NATO देश पोलैंड में गिरी रूस की मिसाइलों के बाद हाईअलर्ट, इमरजेंसी मीटिंग के कारण G20 समिट का शेड्यूल बिगड़ा

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध(russia ukraine war) अब बहुत खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। रूस की एक मिसाइल यूक्रेन बॉर्डर के पास NATO के सदस्य देश पोलैंड में गिरने से हड़कंप की स्थिति है। इस हमले में 2 लोगों के मारे जाने की खबर है। हालांकि, रूस ने किसी भी मिसाइल हमले से साफ मना किया है।

वर्ल्ड न्यूज. रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध(russia ukraine war) अब बहुत खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। रूस की एक मिसाइल यूक्रेन बॉर्डर के पास NATO के सदस्य देश पोलैंड में गिरने से हड़कंप की स्थिति है। इस हमले में 2 लोगों के मारे जाने की खबर है। हालांकि, रूस ने किसी भी मिसाइल हमले से साफ मना किया है। इस मिसाइल हमले के बाद विश्व युद्ध की आशंका बढ़ने लगी है। बता दें कि रूस ने यूक्रेन पर 24 फरवरी को पहली बार आक्रमण किया था।  (यह तस्वीर बाइडेन ने ट्वीट की है। पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा और अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने पूर्वी पोलैंड में हुए विस्फोट पर बातचीत की)

इस घटना ने इंडोनेशिया की राजधानी बाली में चल रहे G20 शिखर सम्मेलन का शेड्यूल बिगाड़ दिया है। इस मामले पर एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाने से निर्धारित कार्यक्रमों में बदलाव करना पड़ा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की अगुवाई में बाली के हयात होटल में G7 नेताओं की बैठक बुलाई गई। इसका असर पीएम मोदी की द्विपक्षीय मुलाकातों के कार्यक्रम पर भी पड़ा है।  G20Summit  के दौरान G7 देशों ने एक संयुक्त बयान में कहा-हम बर्बर मिसाइल हमलों की निंदा करते हैं, जो रूस ने मंगलवार को यूक्रेनी शहरों और नागरिक बुनियादी ढांचे पर किए। हमने यूक्रेन के साथ सीमा के पास पोलैंड के पूर्वी हिस्से में हुए विस्फोट पर चर्चा की।अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने इंडोनेशिया में G7 और NATO नेताओं की एक इमरजेंसी बैठक बुलाई, जिसमें नाटो-सहयोगी पोलैंड ने कहा कि रूस-निर्मित मिसाइल ने यूक्रेन सीमा के पास पोलैंड के पूर्वी हिस्से में दो लोगों की जान ले ली। पढ़िए पूरी डिटेल्स...

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खबर हैं कि रूसी सेना ने मंगलवार(15 नवंबर) को यूक्रेन के कुछ शहरों को टारगेट करके यह मिसाइल हमला किया था। इन मिसाइलों का टारगेट यूक्रेन की राजधानी कीव, खार्कीव, लीव और पोल्टेवा शहर थे। एक न्यूज एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ मिसाइलें यूक्रेन बॉर्डर के पास पोलैंड में जा गिरीं। इस हमले में 2 लोगों की मौत हो गई। पोलैंड मीडिया के अनुसार ये मिसाइलें पोलिश गांव प्रोजेवोडो में गिरीं। पोलैंड के विदेश मंत्रालय ने भी इसकी पुष्टि की है। इस हमले के बाद पोलैंड सरकार ने रात में ही रक्षा परिषद की एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। हालांकि रूस का रक्षा मंत्रालय इससे साफ इनकार कर रहा है। रूस की सरकार का तर्क है कि मामले को बेवजह तूल दिया जा रहा है।


मिसाइल अटैक के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने नाटो देशों से रूस के खिलाफ कड़ा एक्शन लेने की मांग उठाई है। जेलेंस्की ने कहा कि  नाटों देश पर रूस का हमला एक गंभीर विषय है। रूस का आतंक अब सिर्फ यूक्रेन की सीमाओं तक सीमित नहीं रह गया है। जेलेंस्की ने पोलैंड के राष्ट्रपति एंड्रेज डूडा से भी बात की और पोलिश नागरिकों की मौत पर शोक जताया। जेलेंस्की ने डूडा से बातचीत के बाद कहा कि दोनों देश एक-दूसरे को सूचनाएं बांट रहे हैं। जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन, पोलैंड, पूरे यूरोप और दुनिया को आतंकवादी रूस से बचाना होगा।

यह मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने NATO के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के साथ एक इमरजेंसी मीटिंग की। उन्होंने पोलैंड के राष्ट्रपति एंड्रेज डूडा से भी फोन पर बातचीत की। पोलैंड ने भी आर्टिकल-4 का इस्तेमाल करते हुए नाटो देशों की एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई।


रूस और यूक्रेन के बीच हुए चल रहे विनाशकारी युद्ध की जड़ नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) को माना जा रहा है। यूक्रेन नाटो में शामिल होना चाहता था, लेकिन रूस को लगता था कि यदि ऐसा हुआ तो नाटो देशों के सैनिक ठिकाने उसकी सीमा के पास आकर खड़े हो जाएंगे। यही नहीं, यूक्रेन नाटो में शामिल होता है, तो सभी देश उसकी सुरक्षा के लिए तैयार रहेंगे। 


रूस की NATO से नरफरत क्यों है, यह जानना भी जरूरी है। दरअसल 1939 से 1945 के बीच द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ पूर्वी यूरोप से सेनाएं जमाए था। 1948 में उसने बर्लिन को भी घेर लिया। इसके बाद अमेरिका सोवियत संघ की इस नीति को रोकने के लिए आगे आया। उसने 1949 में NATO का गठन किया। इसमें तब 12 देश शामिल किए। यह देश अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, इटली, नीदरलैंड, आइसलैंड, बेल्जियम, लक्जमबर्ग, नॉर्वे, पुर्तगाल और डेनमार्क थे। आज NATO में 30 देश शामिल हैं। 


NATO का मकसद साझा सुरक्षा नीति पर काम करना है। अगर कोई बाहरी देश किसी NATO देश पर हमला करता है, तो उसे बाकी सदस्य देशों पर हुआ हमला माना जाएगा और उसकी रक्षा के लिए सभी देश मदद करेंगे।

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