सर्जरी पेट की हो और गायब दांत हो जाएं तो वाकई यह एक चौंकाने वाली बात है। 72 साल के एक शख्स के साथ ऐसा ही हुआ।
लंदन. सर्जरी पेट की हो और गायब दांत हो जाएं तो वाकई यह एक चौंकाने वाली बात है। 72 साल के एक शख्स के साथ ऐसा ही हुआ। उसके पेट में एक गांठ बन गई थी, जिसका ऑपरेशन हुआ। गांठ तो निकल गई और वह घर आ गया। पर कुछ ही दिन क बाद उसके मुंह से खून आने लगा और कुछ भी निगलने में दर्द होने लगा। वह वापस हॉस्पिटल आया। वहां जब उसकी जांच की गई तो जो खुलासा हुआ, उसे खौफनाक ही कहा जाएगा।
पहले डॉक्टरों को भी पता नहीं चला
जब वह शख्स मुंह से खून आने और कुछ भी निगलने में दिक्कत होने की शिकायत लेकर हॉस्पिटल गया तो डॉक्टरों ने उसे माउथ वॉश, एंटीबायोटिक्स और कुछ दूसरी दवाएं देकर घर भेज दिया। डॉक्टरों ने सोचा कि सर्जरी के दौरान उसके गले में जो ट्यूब डाली गई थी, उससे ही उसकी श्वास नली में कोई इन्फेक्शन हुआ होगा। लेकिन दो दिन तक दवा लेने के बाद भी उसकी तकलीफ कम नहीं हुई। इसके बाद वह फिर हॉस्पिटल गया। डॉक्टरों को संदेह हुआ कि उसे न्यूमोनिया हो गया है। उसे फिर से एडिमट कर लिया गया।
दोबारा हुई जांच
दोबारा जांच में डॉक्टरों ने पाया कि कोई सेमी-सर्कुलर ऑब्जेक्ट उसके वोकल कोर्ड में फंसा हुआ है, जिससे अंदर सूजन हो गई है और खून भी रिस रहा है। इसी दौरान उस व्यक्ति ने बताया कि सर्जरी के बाद से ही उसके नकली दांत गायब हैं। सर्जरी हुए 8 दिन हो गये थे। इसके बाद एक्स-रे से पता चला कि उसके गले में कोई चीज फंसी हुई है। उसे तत्काल इमरजेंसी सर्जरी के लिए ले जाया गया।
नकली दांत फंसे थे गले में
उस शख्स ने मेटल प्लेट के साथ तीन नकली दांत लगवा रखे थे जो आगे के थे। यही मेटल प्लेट और दांत उसके गले में फंस गए, जिसे सर्जरी कर निकाल दिया गया। लेकिन यह हैरत की बात है कि इसका खुलासा 8 दिन के बाद हुआ और वह आदमी इतने दिनों तक इसी हाल में रहा। यह भी कम आश्चर्य की बात नहीं कि जब सर्जरी पेट की हुई तो नकली दांत मेटल प्लेट सहित गले में कैसे फंस गया।
हुआ क्या था
जब इस मामले की पूरी जांच-पड़ताल की गई, तब पता चला कि सर्जरी के लिए जब उसे एनिस्थीसिया दिया जा रहा था, उसी दौरान मेटल प्लेट सहित नकली दांत भी उसने निगल लिया, जो गले में जाकर फंस गया। डॉक्टरों की रिपोर्ट में कहा गया कि सर्जरी के लिए एनिस्थीसिया देने के दौरान नकली दांतों के गले में फंस जाने का यह कोई पहला मामला नहीं है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एनिस्थीसिया देने के दौरान ऐसे मामलों से कैसे निपटा जाए, इसे लेकर पूरे देश के स्तर पर कोई गाइडलाइन भी नहीं बनाई गई है।