
रोम। पाकिस्तान (Pakistan) और तुर्की (Turkey) को एफएटीएफ (FATF) से झटका लगा है। पाकिस्तान ने ग्रे सूची से बाहर निकलने के लिए काफी कोशिशें की है लेकिन उसको सफलता नहीं मिल सकी है। एफएटीएफ (Financial Action Task Force) ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे सूची में बरकरार रखा है। साथ ही तुर्की को भी इस लिस्ट में रखा गया है। मॉरीशस और बोत्सवाना को इस बार लिस्ट से बाहर कर दिया गया है।
पीएम मोदी समेत जी-20 नेताओं ने एफएटीएफ कार्रवाई का किया समर्थन
उधर, पीएम मोदी समेत जी-20 के नेताओं ने एफएटीएफ (फाइ नेंशियल एक्शन टास्क फोर्स)को उसके कार्यों का पूर्ण समर्थन किया है। जी-20 के नेताओं का मानना है कि मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग और प्रसार से निपटने के लिए किए गए उपायों का प्रभावी कार्यान्वयन वित्तीय बाजारों में विश्वास पैदा करने, एक स्थायी रिकवरी सुनिश्चित करने और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता की रक्षा करने के लिए आवश्यक है।
क्यों तुर्की को ग्रे लिस्ट में किया गया शामिल
एफएटीएफ ने तुर्की को मनी लॉन्ड्रिंग (money laundering) और आतंकवाद के लिए फंडिंग (Terror Funding) से निपटने में कमियों के लिए 'Grey List' में शामिल किया। तुर्की के अलावा, जॉर्डन और माली को भी ग्रे सूची में जोड़ा गया है, जबकि बोत्सवाना और मॉरीशस को सूची से हटा दिया गया है।
पाकिस्तान और तुर्की आर्थिक तंगी से गुजरने के बाद भी टेरर फंडिंग कर रहे
पाकिस्तान और तुर्की पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। तुर्की की मुद्रा में गिरावट दर्ज की गई है और मुद्रास्फीति लगभग 20 प्रतिशत तक पहुंच गई है। वहीं पाकिस्तान की कंगाली के मुहाने पर खड़ा है। वह इतना लाचार हो चुका है कि अब उसे कोई जल्दी कर्ज देने को भी तैयार नहीं हो रहा है। ऐसे में एफएटीएफ के फैसले से इन दोनों देशों को और अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। तुर्की ने पहले के एफएटीएफ की मीटिंग्स में पाकिस्तान का जोरदार समर्थन करता।
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