क्या पाकिस्तान में फिर लौटेगा सैन्य शासन? पूर्व प्रधानमंत्री ने दी चेतावनी, कहा- देश के हालात गंभीर

एक शॉ में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने कहा है कि अगर सिस्टम विफल हो जाता है, तो देश में मार्शल लॉ संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि इस तरह के हालात में पाकिस्तान में पहले भी सैन्य शासन रहा है।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री (Former Prime Minister) शाहिद खाकान अब्बासी (Shahid Khaqan Abbasi ) ने चेतावनी दी है कि देश में जारी आर्थिक और राजनीतिक संकट (Economic And Political Crisis ) इतना गहरा है कि यह सेना सत्ता पर काबिज होने के लिए आकर्षित कर सकता है। कहा कि अगर समाज और संस्थानों के बीच मनमुटाव बढ़ गया, तो ऐसी स्थिति में सेना भी कदम उठा सकती है। डॉन के मुताबिक उन्होंने रविवार को सभी हितधारकों से आगे का रास्ता निकालने के लिए बातचीत शुरू करने का आग्रह किया है।

डॉन न्यूज के एक शो 'स्पॉलाइट' में बोलते हुए उन्होंने कहा कि अगर सिस्टम विफल हो जाता है या जब संस्थानों के बीच संघर्ष होता है और राजनीतिक नेतृत्व आगे बढ़ने में असमर्थ हो जाता है, तो ऐसे में मार्शल लॉ की संभावना बनी रहती है।

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उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान में इस तरह की स्थितियों में कई बार लंबे समय तक मार्शल लॉ (Martial Law) रहा है।' उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने पहले कभी भी इतनी गंभीर आर्थिक और राजनीतिक स्थिति नहीं देखी और बेहद कम गंभीर परिस्थितियों में सेना पदभार ग्रहण कर लिया।

संवैधानिक व्यवस्था विफल होने पर सत्ता पर काबिज हो जाती है सेना

इस दौरान देश में अब्बासी ने अराजकता की चेतावनी दी और कहा कि अगर समाज और संस्थानों के बीच मनमुचाव बढ़ गया, तो ऐसी स्थिति में सेना भी कदम उठा सकती है। पूर्व पीएम ने कहा कि जिन देशों में राजनीतिक और संवैधानिक व्यवस्था विफल हो जाती है,तो वहां सेना सत्ता पर कब्जा कर लेती है और यह कई देशों में हुआ है।

सैन्य शासन आने से बिगड़ेंगे हालात

हालांकि, पीएमएल-एन नेता ने उम्मीद जताई कि सेना मार्शल लॉ लगाने के विकल्प पर विचार नहीं कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि सेना ने सत्ता अपने हाथ में ले ली तो इससे स्थिति और बिगड़ जाएगी। अब्बासी ने कहा कि पीटीआई के अध्यक्ष इमरान खान, पीएमएल-एन सुप्रीमो नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) और सेना प्रमुख जनरल (Chief of Army Staff General) असीम मुनीर (Asim Munir) को बातचीत शुरू करनी चाहिए।

यह पूछे जाने पर कि क्या राजनीतिक गतिरोध को हल करने के लिए सेना को मनमानी भूमिका निभानी चाहिए, तो अब्बासी ने कहा कि संस्थागत प्रमुखों के बैठने और देश के लिए समाधान निकालने की कोशिश करने पर कोई रोक नहीं है।वास्तव में यह उनकी एक जिम्मेदारी है।

समाधान निकालने के लिए हो बातचीत

उन्होंने कहा कि हमारे पास एक असाधारण स्थिति है। हमें एक असाधारण समाधान की तलाश करने की आवश्यकता है। कोई अन्य समाधान नहीं है। अधिकांश लोकतांत्रिक देशों में और यहां तक ​​कि पाकिस्तान में भी चुनाव हमेशा समाधान लेकर आए हैं। अब्बासी ने कहा कि बातचीत का एक उद्देश्य होना चाहिए, लेकिन अगर उससे केवल एक राजनीतिक दल को लाभ होता है,उसे विफल कर देना चाहिए।

उन्होंने कहा रकि अगर इरादा सिर्फ चुनाव की तारीख या किसी के राजनीतिक लाभ तय करने का है, तो यह उचित संवाद नहीं है।उन्होंने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि देश का राजनीतिक विमर्श एक दूसरे को दोष देने और गाली देने के लिए समर्पित हो गया है, इसे एक जहरीला वातावरण करार दिया है।

पूर्व पीएम ने कहा कि संसद राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा नहीं करती है। प्रांतीय विधानसभाएं भी उसी तरह हैं। अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर अफसोस जताते हुए अब्बासी ने कहा कि देश सिर्फ परमाणु शक्ति होने के आधार पर दुनिया के साथ बातचीत नहीं कर सकता।

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