की पार्टी ने ऐसे समय पर समर्थन वापस लिया है, जब ओली ने ऐलान किया था कि वे 10 मई को संसद में विश्वासमत हासिल करेंगे।
विपक्षी नेता से मिलने पहुंचे ओली
सीपीएन के समर्थन वापस लेने के बाद पीएम ओली मुख्य विपक्षी नेता नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा के आवास पहुंचे। यहां वे सरकार बचाने के लिए उनका समर्थन मांगने पहुंचे थे।