जी20 शिखर सम्मलेन (G20 Summit) के दौरान दुनिया के दिग्गज नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई है कि इस युग को 'किसी भी हाल में युद्ध का युग नहीं बनाना' है। बाली में शिखर सम्मेलन के दौरान जिन मुद्दों पर ड्राफ्ट तैयार किया गया है, उसमें परमाणु हथियारों की धमकी की भी निंदा की गई है।
G20 Summit. इंडोनेशिया की राजधानी बाली में चल रहे जी20 शिखर सम्मेलन में दुनिया के दिग्गज नेताओं की सहमति पर एक ड्राफ्ट तैयार किया गया है। इसमें सभी नेताओं ने यह सहमति जताई है कि इस युग को 'किसी भी हाल में युद्ध का युग नहीं बनाना' है। साथ ही बार-बार परमाणु हथियारों की धमकी देने जैसे बयानों की भी निंदा की गई है। इस ड्राफ्ट को फानेंसियल टाइम्स द्वारा देखा गया है और दो डेलीगेशंस ने इस बात को कंफर्म किया है कि ज्यादातर देशों ने यूक्रेन युद्ध की निंदा की है। साथ ही यह माना गया है कि इस युद्ध की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच रहा है और मानवता भी प्रभावित हुई है। यह ड्राफ्ट रूस-चीन के साथ ही पश्चिमी देशों के अधिकारियों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद तैयार किया गया है। आइए जानते हैं ड्राफ्ट की बड़ी बातें...
युद्ध का युग नहीं बनाने पर है जोर
इस ड्राफ्ट में वार शब्द के इस्तेमाल और मॉस्को द्वारा परमाणु हथियारों की धमकी को पश्चिमी देशों के अधिकारियों के अनुमान से ज्यादा खतरनाक बताया गया है। साथ ही यह जोड़ा गया है कि इसकी वजह से गैर-पश्चिमी मुल्कों में भी ब्लादिमीर पुतिन के प्रति गुस्सा बढ़ रहा है। ड्राफ्ट स्टेटमेंट में कहा गया है कि परमाणु हथियारों की धमकी की निंदा होनी चाहिए और इस समस्या का शांतिपूर्ण तरीके से समाधान के प्रयास होने चाहिए। जहां तक हो सके कूटनीति और संवाद के माध्यम से इसे हल किया जाए। ड्राफ्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि आज का यह युग किसी भी हाल में युद्ध का युग नहीं बनना चाहिए।
क्या थी पहले की आशंका
इस ड्राफ्ट को लेकर सोमवार रात्रि को ही सहमति बन गई थी लेकिन मंगलवार की सुबह जी20 समूह की बैठक के दौरान डेलीगेट्स द्वारा इस पर हस्ताक्षर किए गए। हालांकि अधिकारियों ने पहले यह आशंका जताई थी कि युद्ध की निंदा प्रस्ताव पर रूस विरोध करेगा और चीन भी मॉस्को के साथ जाएगा। इसकी वजह से इंडोनेशिया में होने वाला यह सम्मेलन ज्वाइंट स्टेटमेंट जारी नहीं कर पाएगा क्योंकि पश्चिमी देशों के नेता कीव का सपोर्ट कर रहे हैं और मॉस्को का विरोध कर रहे हैं। जी20 ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि रूस द्वारा छेड़ा गया यह युद्ध हर जगह समस्या पैदा करने वाला है।
ड्राफ्ट में पीएम मोदी की छाप
अमेरिका के एक उच्चाधिकारी ने कहा कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों के कई देश चाहे वे छोटे हैं, मध्यम या फिर बड़ी आय के देश हों, सभी इस टकराव के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। इस सहमति पर सबकी रजामंदी हासिल करने में भारतीय डेलीगेशन का बड़ा रोल है। नेगोशिएशंस में शामिल दो बड़े अधिकारियों ने रूस की आलोचना वाले इस ड्राफ्ट की सहमति में बड़ा योगदान दिया है। यही वजह है कि ड्राफ्ट स्टेटमेंट में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के बीच बातचीत के दौरान पीएम मोदी द्वारा कही गई वह बात शामिल है, जिसमें उन्होंने कहा था कि यह समय युद्ध का समय नहीं है।
