Ukraine के Donetsk व Lugansk को मान्यता देने पर ब्रिटेन ने 5 रूसी बैंकों और तीन अरबपतियों पर लगाया प्रतिबंध

मंगलवार को ब्रिटेन की संसद को संबोधित करते हुए पीएम बोरिस जॉनसन ने इसे अपने पश्चिमी पड़ोसी पर एक नए सिरे से आक्रमण बताया है। उन्होंने सांसदों से कहा, "ब्रिटेन और हमारे सहयोगी देश, रूस पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर देंगे जो हमने पहले ही तैयार कर लिया है।

लंदन। रूस-यूक्रेन विवाद (Russia Ukraine conflict) के बीच पश्चिमी देशों के चेतावनियों के बावजूद रूस (Russia) ने पूर्वी यूक्रेन (East Ukraine) के दो क्षेत्रों को देश के रूप में मान्यता दे दिया है। रूस के इस कदम के बाद से बौखलाए पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध की शुरूआत कर दी है। यूएस के बाद अब ब्रिटेन (Britain sanctioned on Russia) ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है। यूके (UK) ने मंगलवार को पांच रूसी बैंकों (Russian Banks) और तीन रूसी अरबपतियों (three Billionaires) पर प्रतिबंध लगा दिया है। यूके की यह कार्रवाई यूक्रेन पर क्रेमलिन की कार्रवाईयों का जवाब माना जा रहा है। 

बोरिस जॉनसन ने यूके संसद को किया संबोधित

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रूस द्वारा यूक्रेन के विद्रोही दो क्षेत्रों को देश के रूप में मान्यता देने और सैन्य बलों को शांति सेना के रूप में काम करने का आदेश देने के बाद दुनिया के कई देश खासा खफा हैं। नाटो सदस्य के रूप में ब्रिटेन भी रूस के इस कदम का जोरदार विरोध कर रहा है। मंगलवार को ब्रिटेन की संसद को संबोधित करते हुए पीएम बोरिस जॉनसन ने इसे अपने पश्चिमी पड़ोसी पर एक नए सिरे से आक्रमण बताया है।

उन्होंने सांसदों से कहा, "ब्रिटेन और हमारे सहयोगी देश, रूस पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर देंगे जो हमने पहले ही तैयार कर लिया है। ब्रिटिश नेता ने कहा कि यदि क्रेमलिन ने और अधिक आक्रामकता दिखाई तो संकट और भयावह होगा।

रूस के इन पांच बैंकों पर ब्रिटेन ने लगाया प्रतिबंध

ब्रिटेन ने रूस के पांच बैंकों पर प्रतिबंध लगाया है। प्रतिबंध का सामना करने वाले बैंकों में रोसिया, आईएस बैंक, जनरल बैंक, प्रोम्सवाज़बैंक और ब्लैक सी बैंक शामिल है। इसके अलावा तीन अरबपतियों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। गेन्नेडी टिमचेंको, बोरिस रोटेनबर्ग और इगोर रोटेनबर्ग - को ब्रिटेन की यात्रा करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। ब्रिटेन के सभी व्यक्तियों और संस्थाओं को उनके और बैंकों के साथ व्यवहार करने पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।

सोमवार को रूस ने दो देशों को दी थी मान्यता

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को विद्रोहियों के कब्जे वाले यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुगांस्क क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता दी थी। इन दोनों को अलग देश के रूप में पुतिन ने मान्यता देते हुए अपने रक्षा मंत्रालय को अलगाववादियों के कब्जे वाले क्षेत्रों में शांति व्यवस्था का कार्य संभालने का निर्देश दिया।

ब्रिटेन और क्रेमलिन के संबंध सामान्य

क्रेमलिन के साथ ब्रिटेन के संबंध 2006 में लंदन में एक पूर्व रूसी जासूस की रेडिएशन विषाक्तता से मौत और 2018 में दक्षिण-पश्चिमी शहर सैलिसबरी में एक और डबल एजेंट की हत्या के प्रयास के बाद बहुत सामान्य रहा है। हालांकि, लंदन में लगातार सरकारों को सोवियत संघ के पतन के बाद से शहर के वित्तीय बाजारों के माध्यम से प्रसारित अवैध रूसी धन के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए निरंतर दबाव का सामना करना पड़ा है।

यह है विवाद की वजह

रूस यूक्रेन की नाटो की सदस्यता का विरोध कर रहा है। लेकिन यूक्रेन की समस्या है कि उसे या तो अमेरिका के साथ होना पड़ेगा या फिर सोवियत संघ जैसे पुराने दौर में लौटना होगा। दोनों सेनाओं के बीच 20-45 किमी की दूरी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन पहले ही रूस को चेता चुके हैं कि अगर उसने यूक्रेन पर हमला किया, तो नतीजे गंभीर होंगे। दूसरी तरफ यूक्रेन भी झुकने को तैयार नहीं था। उसके सैनिकों को नाटो की सेनाएं ट्रेनिंग दे रही हैं। अमेरिका को डर है कि अगर रूस से यूक्रेन पर कब्जा कर लिया, तो वो उत्तरी यूरोप की महाशक्ति बनकर उभर आएगा। इससे चीन को शह मिलेगी। यानी वो ताइवान पर कब्जा कर लेगा।

नाटो क्या है?

नॉर्थ अटलांटिक ट्रिटी ऑर्गेनाइजेशन(नाटो) की स्थापना 4 अप्रैल 1949 को 12 संस्थापक सदस्यों द्वारा अमेरिका के वॉशिंगटन में किया गया था। यह एक अंतर- सरकारी सैन्य संगठन है। इसका मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में अवस्थित है। वर्तमान में इसके सदस्य देशों की संख्या 30 है। इसकी स्थापना का मुख्य   उद्देश्य पश्चिम यूरोप में सोवियत संघ की साम्यवादी विचारधारा को रोकना था। इसमें फ्रांस, बेल्जियम,लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैण्ड, इटली,नार्वे, पुर्तगाल, अमेरिका, पूर्व यूनान, टर्की, पश्चिम जर्मनी और स्पेन शामिल हैं।

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