
Pakistan-Afghanista Dispute: पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने शुक्रवार को साफ शब्दों में कहा कि अफगानिस्तान के साथ इस्तांबुल में हुई शांति वार्ता असफल हो गई है। उन्होंने बताया कि अगर अफग़ानिस्तान की तरफ से कोई हमला नहीं होगा, तो ही सीमा पर मौजूदा सीजफायर लागू रहेगा। आसिफ ने GEO न्यूज को बताया, 'अगर बातचीत विफल हुई, तो हमारी मजबूरी में हम तालिबान के खिलाफ कड़े कदम उठाएंगे। स्थिति और बिगड़ सकती है और हमारे पास विकल्प मौजूद हैं। जैसा हम पर हमला हुआ, वैसा ही जवाब देने का हक़ हमें रहेगा।'
इस बातचीत के अगले ही दिन ही अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा पर गोलीबारी हुई, जिसमें कम से कम 5 लोगों की मौत और 6 लोग घायल हुए। यह हिंसा पिछले महीने से चल रहे तनाव का हिस्सा है, जो मुख्य रूप से टीटीपी (Tehreek-e-Taliban Pakistan) के खिलाफ पाकिस्तान की कार्रवाई से शुरू हुआ था। पाकिस्तान का कहना है कि अफगानिस्तान में TTP के कैंप पूरी तरह से पाकिस्तान के खिलाफ काम कर रहे हैं। वहीं अफ़ग़ान पक्ष TTP को सिर्फ 'पाकिस्तानी शरणार्थी' बताने की कोशिश कर रहा है। आसिफ ने कहा, 'कैसे शरणार्थी भारी हथियार लेकर पहाड़ों के रास्ते चुपके से आ सकते हैं? यह साबित करता है कि अफगान सरकार पूरी तरह गंभीर नहीं है।'
इससे पहले, शांति वार्ता का तीसरा राउंड इस्तांबुल में आयोजित हुआ। पहले दो दौर की बैठकें दोहा और इस्तांबुल में हुई थीं, लेकिन किसी ठोस नतीजे पर पहुंच नहीं पाया गया। वार्ता का मुख्य मुद्दा था कि अफ़ग़ान सरकार टीटीपी के खिलाफ ठोस कदम उठाए। आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान-अफगानिस्तान के रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते, जब तक तालिबान सीमा पर हमलों को रोकने में सक्रिय कदम नहीं उठाता।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा विवाद का हिस्सा डूरंड लाइन है, जिसे ब्रिटिश साम्राज्य ने भारत और अफगानिस्तान के बीच निर्धारित किया था। यह सीमा पारंपरिक पश्तून क्षेत्रों को दो हिस्सों में बांटती है और न तो अफगानिस्तान और न ही पाकिस्तान के पश्तून इसे कभी मान्यता दी है। इस ऐतिहासिक और राजनीतिक जटिलता के कारण दोनों देशों के बीच बार-बार तनाव की स्थितियां बनती रहती हैं।
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