इराक में भी श्रीलंका जैसी राजनीतिक हिंसा, शिया लीडर सद्र के हजारों समर्थक राष्ट्रपति भवन में घुसे, 20 की मौत

इराक में भी ठीक वैसा ही मंजर दिखाई दे रहा है, जैसा पिछले दिनों श्रीलंका में हुआ था। नाराज शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सद्र (सदर भी कहा जाता है) के सोमवार को राजनीति छोड़ने के ऐलान के बाद हिंसा भड़क उठी। अगले आदेश तक यहां कर्फ्यू लगा दिया गया है।

Amitabh Budholiya | Published : Aug 30, 2022 2:50 AM IST / Updated: Aug 30 2022, 08:22 AM IST

बगदाद. सियासत की आग में इराक भी भड़क उठा है। यहां भी ठीक वैसा ही मंजर दिखाई दे रहा है, जैसा पिछले दिनों श्रीलंका में हुआ था। नाराज शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सद्र (सदर भी कहा जाता है) के सोमवार को राजनीति छोड़ने के ऐलान के बाद हिंसा भड़क उठी। नतीजा सेना को कर्फ्यू लगाना पड़ा है। हालांकि अल-सद्र के समर्थक प्रदर्शन कर रहे हैं। कुछ जगहों पर सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प की खबरें भी हैं।

राष्ट्रपति भवन पर कब्जा
 मुक्तदा अल-सद्र के हजारों समर्थकों ने राष्ट्रपति भवन (रिपब्लिक पैलेसे) पर धावा बोलकर उस पर कब्जा कर लिया। सुरक्षाबलों ने उन्हें खदेड़ने आंसू गैस के गोले दागे, फायरिंग तक की। इसमें 20 लोगों की मौत हो गई, जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इधर, सद्र ने हिंसा और हथियारों का इस्तेमाल बंद होने तक भूख हड़ताल की घोषणा की है। स्थानीय मीडिया आउटलेट्स ने सोमवार शाम को बताया कि बगदाद के ग्रीन जोन में भीषण आग लग गई, जहां आसमान में धुएं का गुबार देखा गया। इराकी सरकार ने सोमवार से अगले आदेश तक सभी इराकी शासनों में कर्फ्यू लगा दिया है।

यह है इराक में हिंसा की वजह
धर्मगुरु मुक्तदा अल-सद्र की पार्टी ने अक्टूबर के संसदीय चुनावों में सबसे अधिक सीटें जीती थीं। हालांकि वे बहुमत का आंकड़ा नहीं जुटा सके। उन्होंने 329 सीटों वाली संसद में 73 सीटें जीती थीं।  उन्होंने आम सहमति सरकार बनाने के लिए ईरान समर्थित शिया प्रतिद्वंद्वियों के साथ बातचीत करने से मना कर दिया था। इसलिए गठबंधन सरकार नहीं बन सकी। अभी देश को निवर्तमान प्रधान मंत्री मुस्तफा अल-कदीमी द्वारा चलाया जा रहा है। इसका लगातार विरोध हो रहा है। जुलाई में भी सरकार बनाने से रोकने के लिए संसद में प्रदर्शन हुआ था। इधर, UN के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस मामले को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने लोगों से संयम की अपील की है। क्लिक करके पढ़ें-इराक में भी श्रीलंका की तर्ज पर विद्रोह

यह भी जानिए
इराक के पावरफुल शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सद्र ने सोमवार को एक ट्वीट करके राजनीति से संन्यास का ऐलान किया था। उन्होंने अपने पार्टी कार्यालयों को भी बंद करने की बात कही थी। इस खबर के बाद उनके समर्थक भड़क उठे और सरकारी महल तक पहुंच गए। शिया मौलवी के समर्थकों ने बीते हफ्ते भी  संसद भंग करने को लेकर उग्र प्रदर्शन किया था।

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