
Jaish-e-Mohammed women unit: भारत द्वारा 7 मई 2025 को लॉन्च किए गए ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को भारी नुकसान हुआ। इंडियन एयरफोर्स के हवाई हमले से पाकिस्तान के बहावलपुर स्थित जैश का मुख्यालय मरकज सुभानअल्लाह तबाह हो गया। इसके बाद जैश प्रमुख मौलाना मसूद अजहर ने नई चाल चली है। उसने महिला आतंकियों की पहली यूनिट जमात उल मोमिनात बनाई है। इस यूनिट के लिए महिला आतंकियों की भर्ती 8 अक्टूबर से शुरू हो गई।
India Today की रिपोर्ट के अनुसार जैश-ए-मोहम्मद के महिला विंग की कमान मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर संभालेगी। उनका पति यूसुफ अजहर, मसूद अजहर के परिवार के उन सदस्यों में से था जो 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत किए गए हमलों में मारे गए।
जैश-ए-मोहम्मद ने अपने सदस्यों की पत्नियों के साथ-साथ बहावलपुर, कराची, मुजफ्फराबाद, कोटली, हरिपुर और मनसेहरा में अपने केंद्रों में पढ़ने वाली गरीब महिलाओं को भर्ती करना शुरू कर दिया है।
जैश-ए-मोहम्मद की महिला इकाई का काम मनोवैज्ञानिक युद्ध चलाना है। ये महिलाएं दुष्प्रचार और जमीनी स्तर पर भर्ती के काम देखेंगी। जमात-उल-मोमिनात की गतिविधियां सोशल मीडिया, व्हाट्सएप ग्रुप और कुछ मदरसों के नेटवर्क के जरिए फैल रही हैं। यह जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और दक्षिण भारत के कुछ इलाकों में ऑनलाइन नेटवर्क के जरिए सक्रिय हो गया है।
बता दें कि जैश-ए-मोहम्मद ने परंपरागत रूप से महिलाओं को सशस्त्र जिहाद या युद्ध अभियानों में भाग लेने से बैन किया है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद उसने अपनी रणनीति बदली है। मसूद अजहर और उसके भाई तल्हा अल-सैफ ने मिलकर जैश-ए-मोहम्मद के संचालन ढांचे में महिलाओं को शामिल करने के फैसले को मंजूरी दी। इसके बाद विशेष महिला ब्रिगेड की स्थापना हुई।
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ISIS, बोको हराम, हमास और लिट्टे जैसे आतंकवादी समूहों का महिलाओं को आत्मघाती हमलावरों के रूप में इस्तेमाल करने का इतिहास रहा है। वहीं, जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठन ऐसा करने से बड़े पैमाने पर बचते रहे हैं।
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