पाकिस्तानी राजनीति व लोकतंत्र में अभिशाप है प्रधानमंत्री का अधूरा कार्यकाल, इमरान से पहले कई और पीएम हुए शिकार

Published : Apr 10, 2022, 12:23 PM ISTUpdated : Apr 10, 2022, 12:41 PM IST
पाकिस्तानी राजनीति व लोकतंत्र में अभिशाप है प्रधानमंत्री का अधूरा कार्यकाल, इमरान से पहले कई और पीएम हुए शिकार

सार

इमरान खान का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उनकी सरकार गिर गई। पाकिस्तान के इतिहास में यह पहली बार नहीं है, जब कोई प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका। इसे पाकिस्तान की राजनीति और लोकतंत्र के लिए अभिशाप ही कहेंगे कि वहां कोई प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है।   

नई दिल्ली। पाकिस्तानी राजनीति में करीब 30 साल तक सैन्य शासन रहा। पाकिस्तान की सत्ता पर चार सेना प्रमुख कब्जा कर चुके हैं। कई और मौके रहे जब, सेना ऐसा करना तो चाहती थी, मगर किसी वजह से उनकी कोशिशें विफल हो गईं। आइए जानते हैं 1947 से अब तक पाकिस्तानी प्रधानमंत्री, उनके अधूरे कार्यकाल और सरकार गिरने की वजहों के बारे में- 

पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की सरकार 4 साल और 63 दिन 
पाकिस्तान का अस्तित्व 14 अगस्त 1947 को आया और लियाकत अली खान को यहां पहला प्रधानमंत्री बनाया गया। यहीं से पाकिस्तानी लोकतंत्र का काला अध्याय शुरू हो गया। लियाकत अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके, क्योंकि रावलपिंडी में 6 अक्टूबर 1951 को उनकी हत्या कर दी गई। इस तरह 4 साल 63 दिन में ही उनकी सरकार गिर गई। 

ख्वाजा निजामुद्दीन की सरकार केवल एक साल 182 दिन  
लियाकत की सरकार जाने के बाद ख्वाजा निजामुद्दीन को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनाया गया। लेकिन उनकी सरकार महज डेढ़ साल ही चल सकी। एक साल और 182 दिन बाद यानी 17 अप्रैल 1953 को उनकी सरकार को तत्कालीन गर्वनर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद ने बर्खास्त कर दिया। 

मोहम्मद अली बोगरा की सरकार दो साल तीन महीने और 25 दिन रही 
निजामु्द्दीन के बाद आए मोहम्मद अली बोगरा। बोगरा पहले राजनयिक थे, मगर जनरल गुलाम मोहम्मद ने उन्हें पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बना दिया। दो साल तीन महीने और 25 दिन तक शासन करने के बाद उन्हें भी प्रधानमंत्री का पद छोड़ना पड़ा। 

चौधरी मोहम्मद अली की सरकार महज एक साल और एक महीने रही 
मोहम्मद अली बोगरा को पद से हटाए जाने के बाद चौधरी मोहम्मद अली को देश का नया प्रधानमंत्री बनाया गया। मगर वह भी राजनीति के शिकार हो गए और एक साल एक महीने बाद उन्हें भी यह पद छोड़ना पड़ा था। 

हुसैन शहीद सुहरावर्दी की सरकार भी एक साल एक महीने चली 
चौधरी मोहम्मद अली के जाने के बाद हुसैन शहीद सुहरावर्दी को प्रधानमंत्री बनाया गया, मगर उनकी सरकार भी सिर्फ एक साल एक महीने ही चल पाई। जब पार्टी और मंत्रियों ने उनका साथ छोड़ा और अकेले पड़ गए, तो राष्ट्रपति ने भी कह दिया आप इस्तीफा दे दीजिए। 

इब्राहिम इस्माइल चुंदरीगर की सरकार दो महीने भी नहीं टिकी 
पाकिस्तानी राजनीति में ऐसा भी हुआ, जब कोई प्रधानमंत्री दो महीने भी ठीक से पद पर नहीं रह सका। इब्राहिम इस्माइल चुंदरीगर की सरकार दो महीने से भी कम समय तक शासन कर पाई। 

फिरोज खान नून  का कार्यकाल सिर्फ 21 दिन 
इब्राहिम इस्माइल चुंदरीगर के बाद फिरोज खान नून को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनाया गया, मगर वह सिर्फ 21 दिन इस पद पर रह सके। 

नुरुल अमीन सिर्फ 13 दिन तक पीएम 
फिरोज खान नून के बाद देश में 13 साल तक सैन्य शासन रहा। इसके बाद नुरुल अमीन प्रधानमंत्री बने, मगर उन्हें 13 दिन बाद इस्तीफा देना पड़ा 

मोहम्मद खान जुनेजो का कार्यकाल तीन साल दो महीने तक 
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के तौर पर मोहम्मद खान जुनेजो का कार्यकाल सिर्फ तीन साल दो महीने और पांच दिन तक रहा। इसके बाद उनकी सरकार भी गिर गई। 

बेनजीर भुट्टो चार साल आठ महीने तक पद पर रहीं 
पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो प्रधानमंत्री पद पर कुल चार साल आठ महीने तक रहीं। इसके बाद उनकी हत्या कर दी गई। 

नवाज शरीफ का कार्यकाल भी पूरा नहीं हुआ 
वैसे तो पाकिस्तानी राजनीति में नवाज शरीफ अब तक सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे हैं। मगर उनका कार्यकाल कभी भी पूरा नहीं हुआ। 

युसुफ रजा गिलानी कार्यकाल खत्म होने से पहले अयोग्य घोषित 
पाकिस्तान की राजनीति में युसुफ रजा गिलानी को तब अयोग्य घोषित कर दिया गया, जब उनका कार्यकाल खत्म होने में महज 9 महीने बचे थे। 

करीब चार साल पद पर रहे इमरान खान 
इमरान खान भी करीब चार साल इस पद पर रहे और उन्हें अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा। 

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