
Putin India Visit 2025: नई दिल्ली में एक ऐसा पल देखने को मिला जिसने भारत-रूस रिश्तों को फिर से सुर्खियों में ला दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रशियन राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भगवद गीता का रशियन एडिशन गिफ्ट किया। यह सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि भारतीय दर्शन की सबसे गहरी शिक्षाओं में से एक है, जिसे मोदी ने “दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का सोर्स” बताया। X (ट्विटर) पर इस मुलाकात की फोटो शेयर करते ही सोशल मीडिया पर चर्चा तेज हो गई कि यह छोटा-सा गिफ्ट दो देशों की दोस्ती के बड़े मैसेज की ओर इशारा कर रहा है।
दो दिन के भारत दौरे पर आए पुतिन का मोदी ने दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर बेहद गर्मजोशी से स्वागत किया। दिलचस्प बात यह रही कि दोनों नेता एयरपोर्ट से PM मोदी के लोककल्याण मार्ग स्थित आवास तक एक ही कार में सफर करते दिखे। इस निजी बातचीत ने दोनों देशों की स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप की गहराई को फिर साबित किया। पुतिन लगभग चार साल बाद भारत आए हैं और इस दौरान 23वीं भारत-रूस सालाना समिट भी होनी है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह विज़िट सिर्फ औपचारिक मुलाकात नहीं, बल्कि भारत-रूस संबंधों की नई दिशा तय करने का मौका है। पूर्व राजनयिक अरुण सिंह ने बताया कि रूस ने हमेशा भारत को जरूरत की घड़ी में सपोर्ट किया है-चाहे बात UN सुरक्षा परिषद की हो या डिफेंस सहयोग की। उन्होंने कहा कि भारत के बड़े सैन्य ऑपरेशन्स में रूस के हथियारों ने अहम भूमिका निभाई है, जैसे S-400 सिस्टम और ब्रह्मोस मिसाइल।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि मौजूदा हालात में दोनों देशों के बीच डिफेंस और मिलिट्री टेक्नोलॉजी पर कई नई बातचीत हो सकती है। रूस ने भारत को पिछली कई दशकों में लगातार भरोसे के साथ सपोर्ट किया है, और यही कारण है कि यह रिश्ता समय की कसौटी पर हमेशा खरा उतरा है।
मॉस्को स्कूल ऑफ मैनेजमेंट की विशेषज्ञ लिडिया कुलिक का कहना है कि यह यात्रा सिंबॉलिक भी है और शानदार भी। उनके अनुसार, इस समय दोनों देश ट्रेड और इकोनॉमी में मजबूत भविष्य देख रहे हैं। रूस अब भारतीय एक्सपोर्टर्स के लिए नए अवसर खोलने पर फोकस कर रहा है। इसके अलावा, राजनीतिक चर्चाएँ, ग्लोबल मुद्दों पर ओपन चर्चा और नई डिफेंस डील्स भी इस विज़िट का हिस्सा रहने वाली हैं।
गीता का यह गिफ्ट सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि संदेश है—दोस्ती, भरोसा, और साझा भविष्य का। आने वाले दिनों में इस मुलाकात से कई बड़े फैसलों की उम्मीद है, जो भारत-रूस संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं।
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