
Who Is Sushila Karki: नेपाल इस समय बड़े राजनीतिक संकट से गुजर रहा है और वहां अंतरिम सरकार बनाने की तैयारी चल रही है। इसी बीच नेपाल की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की का नाम अंतरिम सरकार की प्रमुख के रूप में सामने आया है। उन्हें Gen Z आंदोलन का समर्थन मिला है। प्रदर्शनकारी युवाओं ने सुशीला कार्की को चुना है ताकि वह उनकी तरफ से सेना से बातचीत करें और सरकार बनाने की प्रक्रिया का नेतृत्व करें। यानी अब सुशीला कार्की आंदोलनकारियों की ओर से सेना के साथ बैठकर नई अंतरिम सरकार पर चर्चा कर सकती हैं।
सुशीला कार्की नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय की पहली एकमात्र महिला मुख्य न्यायाधीश रही हैं। उन्हें यह पद 11 जुलाई 2016 को मिला था। हालांकि, 30 अप्रैल 2017 को माओवादी केंद्र और नेपाली कांग्रेस ने उनके खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया था। लेकिन जनता के विरोध और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह प्रस्ताव वापस ले लिया गया। कार्की विराटनगर के कार्की परिवार से ताल्लुक रखती हैं और वह अपने माता-पिता की सात संतानों में सबसे बड़ी हैं। पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुई थी। दुर्गा सुबेदी उस समय नेपाली कांग्रेस के युवा और लोकप्रिय नेता थे। उन्हें पंचायत शासन के खिलाफ आंदोलन और एक विमान अपहरण की घटना में भूमिका निभाने के लिए भी जाना जाता है।
सुशीला कार्की की शिक्षा और करियर की यात्रा बेहद प्रेरणादायक रही है। उन्होंने साल 1972 में विराटनगर के महेंद्र मोरंग कॉलेज से कला स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद 1975 में वह भारत गईं और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी से राजनीति विज्ञान एमए की डिग्री हासिल की। पढ़ाई जारी रखते हुए उन्होंने 1978 में नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की थी।
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पढ़ाई खत्म करने के बाद 1979 में उन्होंने विराटनगर से अपनी वकालत की शुरुआत की। इसके कुछ साल बाद 1985 में उन्हें महेंद्र मल्टीपल कैंपस, धरान में सहायक शिक्षिका के रूप में काम करने का मौका मिला। लंबे संघर्ष और मेहनत के बाद 2007 में सुशीला कार्की को वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा मिला। उनके करियर का नया अध्याय तब शुरू हुआ जब 22 जनवरी 2009 को उन्हें नेपाल सुप्रीम कोर्ट में एड-हॉक जस्टिस नियुक्त किया गया। इसके बाद उनकी काबिलियत को देखते हुए 18 नवंबर 2010 को उन्हें स्थायी जस्टिस बनाया गया। उनकी ईमानदारी और सख्त फैसलों की वजह से उन्हें आगे बढ़ाया गया और वह 13 अप्रैल 2016 से 10 जुलाई 2016 तक सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रहीं। इसके बाद 11 जुलाई 2016 से 7 जून 2017 तक उन्होंने नेपाल की मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया।
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