रोटी के लिए तरस रहे लोग, खाने को हुए मोहताज...बद से बदतर हुई पाकिस्तान की हालत

पाकिस्तान के कई राज्यों में लोगों को रोटियां नहीं मिल पा रही हैं। बलूचिस्तान, सिंध,खैबर पख्तूनख्वाह और पंजाब में आटे की कमी हो गई है। काफी लोगों के पास रोटी की समस्या की वजह से सिर्फ चावल खाने का ही विकल्प है। आटे की कमी का असर ये हुआ है कि खैबर पख्तूनख्वाह में नान बनाने वाली कई दुकानें बंद करनी पड़ी हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jan 22, 2020 5:16 AM IST

इस्लामाबाद. आर्थिक बदहाली से जूझ रहे पाकिस्तान को अब आटे की कमी का सामना करना पड़ रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के कई राज्यों में लोगों को रोटियां नहीं मिल पा रही हैं। हालांकि, प्रशासन का दावा है कि आटा या गेहूं की कमी नहीं है और जान बूझकर संकट पैदा कर दी गई है। जानकारी के मुताबिक बलूचिस्तान, सिंध, खैबर पख्तूनख्वाह और पंजाब में आटे की कमी हो गई है। काफी लोगों के पास रोटी की समस्या की वजह से सिर्फ चावल खाने का ही विकल्प है। आटे की कमी का असर ये हुआ है कि खैबर पख्तूनख्वाह में नान बनाने वाली कई दुकानें बंद करनी पड़ी हैं। आटे की कमी और दाम बढ़ने की वजह से नान तैयार करने वाले नानबाई हड़ताल पर चले गए हैं। 

गेंहू आयात को दी गई मंजूरी 

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इमरान खान की सरकार ने राज्यों में आटे की किल्लत का संज्ञान लिया है। एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक, सोमवार को सरकार ने 3 लाख टन गेहूं के आयात को भी मंजूरी दे दी है। लेकिन पहला शिपमेंट आने में 15 फरवरी तक का वक्त लग सकता है। इमरान सरकार ने ये साफ नहीं किया वह किस देश से गेहूं खरीदेगी। वहीं, पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि प्राइवेट कंपनी जिस देश से चाहे गेहूं आयात कर सकती है। 

सरकार बना रही दबाव 

आटे की कमी की वजह से देश में आटा और रोटी के दाम बढ़ गए हैं। कई दुकानदारों ने कहा है कि उन पर सरकार कम दाम में रोटी बेचने के लिए दबाव बना रही है। रावलपिंडी के एक दुकानदार शेराज खान ने न्यूज एजेंसी से कहा कि अगर मुझे आटा महंगा मिलता है तो मैं एक रोटी 8 रुपये में नहीं बेच सकता हूं। उन्होंने कहा कि एलपीजी के दाम भी बढ़ गए हैं। नई सरकार आने के बाद 4 बार दाम बढ़ाए गए हैं। 

गेंहू का हुआ घोटाला 

2018 के आखिर से लेकर जून 2019 के बीच तक पाकिस्तान ने 6 लाख मिट्रिक टन गेहूं का निर्यात किया था। जुलाई 2019 में गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन इसके बाद भी अक्टूबर तक 48 हजार मिट्रिक टन गेहूं विदेश भेजे गए। रोक के बावजूद निर्यात को लेकर जांच की मांग की गई थी। विपक्षी पार्टी के नेता ख्वाजा आसिफ ने कहा था कि कई लोगों ने इस धंधे से करोड़ों बना लिया। उन्होंने आशंका जताई है कि हो सकता है कि घोटाले की वजह से गेहूं का संकट पैदा हुआ। 

पिछले साल तक निर्यात कर रहा था गेंहू 

पेशावर में 2013 में 170 ग्राम आटे के नान की कीमत 10 रुपए तय की गई थी, जो अभी तक नहीं बढ़ी है। चक्की एसोसिएशन ने कहा है कि सरकार ने समर्थित मूल्य पर गेहूं की खरीद नहीं की है। ऐसे में पुरानी दर पर आटा बेचना संभव नहीं है। महंगा गेहूं खरीदने के अलावा उसकी सफाई और पिसाई से भी लागत बढ़ी है। इन सब के बीच इमरान विपक्षी दलों और अर्थशास्त्रियों के निशाने पर आ गए हैं। सरकार के गेहूं आयात करने के फैसले की जांच की मांग उठाई है। उनका कहना है कि पाकिस्तान पिछले साल के अंत तक गेहूं निर्यात कर रहा था। फिर अचानक गेहूं की किल्लत कैसे हो गई।

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