जेलेंस्की के नाम रहा सेशन
इंडोनेशिया के एक अधिकारी ने यह भी कहा कि ड्राफ्ट स्टेटमेंट डायनामिक है और संभवतः कुछ बदलाव भी हो सकते हैं। मंगलवार सुबह एक सेशन के दौरान स्पेशल वीडियो संदेश में यूक्रेन के राष्ट्रपित बोलोदिमी जेलेंस्की ने युद्ध की वजह से ग्लोबल फूड एंड एनर्जी मार्केट पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को सामने रखा और जी19 के नेताओं से आग्रह किया कि वे रूस के सामने यह मांग रखें कि वे जल्द से जल्द अपनी सेनाएं हमारे देश से बाहर ले जाएं। जेलेंस्की ने कहा कि यह आक्रामक रूसी युद्ध यूएन चार्टर और इंटरनेशनल लॉ के आधार पर तत्काल रोका जाना चाहिए। यह भी जोड़ा की यूक्रेन अपनी स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को पीछे छोड़कर शांति का कोई समझौता नहीं कर सकता। कहा कि रूस ने हमार शांति समझौते का विरोध किया है और वह सिर्फ युद्ध चाहता है।
इंडोनेशिया के प्रेसीडेंट की चेतावनी
ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है कि यूक्रेन में युद्ध की वजह से दुनियाभर में विकास बाधित हो रहा है, महंगाई बढ़ रही है, ग्लोबल सप्लाई चेन डिस्टर्ब हुआ है और खाद्य व उर्जा की असुरक्षा बड़े पैमाने पर बढ़ गई है। इसके साथ ही वित्तीय अस्थिरता का संकट भी खड़ा हो गया है। ड्राफ्ट में दूसरे विचारों को भी जगह दी गई है जिसमें रूस यह मानता है कि दुनियाभर में खाद्य पदार्थों और उर्जा की कीमतों का संकट बढ़ाने का काम पश्चिमी देश कर रहे हैं। वहीं शिखर सम्मेलन की शुरूआत करते हुए इंडोनेशिया के प्रेसीडेंट जोको विडोडो ने बाकी नेताओं को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि यह युद्ध समाप्त नहीं होता है तो भविष्य की जिम्मेदारी किसी के पास नहीं है। विडोडो ने आगे कहा कि हम दुनिया का बांटने का काम नहीं कर सकते। हम दुनिया एक और कोल्ड वार में जाने की इजाजत नहीं दे सकते। मंगलवार को जी20 देशों के नेताओं के बीच ग्लोबल हेल्थ पर चर्चा की गई।
शी जिनपिंग ने क्या कहा
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को इंटरनेशनल लेवल पर इसलिए आलोचना का सामना करना पड़ा क्योंकि वे ब्लादिमीर पुतिन से अपने व्यक्तिगत संबंधों की वजह से यूक्रेन युद्ध का विरोध नहीं करते हैं। हालांकि शी जिनपिंग ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों से मिले और शांति वार्ता और सीजफायर को लेकर चीन की प्रतिबद्धता दोहराई। चीन ने फ्रांस से यह भी आग्रह किया कि वे चीन के कोर इंट्रेस्ट को समझें क्योंकि दुनिया भर के देश ताइवान पर चीन के दावे को लेकर बातें कर रहे हैं। चीन ने यह भी जरूरत जताई कि फ्रांस यूरोपियन देशों को चीन के प्रति एक स्वतंत्र नीति अपनाने की बात कहे। यह मैसेज जिनपिंग ने जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज को भी दिया है।
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