पाकिस्तान में कुछ सालों में बढ़कर 57 लाख हुई गधों की आबादी, सरकार खुश है, पता है क्यों?

पाकिस्तान में गधों की आबादी(Population of donkey) लगातार बढ़ रही है। वित्त वर्ष(financial year) 2020-21 के दौरान गधों की आबादी बढ़कर 5.7 मिलियन हो गई है। पाकिस्तान के इकोनॉमिक सर्वे के डेटा से पता चलता है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान गधों की आबादी लगातार बढ़ रही है।

इस्लामाबाद. पाकिस्तान में गधों की बढ़ती आबादी सरकार के लिए खुशी की वजह बनी है। पाकिस्तान में गधों की आबादी(Population of donkey) लगातार बढ़ रही है। वित्त वर्ष(financial year) 2020-21 के दौरान गधों की आबादी बढ़कर 5.7 मिलियन हो गई है। पाकिस्तान के इकोनॉमिक सर्वे के डेटा से पता चलता है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान गधों की आबादी लगातार बढ़ रही है। 

(File Photo: यह तस्वीर भारत चतुर्वेदी-Bharati Chaturvedi ने 2018 में tweet करते हुए लिखा था-मोहम्मद इकबाल पाकिस्तान की वाघा सीमा पर रीसाइक्लिंग के लिए कचरा उठाता है। वह अपने गधे को फल के छिलके और बेकार हो चुके खाने को खिलाता है। उनका कहना है कि यह कोई बुरा काम नहीं है। उन्होंने 3 बेटियों की शादी की, 8 संतानें पैदा कीं। लाहौर में 2 बेटे कचरा उठाते हैं। यह हमारा हरा योद्धा है, है ना?)

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इकोनॉमिक सर्वे रिपोर्ट ने किया खुलासा
9 जून को जारी आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey-PES) 2021-22 के अनुसार, पाकिस्तान में गधों की आबादी पिछले फाइनेंसियल ईयर के दौरान बढ़कर 5.7 मिलियन हो गई है। देश में 2019-20 में 5.5 मिलियन और 2020-21 में 5.6 मिलियन गधे थे। डेटा से पता चला है कि  देश में मवेशियों( cattle) की आबादी बढ़कर 53.4 मिलियन हो गई है। इनमें भैंसें 43.7 मिलियन, भेड़ 31.9 मिलियन और बकरियों की संख्या बढ़कर 31.9 मिलियन हो गई है। आंकड़ों से पता चलता है कि देश में 1.1 मिलियन ऊंट, 0.4 मिलियन घोड़े और 0.2 मिलियन खच्चर थे। उल्लेखनीय है कि 2017-18 के बाद से इन जानवरों की संख्या में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

गधों का भी पाकिस्तान की इकोनॉमी में बड़ा योगदान
2021 से 22 तक पशुधन ने एग्रीकल्चर वैल्यू में लगभग 61.9% और राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद(national GDP) में 14.0% का योगदान दिया है। पशुपालन(Animal husbandry) पाकिस्तान के ग्रामीण क्षेत्रों के निवासियों के लिए आजीविका का सबसे महत्वपूर्ण साधन है। 8 मिलियन से अधिक ग्रामीण परिवार इस पर डिपेंड हैं। इनकी आमदनी का लगभग 35-40% इसी क्षेत्र से मिलता है। पशुधन का सकल मूल्यवर्धन(The gross value addition of livestock) 5,269 अरब रुपये (2020-21) से बढ़कर 5,441 अरब रुपये (2021-22) हो गया है, जो 3.26% की वृद्धि दिखाता है। सरकार देश में इकोनॉमिक  ग्रोथ, फूड सिक्योरिटी और गरीबी कम करने के लिए इसी क्षेत्र पर अपना फोकस कर रही है। यानी सरकार एनिमल्स प्रॉडक्टविटी, वेटेनरी हेल्थ, पशुपालन से जुड़ी प्रथाओं, पशु प्रजनन प्रथाओं, कृत्रिम गर्भाधान सेवाओं, पशु आहार के लिए संतुलित राशन के उपयोग आदि पर काम करेगी।
 

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