सार
गधे की मदद से पंखा चलाकर गर्मी से निजात पाने की जुगत में लगे शख्स की यह तस्वीर पाकिस्तान के जैकोबाबाद(Jacobabad) की है। यह दुनिया के सबसे गर्म शहरों में से एक है। यहां गर्म थपेड़ों(heatstroke) ने जिंदगी बेहाल कर रखी है। लोग चलते-चलते चक्कर खाकर गिर रहे हैं। 10 लाख लोग किसी न किसी तरह पानी की जुगाड़ कर रहे हैं। पढ़िए जलवायु परिवर्तन(climate change) ने कैसे उतारी पाकिस्तान की लू...
वर्ल्ड न्यूज डेस्क. यह तस्वीर पाकिस्तान के जैकोबाबाद(Jacobabad) की है। यह दुनिया के सबसे गर्म शहरों में से एक है। यहां गर्म थपेड़ों(heatstroke) ने जिंदगी बेहाल कर रखी है। जैकोबाद में 61 साल में सबसे गर्म अप्रैल रहा। इस शहर में तापमान 120 डिग्री फ़ारेनहाइट(120 degrees Fahrenheit) यानी 48 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जा रहा है। रात का तापमान 90 के दशक से ऐसा ही बना हुआ है। जैकबाबाद दक्षिण एशिया में सबसे अधिक हीट वेव(heatwave) की चपेट में है। सप्ताहांत(weekend)में यहां टेम्परेचर 51 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था।
बिजली नहीं, तो गधे की मदद से चला रहे पंखा
इस तस्वीर में दिखाई दे रहा शख्स 11 मई को भीषण गर्मी के दौरान गधे की मददद से जुगाड़ का पंखा चलाने की तैयारी करते दिख रहा है। यह तस्वीर एएफपी ने खींची। पाकिस्तान में इस समय बिजली भी लोगों के पसीने छुड़ा रही है। बिजली की किल्लत का मतलब ग्रामीण इलाकों में सिर्फ छह घंटे और शहर में 12 घंटे बिजली है।
पाकिस्तान के प्रमुख मीडिया हाउस dawn ने अपनी वेबसाइट पर गर्मी को लेकर एक स्टोरी पब्लिश की है। इसमें लिखा गया कि स्कूली छात्र सईद अली को जैकोबाबाद के अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। वजह, उनका शरीर हीटस्ट्रोक से काम करना बंद करता जा रहा था। तेज धूप में स्कूल से घर पहुंचने के बाद 12 वर्षीय बच्चा चक्कर खाकर गिर पड़ा। स्कूल में पंखा नहीं चलने से वो दिनभर तपता रहा। बता दें कि हीट स्ट्रोक से जब शरीर इतना गर्म हो जाता है, तब वो खुद को अनुकूलित नहीं कर पाता। इससे चक्कर(lightheadedness) और मतली से लेकर अंग सूजन, बेहोशी आने लगती है। यहां तक कि मौत तक हो जाती है
हर तरफ सूखा, जलस्त्रोतों में पानी नहीं
शहर में नहरें पूरी तरह सूख चुकी हैं। ये आस-पास के खेतों के लिए सिंचाई का एक महत्वपूर्ण स्रोत होती हैं। इन नहरों में इस समय कचरा पड़ा हुआ है। एक स्थानीय NGO कम्युनिटी डेवलपमेंट फाउंडेशन द्वारा संचालित एक नए हीटस्ट्रोक क्लिनिक के नर्स बशीर अहमद ने कहा कि गंभीर स्थिति में आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है। पहले, जून और जुलाई में गर्मी अपने चरम पर होती थी, लेकिन अब यह मई में आ रही है। धूप में काम करने को मजबूर मजदूर सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। ईंट भट्ठा श्रमिक अपना व्यापार भट्टियों के साथ करते हैं जो 1,000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकते हैं।
सुबह 3 बजे उठकर पानी भरने निकलती हैं महिलाएं
यहां गधे की गाड़ी से 20 रुपये प्रति 20 लीटर तक पानी बेचा जा रहा है। शहर के बाहरी इलाके में महिलाएं सुबह 3 बजे उठकर कुएं से पीने का पानी भरने निकलती हैं। पर्यावरण एनजीओ जर्मनवाच द्वारा संकलित ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स(Global Climate Risk Index) के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण इस चरम मौसम में पाकिस्तान आठवां सबसे कमजोर देश है। हाल के वर्षों में बाढ़, सूखे और चक्रवातों ने हजारों लोगों की जान ली है और विस्थापित हुए हैं, आजीविका को नष्ट किया है और बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया है।
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