Pope Francis ने बनाएं कई इतिहास: 900+ संत, 65+ देशों की यात्रा, जलवायु परिवर्तन के सबसे मुखर आवाज

Published : Apr 21, 2025, 11:57 PM IST

वेटिकन सिटी में 'People’s Pope' कहे जाने वाले पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे पहले लैटिन अमेरिकी और पहले Jesuit पोप थे जिनका 12 वर्षों से अधिक का कार्यकाल कैथोलिक चर्च (Catholic Church) के इतिहास में कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। 

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266वें पोप जिन्होंने बदली कैथोलिक चर्च की धारा

13 मार्च 2013 को वेटिकन के 'St. Peter’s Basilica' से जैसे ही यह ऐलान हुआ कि अर्जेंटीना के कार्डिनल Jorge Mario Bergoglio नए पोप चुने गए हैं और उन्होंने नाम रखा Francis, उसी क्षण इतिहास रच गया। यह पहला मौका था जब लैटिन अमेरिका से कोई पोप बना। 

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Pope Francis के नेतृत्व में चर्च ने गरीबों, प्रवासियों और पर्यावरण की चिंता करने वाला मानवीय चेहरा अपनाया।

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पोप फ्रांसिस का कार्यकाल 12 साल और 1 महीने का रहा, जो 265 पूर्ववर्ती पोप्स की औसत 7.5 साल की अवधि से काफी लंबा था। 88 की उम्र में वे इतिहास के दूसरे सबसे बुजुर्ग जीवित पोप बने।

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900 से ज्यादा संत घोषित किए, तोड़े पुराने रिकॉर्ड

पोप फ्रांसिस ने 900 से अधिक लोगों को संत घोषित (Canonisation) किया। ये संख्या अब तक किसी भी पोप द्वारा घोषित संतों में सबसे ज्यादा है। इससे पहले Pope John Paul II ने 483 संत घोषित किए थे।

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उनके कार्यकाल में मदर टेरेसा, पोप जॉन XXIII, पोप जॉन पाल II और आर्कबिशप आस्कर रोमेरो जैसे कई महान व्यक्तित्वों को संत का दर्जा मिला। उन्होंने 1350 से अधिक लोगों को Beatify (संतत्व से पहले की मान्यता) भी किया।

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पोप फ्रांसिस द्वारा संत की उपाधि दिए जाने वालों में पूर्व पोप जॉन XXIII, जॉन पॉल II और पॉल VI शामिल थे। मरणोपरांत संत की उपाधि पाने वाले कुछ अन्य लोगों में कलकत्ता की मदर टेरेसा शामिल हैं, जिनकी मृत्यु 1997 में हुई और साल्वाडोर के आर्कबिशप ऑस्कर रोमेरो, जिनकी 1980 में हत्या कर दी गई। इसमें ओट्रान्टो के शहीद भी शामिल हैं, जो 1480 में ओटोमन सैनिकों द्वारा मारे गए दक्षिणी इतालवी शहर के निवासी थे। 

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65 से ज्यादा देशों की यात्रा, 4.6 लाख किमी का सफर

पोप फ्रांसिस ने दुनिया भर में शांति और करुणा का संदेश फैलाने के लिए 12 वर्षों में कुल 47 अंतरराष्ट्रीय यात्राएं कीं और 65 से अधिक देशों का दौरा किया। इनमें ब्राज़ील, यूएसए, इसराइल, इराक, यूएई, कांगो, मंगोलिया, इंडोनेशिया आदि देश शामिल हैं।

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COVID-19 के चलते 2020 में उन्होंने कोई विदेशी दौरा नहीं किया, फिर भी उन्होंने कुल 465,000 किमी से ज्यादा यात्रा की। यह पृथ्वी के लगभग 11 बार चक्कर लगाने के बराबर है।

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इटली के भीतर भी 37 यात्राएं

इटली के अंदर भी पोप फ्रांसिस ने 37 यात्राएं कीं। उनकी पहली घरेलू यात्रा जुलाई 2013 में लैंपेडूसा द्वीप पर हुई थी जो भूमध्य सागर पार करने वाले प्रवासियों का प्रमुख प्रवेश द्वार है।

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109 कार्डिनल्स बनाए, अगला पोप इन्हीं में से होगा

पोप फ्रांसिस ने अपने कार्यकाल में 109 नए कार्डिनल्स नियुक्त किए जो अगला पोप चुनने वाले Cardinal Electors में शामिल हैं। वर्तमान में कुल 135 कार्डिनल्स पोप चुनाव में हिस्सा लेने के योग्य हैं (80 वर्ष से कम आयु वाले)।

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जलवायु परिवर्तन और मानवीय मुद्दों पर दुनिया को जगाया

पोप फ्रांसिस के 4 प्रमुख Encyclicals में सबसे ज्यादा चर्चा Laudato Si (2015) को मिली, जिसमें उन्होंने जलवायु परिवर्तन को मानवता का सबसे बड़ा संकट बताया। इस पर उन्होंने 2023 में एक Apostolic Exhortation "Laudate Deum" के जरिए दुनिया के नेताओं से कड़े कदम उठाने की अपील की।

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साल 2023 में उन्होंने अपने उपदेश, लौडेट देम (ईश्वर की स्तुति) के साथ जलवायु परिवर्तन को नकारने वालों और टालमटोल करने वाले राजनेताओं से हृदय परिवर्तन करने की अपील की।

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उनके अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज-Lumen Fidei (2013) – विश्वास का प्रकाश, Fratelli Tutti (2020) – कोविड के बाद वैश्विक भाईचारे पर संदेश, Dilexit Nos (2024) – पैसों की अंधी दौड़ को छोड़ ईश्वर की ओर लौटने की अपील, आदि है।

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महामारी के बाद की दुनिया - 2020 में, उनके फ्रेटेली टुट्टी (सभी भाई) ने महामारी के बाद की दुनिया में लोगों के बीच एकजुटता के मुद्दे को संबोधित किया।

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अंतिम विदाई लेकिन स्थायी विरासत

पोप फ्रांसिस ने न सिर्फ कैथोलिक चर्च को जनता से सीधे जोड़ते हुए उसके नजदीक लाया बल्कि आधुनिक समय में एक नैतिक आवाज के रूप में पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई। उनकी मृत्यु एक युग का अंत है लेकिन उनका योगदान – चाहे वह संतों की संख्या हो, जलवायु परिवर्तन पर आवाज हो या शरणार्थियों के लिए करुणा – मानवता को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता रहेगा।

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