सार
इस साल गर्मी ने पिछले साले रिकॉर्ड ध्वस्त किए हैं। भारत-पकिस्तान के करीब 1.5 बिलियन लोगों के घरों का टेम्परेचर सहन से बाहर हुआ। इस बीच नासा(ASA) ने हाल में दिल्ली के आसपास हीट आइसलैंड(Heat islands) की एक तस्वीर जारी की थी, जिसमें दिखाया गया कि यहां रात का टेम्परेचर आसपास के खेतों की तुलना में 40 डिग्री सेल्सियस तक गर्म रहा।
नई दिल्ली. मौसम विज्ञानियों की एक रिसर्च के अनुसार पृथ्वी पर हर 8 में से एक व्यक्ति घातक गर्मी की लहर को सहन करने पर विवश है। भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों के करीब 1.5 बिलियन लोग जैसे गर्मी की भट्टी में सिंक रहे हैं। भारत के लिए अप्रैल 122 वर्षों में सबसे गर्म रहा और मार्च में भी रिकॉर्ड गर्मी रही। वहीं, पाकिस्तान के लिए यह 61 साल में सबसे गर्म अप्रैल रहा। पाकिस्तान का जैकोबाबाद, जो पहले से ही दुनिया के सबसे गर्म शहरों में से एक है, यहां तापमान 120 डिग्री फ़ारेनहाइट(120 degrees Fahrenheit) यानी 48 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया। रात का तापमान 90 के दशक से ऐसा ही बना हुआ है।
हर साल दिल्ली तपने लगती है
13 मई को नासा जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी या नासा जेपीएल(NASA Jet Propulsion Laboratory or NASA JPL) के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से यह तस्वीर शेयर की गई है। 5 मई की मध्यरात्रि के करीब नासा के ECOSTRESS उपकरण ने दिल्ली में जमीन के तापमान की यह इमेज ली। यह पोस्ट भारत में चल रही हीटवेव को लेकर एक अलर्ट है। दिल्ली के शहरी 'हीट आइलैंड्स' और आसपास के गांवों में तापमान 102 डिग्री फ़ारेनहाइट (39 डिग्री सेल्सियस) तक पहुंच गया, जबकि आसपास के इलाकों में तापमान लगभग 40 डिग्री फ़ारेनहाइट तक कूल था। ऊष्मा द्वीप (हीट आइलैंड्स) एक शहरी क्षेत्र या महानगरीय क्षेत्र है] जो मानवीय गतिविधियों के कारण अपने आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में काफी गर्म है। तापमान का अंतर आमतौर पर दिन की तुलना में रात में अधिक होता है।
नासा जेपीएल की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, मार्च के मध्य से भारत और पाकिस्तान एक निरंतर गर्मी की लहर की चपेट में आ गए, जिसके परिणामस्वरूप कई मौतें हुईं, आगजनी की घटनाएं बढ़ीं, वायु प्रदूषण बढ़ा और कृषि उत्पादन कम हुआ। आकलन है कि गर्म मौसम ने भारत में कम से कम 25 लोगों और पाकिस्तान में 65 लोगों की जान ले ली है। हालांकि हताहतों की सही संख्या बहुत अधिक होने की संभावना है। यहां तक कि पक्षियों को भी लू लग रही है।
भारत और पाकिस्तान के कई शहरी क्षेत्र हर साल भीषण गर्मी से जूझते हैं। मुंबई (20 मिलियन निवासी), दिल्ली (19 मिलियन), कराची (15 मिलियन), और लाहौर (11 मिलियन) जैसे विशाल महानगर अपने आसपास के क्षेत्रों की तुलना में तेजी से गर्म होते हैं। इसकी वजह डामर, कंक्रीट, कांच और स्टील सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करते हैं।
गर्मी का ही असर कि बिजली तक नहीं मिली
www.vox.com की रिपोर्ट के अनुसार, यह लू का ही गंभीर असर रहा कि बिजली की बढ़ती मांग और पावर ग्रिड पर दबाव के कारण दो-तिहाई भारतीय घरों में बिजली गुल हो गई। पाकिस्तान में बिजली कटौती 12 घंटे तक चली है। बिजली के अभाव में कई घरों में पानी की पहुंच खत्म हो गई है। गर्म मौसम ने धूल और ओजोन के स्तर को भी बढ़ा दिया है, जिससे पूरे क्षेत्र के प्रमुख शहरों में वायु प्रदूषण में वृद्धि हुई है। गर्मी ने पहाड़ के ग्लेशियरों को सामान्य से अधिक तेजी से पिघलाया, जिससे पाकिस्तान में अचानक बाढ़ आ गई। साथ ही, चल रहे राजनीतिक व्यवधान और कोविड -19 महामारी से आर्थिक गिरावट गर्मी की लहर की प्रतिक्रिया को और बाधित कर रही है। अप्रत्याशित टेम्परेचर बढ़ने से गेहूं के उत्पादन को खतरा है, जबकि पहले से ही खाद्य कीमतें अधिक हैं।
जलवायु परिवर्तन ने बढ़ाया खतरा
जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया के कुछ हिस्से रहने योग्य नहीं बचे। दक्षिण एशिया में जिंदा रहने के लिए एसी जैसे कृत्रिम शीतलन( artificial cooling) पर निर्भर रहना पड़ रहा है। भारत और पाकिस्तान में जीवाश्म ईंधन(fossil fuels) को जलाने से बिजली तैयार होती है, जो ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं। इससे धरती गर्म हो रही है। बता दें कि भारत की लगभग 75 प्रतिशत ऊर्जा कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस से आती है, जबकि पाकिस्तान को अपनी ऊर्जा का लगभग 60 प्रतिशत इन्हीं वस्तुओं से प्राप्त होता है।