रूस सरकार की सेंसरशिप एजेंसी रोसकोम्नाडजोर ने फेसबुक पर रूसी मीडिया के साथ भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। द कीव इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के अनुसार रूस सरकार की सेंसरशिप एजेंसी ने फेसबुक पर बैन का ऐलान किया है।
मास्को। कई दिनों तक फेसबुक (Facebook) की रीच को घटाने, चेतावनी देने के बाद अब रूस ने देश में फेसबुक पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। रूस सरकार की सेंसरशिप एजेंसी रोसकोम्नाडजोर (Roskomnadzor) ने फेसबुक पर रूसी मीडिया के साथ भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। द कीव इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के अनुसार रूस सरकार की सेंसरशिप एजेंसी ने फेसबुक पर बैन का ऐलान किया है। उधर, फेसबुक ने रूस पर आरोप लगाया है कि वह लाखों लोगों को विश्वसनीय सूचना से वंचित कर रहा है।
ट्विटर पर भी फेसबुक के बाद कार्रवाई
फेसबुक पर बैन लगाने के बाद रूस ने Twitter पर भी कार्रवाई की है। ट्विटर का रीच रूस में प्रतिबंधित कर दिया गया है। ऐसा करने से ट्विटर पर एक्सेस तो लोगों का हो सकेगा लेकिन वह दूसरों के ट्वीट को नहीं देख सकेंगे।
शुक्रवार को डाउन हुईं सोशल मीडिया साइट्स
रूस के खिलाफ नेगेटिव न्यूज व इंफार्मेशन देने वाली मीडिया वेबसाइट, फेसबुक (Facebook) जैसे सोशल प्लेटफार्म्स को रूस में डाउन कर दिया गया था। लोग इन वेबसाइट्स या सोशल मीडिया प्लेटफार्म तक पहुंच नहीं पा रहे थे। रूस में शुक्रवार को फेसबुक और कई मीडिया वेबसाइट आंशिक रूप से डाउन थीं। जानकारों का मानना है कि यूक्रेन में लड़ाई बढ़ने पर अधिकारियों ने आलोचनात्मक आवाजों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है। मॉस्को में एएफपी पत्रकार फेसबुक के साथ-साथ मीडिया आउटलेट्स मेडुज़ा, ड्यूश वेले, आरएफई-आरएल और बीबीसी की रूसी-भाषा सेवा की साइटों तक पहुंचने में सक्षम नहीं थे। निगरानी एनजीओ ग्लोबलचेक ने यह भी कहा कि साइटें आंशिक रूप से डाउन थीं। इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुए फेसबुक पर बैन लगा दिया गया है। जबकि ट्विटर के रीच को ही प्रतिबंधित कर दिया गया है।
फेक न्यूज के खिलाफ कानून भी बना, नहीं फैला सकेंगे सेना के खिलाफ झूठ
रूस की संसद (Russian Sansad) ने शुक्रवार को फेक न्यूज (fake news) को लेकर कड़े कानून का ऐलान किया। यूक्रेन युद्ध (Ukraine War) के दौरान रूसी सेना के खिलाफ फेक न्यूज (fake news against Army) फैलाने से आजिज आकर रूसी संसद ने यह फैसला लिया है। संसद में पास इस नए कानून में सेना के खिलाफ जानबूझकर फर्जी खबर फैलाने पर 15 साल तक जेल की सजा का प्राविधान किया गया है।
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